शूल मिलें ,पग -पग पथ में
रोड़े अगिन ,मनोरथ में
विचलित हो,विद्रोहों से ,
हे कलम ,पराजित
मत होना ।।
यह युद्ध भयानक ,अब होगा
जो नहीं हुआ वो सब होगा ।
निर्णय शक्ति-पराक्रम का,
यदि आज नहीं तो, कब होगा ।
अपने भी आलोचक हैं
विद्वेषक ,आखेटक हैं ,
व्याकुल है भीतर की पीड़ा
हे कलम ,धैर्य को
मत खोना ।।
हे कलम ,पराजित
मत होना ।।
भावना तिवारी
शब्द जो ब्रह्मरूप हैं ,शब्दों का नाद सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में प्रवाहित है ,हम उच्चारित या श्रवण करते हैं,वह हमें बाह्य और आतंरिक दोनों रूप प्रभावित करता है ! सुनिश्चित करें कि क्या सुनें ,क्या बोलें !
क्या लिखे हमारी लेखनी जो माँ सरस्वती की विशेष अनुकम्पा का प्रतीक है !आइए आपका स्वागत है भाावों के धरातल पर भावांकन के लिए !