बाज़ार (भारतीय उप-महाद्वीप के सेक्स वर्करों का रोज़नामचा)
खनकते है घुँघरू,रोती हैं आँखें,तबले की थाप पे ,फिर सिसकती हैं साँसें| हर रूह प्यासी,हर शह पे उदासी,यहाँ रोज़ चौराहे पे, बिकती हैं आँहें| ना बाबा,ना चाचा ,ना ताऊ,ना नाना,ना भाई यहाँ है,ना कोई अपना,...!?!... बस एक रिश्ता ,बस एक सौद