नई दिल्ली : कालाहांडी के दाना मांझी की कहानी ने तब हर किसी को झकझोर दिया था जब अस्पताल से मृत पत्नी के शव को वह पैदल ही कंधे पर उठाकर गांव ले जा रहा था। लेकिन दाना मांझी ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि पत्नी की मौत के बाद सकड़ तो क्या वह हवा में उड़ेगा। मौका था बहरीन के प्रिंस के दिए 9 लाख के चेक को लेने का, जिसे लेने मांझी जब दिल्ली आये तो सड़क से नहीं हवाई जहाज से आये।
बहरीन के प्रिंस की नजरें जब दाना मांझी पर टीवी के जरिये पड़ी तो उन्होंने मांझी को 9 लाख रूपये की मदद देने का ऐलान किया। मांझी ने कहा वह दिल्ली इसलिए आये क्योंकि राजा उन्हें चेक देना चाहते थे। मांझी ने कहा वह इन पैसों से बेटियों की पढ़ाई और प्रधानमंत्री आवास योजना की मदद से एक पक्का मकान बनाना चाहते हैं।
दाना मांझी की तीन बेटियां हैं जिनकी उम्र 13 साल, 7 साल और 4 साल हैं और बेटियों की पढ़ाई की व्यवस्था अब भुवनेश्वर के ''रेजिडेंशियल कलिंग स्कूल ऑफ़ सोशल साइंसेज' में कर दी गई है। संस्था सुलभ इंटरनेशनल ने मांझी के नाम पर 5 लाख रूपये की एफडी भी की है। यही नहीं मांझी को कई सरकारी स्तर पर मदद जारी है।
तो मृत पत्नी के शव को ले जाते मांझी पर एक टीवी पत्रकार के कैमरे की नजर पड़ी तो उसकी जिंदगी बदल गई लेकिन बात सिर्फ दाना मांझी की नहीं बल्कि देश के हजारों ऐसे लोगों की है जो स्वास्थ्य , शिक्षा और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं लेकिन सरकारें आज़ादी के 70 साल बाद भी उन तक नहीं पहुँच पाई है।