नई दिल्ली : मीडिया के इस दौर में टीवी चैनलों के एंकर अपनी अ ज्ञान ता और समय-समय पर सनसनी फ़ैलाने के लिए सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बन जाते हैं। चैनल के एंकर टीआरपी के लिए कुछ भी कहने से नहीं हिचकते हैं। ताज़ा उदाहरण अंग्रेजी के नम्बर वन न्यूज़ चैनल 'टाइम्स नाउ' का है, जिसके एंकर ने देश के तीन सीनियर नेताओं द्वारा कश्मीर को लेकर किये जा रहे एक शांति सम्मलेन को ‘कान्क्लेव ऑफ़ कावर्ड्स’ यानी ‘कायरों की सभा' कह दिया। चैनल ने ट्विटर पर भी इसे #ConclaveOfCowards टैग के साथ लिखा।
चैनल द्वारा इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किये जाने की कई लोग सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ श्रीवास्तव ने पाने फेसबुक पेज पर लिखा, टाइम्स ग्रुप के बॉस क्या कर रहे हैं ? तरीके से मतभेद हो सकता है, लेकिन ऐसी पूर्वाग्रही और अपमानजनक रुख़ की केवल निंदा की जा सकती हैं। एडिटर्स गिल्ड और ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन (बीईए) को इसका संज्ञान लेना चाहिए।
एक ट्विटर यूजर ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, चैनल का लक्ष्य सिर्फ विपक्ष की बुराई करना है। वे बौद्धिक रूप से दिवालिया हो चुके हैं। यह पत्रकारिता के प्रति
क्या है मामला ?
कश्मीर घाटी में हालत अब सरकार के नियंत्रण से बाहर हो चुकी हैं। घाटी में आतंकी संगठन सरेआम लोगों की हत्या कर रहे हैं। कश्मीर के लोग खुद सेना पर पत्थरबाजी कर रहे हैं। ऐसे में कुछ राजनीति क दलों के वरिष्ठ नेताओं ने कश्मीर में शांति की दिशा में कदम उठाने की पहल की है। इन नेताओं में बीजेपी के नेता यशवंत सिन्हा, जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव और पूर्व प्रधानमंत्री शरद यादव मौजूद हैं।
सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाये जाने की स्थिति में बीजेपी के नेता यशवंत सिन्हा और जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने इस मुद्दे को लेकर दिल्ली में एक सम्मलेन करने की बात कही है। इसमें कश्मीर के विभिन्न संगठन हिस्सा लेने वाले हैं। साथ में विशेषज्ञ, भाजपा सहित विभिन्न दलों के नेता, लेख क, सामाजिक कार्यकर्ता आदि भी शामिल हो सकते हैं। कहा जा रहा है कि कश्मीर की समस्या को लेकर यह कुछ वरिष्ठ नेताओं की पहल है।
दिल्ली में इसी महीने होने वाले इस सम्मलेन में प्रधानमंन्त्री मनमोहन समेत कश्मीर के राजपरिवार के सदस्य करन सिंह तथा पी. चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, अंबिका सोनी, गुलाम अहमद मीर, रिगजिन जोरा, तारिक हमीद कारा और श्यामलाल शर्मा शामिल हैं।