नई दिल्लीः सब्जियों का राजा आलू अब घर भी रोशन करेगा। बिजली ग्रि़ड की जगह इसका भी इस्तेमाल हो सकता है। विदेशी शोधकर्ता राबिनोविच और उनकी रिसर्च टीम ने एक खास तकनीक ईजाद की है। जिसके जरिए एक आलू से 40 दिनों तक एलईडी बल्ब को जला सकता है। धातु की प्लेट्स, तारों और एलईडी बल्ब के इस्तेमाल से बनी तकनीक के जरिए वै ज्ञान िकों का दावा है कि बिजली से वंचित इलाकों में अंधियारा दूर होगा।
कैसे जलेगा बल्ब
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक येरुशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी के राबिनोविच का दावा है, "एक आलू चालीस दिनों तक एलईडी बल्ब को जला सकता है।
राबिनोविच इसके लिए कोई नया सिद्धांत नहीं दे रहे हैं। ये सिद्धांत हाईस्कूल की किताबों में पढ़ाया जाता है और बैटरी इसी पर काम करती है।
इस तकनीक में जरूरत होती है दो धातुओं की- पहला एनोड, जो निगेटिव इलेक्ट्रोड है, जैसे कि ज़िंक, और दूसरा कैथोड - जो पॉज़ीटिव इलेक्ट्रोड है, जैसे कॉपर यानी तांबा.
आलू के भीतर मौजूद एसिड ज़िंक और तांबे के साथ रासायनिक क्रिया करता है और जब इलेक्ट्रॉन एक पदार्थ से दूसरे पदार्थ की तरफ जाते हैं तो ऊर्जा पैदा होती है।
इसकी खोज वर्ष 1780 में लुइगी गेल्वनी ने की थी जब उन्होंने मेंढ़क की मांसपेशियों को झटके से खींचने के लिए दो धातुओं को मेंढ़क के पैरों में बांधा था।
लेकिन आप इसी प्रभाव को पाने के लिए इन दो इलेक्ट्रोड्स के बीच कई पदार्थ रख सकते हैं। एलेक्जेंडर वोल्टा ने नमक के पानी में भीगे हुए कागज का इस्तेमाल किया था. अन्य शोधों में धातु की दो प्लेट्स और मिट्टी के एक ढेर या पानी की बाल्टी से 'अर्थ बैटरियां' बनाई गईं थीं।
आलू पर यूं हुआ शोध
वर्ष 2010 में, राबिनोविच ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एलेक्स गोल्डबर्ग और बोरिस रुबिंस्की के साथ इस दिशा में एक और कोशिश करने की ठानी.
गोल्डबर्ग बताते हैं, हमने 20 अलग-अलग तरह के आलू देखे और उनके आतंरिक प्रतिरोध की जांच की। इससे हमें यह समझने में मदद मिली कि गरम होने से कितनी ऊर्जा नष्ट हुई।
आलू को आठ मिनट उबालने से आलू के अंदर कार्बनिक ऊतक टूटने लगे, प्रतिरोध कम हुआ और इलेक्ट्रॉन्स ज़्यादा मूवमेंट करने लगे- इससे अधिक ऊर्जा बनी।
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