लखनऊ : ये कोई पहला मौका नहीं है जब शिवपाल और अखिलेश के बीच ऐसी अनबन देखने को मिली हो. इससे पहले भी कई दफा यादव परिवार की अंतर्कलह घर से निकल सार्वजनिक मंचों तक पहुंची है. लेकिन गुरुवार शाम तक सब कुछ बदल गया. अपमान से नाराज शिवपाल कोई समाधान निकलता न देखकर पार्टी अध्यक्ष पद और सरकार से इस्तीफा दे दिया.
हालांकि, मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया है, लेकिन गुरुवार रात से ही शिवपाल समर्थक विधायक और कार्यकर्ता उनके आवास पर जुटे हुए हैं. अब शुक्रवार को देखना दिलचस्प होगा कि मुलायम सिंह यादव अब क्या कदम उठाते हैं.
1- 21 जून 2016 कौमी एकता दल का विलय शिवपाल यादव चाहते थे कि कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय हो जाए. इसकी पूरी तैयारी भी हो गई, लेकिन ऐन मौके पर अखिलेश यादव ने इसका विरोध कर दिया और विलय रद्द हो गया.
2-अमर सिंह की वापसी, रामगोपाल और आजम खान, अमर सिंह को पार्टी और राज्यसभा में भेजने के विरोध में थे. विरोध की वजह से अखिलेश भी इस पर सहमत नहीं थे, जबकि शिवपाल चाहते थे कि अमर सिंह की वापसी हो. अखिलेश के विरोध के बावजूद अमर सिंह को न केवल राज्यसभा भेजा गया, बल्कि पार्टी में भी उनकी वापसी हो गई.
3- शिवपाल ने दी इस्तीफे की धमकी शिवपाल कई बार खुद अखिलेश की सरकार को कठघरे में करते रहे हैं. उन्होने 14 अगस्त को मैनपुरी में एक कार्यक्रम में कहा कि अधिकारी उनकी बात नही सुन रहे है. पार्टी के नेता जमीन कब्जाने में लगे हुए है. ये कहकर एक तरह से उन्होने अखिलेश पर निशाना साधा था क्योकि जहां सरकार में सीएम अखिलेश है वही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी तब अखिलेश ही थे. उन्होने ये भी कहा कि अगर ऐसा ही रहा तो वो अपने पद से इस्तीफा दे देगें.
4- 12 सितम्बर 2016 मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक घंटे के अन्दर दो मंत्रियों गायत्री प्रसाद यादव और राज किशोर सिंह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया. दोनों ही मंत्री मुलायम और शिवपाल के करीबी हैं. बर्खास्तगी के बाद गायत्री प्रजापति ने दिल्ली जाकर नेताजी से मुलाकात की.
5- 13 सितम्बर 2016 बकरीद के दिन मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव दीपक सिंघल की हटाकर सबको चौंका दिया. उनकी जगह राहुल भटनागर को नया चीफ सेक्रेटरी नियुक्त किया गया. हटाये जाने के बाद दीपक सिंघल भी दिल्ली दरबार पहुंचे. लेकिन सबके मन में एक ही सवाल था आखिर मुख्यमंत्री ताबड़तोड़ ऐसे कठोर फैसले क्यों ले रहे हैं.
6- मंगलवार शाम तक दिल्ली से फरमान आया. मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया. शिवपाल को उनकी जगह नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. देर शाम तक अखिलेश ने एक बार फिर पलटवार किया और शिवपाल यादव के पर कतरते हुए उनसे पीडब्लूडी, सिंचाई और सहकारिता जैसे विभाग छीन लिए गए. इससे नाराज शिवपाल रात को ही सैफई पहुंच गए.
7- 14 सितम्बर 2016 शिवपाल यादव दिल्ली न आकर सीधे मुलायम सिंह से मिलने दिल्ली पहुंचे. जहां दोनों के बीच करीब पांच घंटे तक बातचीत हुई. इसके बाद शिवपाल खुश नजर आये और मीडिया से कहा सब ठीक है. इस बीच लखनऊ में मुख्यमंत्री ने सारे फसाद का ठीकरा एक बाहरी व्यक्ति (अमर सिंह) पर फोड़ा. उन्होंने कहा किसी बाहरी व्यक्ति के हस्तक्षेप से पार्टी नहीं चलेगी. इशारा स्पष्ट था कि उन पर अपने फैसले बदलने का दवाब था.
8- 15 सितम्बर 2016 सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने अखिलेश से बंद कमरे में बात की. इसके बाद उन्होंने कहा कि बड़ों से गलती हुई. हटाने से पहले अखिलेश से इस्तीफा माँगना चाहिए थे. उन्होंने भी खुलकर अमर सिंह का नाम लेते हुए कहा कि वे अखिलेश को बर्बाद करने की बात करते हैं. इस बीच मुलायम ने दिल्ली में साफ़ कर दिया कि शिवपाल प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे.
शिवपाल दिल्ली से लखनऊ पहुंचे और मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा सब ठीक है और नेताजी का फैसला ही मान्य होगा. करीब 3.30 बजे मुलायम भी लखनऊ पहुंचे. उसके बाद वे अपने आवास पर शिवपाल से मिले. उनके बीच दो राउंड बैठक हुई.
इसके बाद अचानक शाम को उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और सरकार में मंत्री पद भी छोड़ दिया. हालांकि मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. इस्तीफे की खबर मिलते ही उनके समर्थक घर के बाहर जमा हो गए और उनके आत्मसम्मान को लौटाने की मांग कर रहे हैं.
लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के बीच अब एक सवाल यह उठता है कि आगे क्या होगा. क्या सपा दो फाड़ की तरफ बढ़ रही है? क्या मुलायम इस संकट से निकल पाएंगे और यादव कुनबा को बचा पाएंगे?