दर्द
जाने क्या दर्द से मेरा रिश्ता है!?!
जब भी मिलता है बड़ी फ़ुर्सत से मिलता है||
क्यूँ ?...कहीं और जाके पनाह नहीं लेता???
मेरे दिल का किराया इतना भी कहाँ सस्ता है ???
जाने क्या दर्द से मेरा रिश्ता है!?!...
माँग कुछ भी नहीं ,...कहीं भी,... कभी भी तेरी!!!
न जाने क्यूँ ?...बाज़ार में बेतहाशा बिकता है?!?
इतना जरूर पूछना था गर मिलें कहीं !!!
क्यूँ सुकूँ का वो लम्हा फासले से फिसलता है|
जाने क्या दर्द से मेरा रिश्ता है!?!...
अब,...माना नहीं हूँ ख़ुदा उसके यकीं वाला!!!
फिर क्यूँ ?...टीस सी करता है,जब वो उसकी बाँहों में मचलता है?!!?
और - ए - दर्द ,...कभी तो रक़ीब की आँखों में भी दिख !!!
कि सुकूँ का वो एक लम्हा,...मेरा भी तो कभी बनता है|||
जाने क्या दर्द से मेरा रिश्ता है!?!...
ईसा !!!...पैर छोड़ एक और कील वक्त ने मेरे हाथों में ठोंक दी!!!
अब,... दर्द इतना है ,...फिर क्रॉस पे भार कहाँ चीथड़ों से संभलता है !?!
शाम ढलने लगी,...तन्हाँ अब दूर कहाँ तलक जाएगा???
पता है तुझे!!!,...वो तिराहे की नुक्कड़ का रास्ता,मेरे मकाँ से होके निकलता है|||
जाने क्या दर्द से मेरा रिश्ता है!?!
जब भी मिलता है बड़ी फ़ुर्सत से मिलता है|||
(मनोज कुमार खँसली"अन्वेष ")