
नई दिल्लीः पहले इकलौते बेटे की हत्या हुई। फिर हत्यारों को सजा दिलाने के लिए लाचार बाप ने पैरवी शुरू की तो उन्हें भी मौत के घाट उतार दिया गया। यूपी की राजधानी लखनऊ में हुई इस घटना से चुनावी मौसम में तूफान मच गया। सरकार बुरी तरह घिरी अखिलेश को दामन बचाने की चिंता हुई। सत्ताधारी नेताओं पर पिता-पुत्र की हत्या कराने के आरोप लगने शुरू हुए तो अब डीजीपी जावीद अहमद ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है। कहा जा रहा कि अगर सीबीआई जांच सही से हुई तो इसमें सत्ताधारी दल के कई सफेदपोश बेनकाब होंगे।
पुलिसकर्मी ने कराई हत्या
लखनऊ के बड़े दवा कारोबारी श्रवण साहू के बेटे मनीष साहू की पहले हत्या हुई थी। इसमें अकील नामक पुलिस मुखबिर और कुछ पुलिस कर्मियों के नाम सामने आए थे। जांच में हाथ मिलने पर बाद में दो पुलिसकर्मी निलंबित हुए थे। मामला व्यापार ी की हत्या से जुड़ा था तो लखनऊ के कारोबारी शासन और प्रशासन के खिलाफ काफी आक्रोशित रहे। पिता श्रवण साहू बेटे के हत्यारों को साज दिलाने के लिए पैरवी शुरू किए। इस पर हत्यारों ने बीते दो फरवरी को दुकान में घुसकर उन्हें भी गोली मार दी थी। इलाज के लिए ले जाते समय श्रवण की मौत हो गई थी।
श्रवण को था जान का खतरा, फिर भी पुलिस ने बरती लापरवाही
मनीष का केस दमदार तरीके से लड़ने के कारण हत्यारों को जल्द सजा होने का भय सता रहा था। मुख्य आरोपी मुखबिर अकील ने पुलिस से मिलकर श्रवण को फर्जी मुकदमे में फंसाने की चाल चली। बाद में इस मामले में पोल खुल गई तो दो पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया। इस दौरान बुजुर्ग पिता ने जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा के लिए आवेदन किया, मगर पुलिस ने नहीं सुनी। नतीजा था कि बेटे को न्याय दिलाने के लिए लड़ते पिता को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। जब लखनऊ के व्याापरी सपा सरकार के खिलाफ इस मामले में लामबंद होने लगे तो अब जाकर डीजीपी जावीद अहमद ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है।