14 मई 2015
मैं सभी सुधि पाठकों का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ कि आपने अपना कीमती समय देकर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराया। सराहना यदि अहंकार से विरत रहे तो लेखनी को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।
15 अक्टूबर 2015
अन्तर्मन की व्यथा अनोखी , अधर नहीं कह पाए ! प्राणों से प्राणों की दूरी , हृदय नहीं सह पाए ! बहुत सुन्दर
15 अक्टूबर 2015
सरस मुग्ध अभिव्यक्ति
11 मई 2015
कवि ह्रदय से संबंधित एक सुंदर कृति
1 मई 2015
आप मित्रों की बहुमूल्य टिप्पणी और सराहना का बहुत -बहुत आभार ...अपना कीमती समय मेरी रचना को देने लिए धन्यवाद देती हूँ ....!!
29 अप्रैल 2015
भावप्रवण, अति सुन्दर
29 अप्रैल 2015
भावना जी, कवि मन की अभिव्यक्ति ही निराली होती है, शब्द-शब्द में सुंदरता मुखरित होती है...कविता का पोर-पोर कवित्व के रंगों से ओत-प्रोत होता है...अति सुन्दर रचना...आभार !
29 अप्रैल 2015
अति सुन्दर रचना....आभार !
29 अप्रैल 2015