नई दिल्ली : केंद्रीय वित्तीय एजेंसियों की एक बेहद सीक्रेट जांच के चलते लखनऊ के बड़े राजनैतिक हलकों में हड़कम्प मचा हुआ है. लखनऊ स्थित DG इन्वेस्टीगेशन ( इनकम टैक्स ) 8 और 9 नवम्बर की रात राज्य के दो बड़े सर्राफा व्यापार ियों की कालिदास मार्ग और विक्रमादित्य मार्ग के कुछ बंगलो में हुई डील की जांच कर रहा है. यही नही दिल्ली स्थित DG CEI यानी सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस ने भी लखनऊ के बड़े सर्राफा व्यापारियों को नोटिस देकर 8 नवम्बर की रात से 13 नवम्बर तक के स्टॉक और सेल्स रजिस्टर का ब्यौरा माँगा है. 2016 से DG CEI की जद में सर्राफा व्यापारी भी आ गए हैं.
IT अफसरों के हाथ लगे सुराग
DG इन्वेस्टीगेशन (इनकम टैक्स) के सूत्रों के मुताबिक लखनऊ में ज्यादातर नेताओं और कुछ विवादस्पद नौकरशाहों ने नोटबन्दी के बाद जमकर सोना खरीदा है. नोटबंदी के 24 घण्टे के भीतर केंद्रीय एजेंसियों ने सर्राफा व्यापारियों के फोन की निगरानी शुरू कर दी थी, जिसमें कुछ सुराग IT अफसरों के हाथ लगे हैं. इसकी जानकारी दिल्ली में राजस्व सचिव हंसमुख अधिया को दी गयी. हंसमुख अधिया गुजरात काडर के आईएएस अफसर है जो मोदी के साथ मुख्यमंत्री कार्यकाल से जुड़े हैं. सूत्रों के मुताबिक राजस्व विभाग ने सुराग मिलते ही DG CEI को भी इस दिशा में सक्रिय कर दिया.
तीन बड़े बिल्डरों पर भी कसा शिकंजा
उधर यूपी के तीन बड़े बिल्डरों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है. जिनके पास नेताओं से जुड़े कालेधन की रिपोर्ट DG इन्वेस्टीगेशन ने राजस्व सचिव को सौंपी है. इन बिल्डरों में लखनऊ के शालीमार बिल्डर और कानपुर के रुद्रा बिल्डर हैं. तीसरा बिल्डर ग़ाज़ियाबाद का है, जिसके मायावती के भाई आनन्द कुमार से नज़दीकी रिश्ते हैं. उधर रुद्रा बिल्डर के बारे में यूपी के पूर्व आईएएस अफसर एसपी सिंह का कहना कि इस बिल्डरर को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे का बहुत सा काम सबलेट किया गया है. एसपी सिंह का कहना है कि करीब 2000 करोड़ रूपए एक्सप्रेस वे से लूटे गए हैं.