जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में राज्य के विपक्षी दलों का एक दल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से आज मिला. यह प्रतिनिधिमंडल आर्मी की इस सलाह पर सहमत था कि हालात से जुड़े सभी पक्षों को आपसी बातचीत के जरिए हल तलाशने की कोशिश करनी चाहिए.
उमर ने इस मीटिंग के बाद कहा- मुझे दुख होता है कि जो हम अपने राजनीति क नेतृत्व से सुनना चाहते थे वह आर्मी नेतृत्व की ओर से कहा जा रहा है. उत्तरी कमांडर सोचते हैं कि अलग अलग माइंडसेट वाले लोगों के बीच बातचीत होनी चाहिए. तो अब सवाल यह उठता है कि आखिर हमारे नेता लोग ऐसा क्यों नहीं कर सके.
कश्मीर में हिंसा की वारदातें जारी रहने के बीच आर्मी ने शुक्रवार को अपील की थी कि शांति बनाएं रखें. आर्मी की ओर से कहा गया था कि हर किसी को पीछे हटने की जरूरत है, आर्मी ने कहा था कि वर्तमान हालत से निपटने के लिए मिल बैठकर रास्ता निकालने की जरूरत है.
मामले से जुड़े हरेक को हालात को सुलझाने की दिशा में रास्ता ढूंढने और हालात और अधिक न बिगाड़ने के बीच उत्तरी आर्मी के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हूडा ने कहा था- सिक्यॉरिटी फोर्सेस को संयम बरते की सलाह दी गई है लेकिन इसी के बीच दूसरे हिस्से को भी यह सोचने की जरूरत है कि सिक्यॉरिटी फोर्सेस, पुलिस स्टेशनों और सुरक्षा बलों के ठिकानों पर हमले न हों.
प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को मेमोरेंडम सब्मिट किया और हिंसा को सही तरीके से हैंडल न करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार की आलोचना की. उमर ने कहा- जम्मू कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है. यह प्रशासकीय तरीके से हैंडल नहीं हो सकती. यह मानवीय संकट पैदा करके हैंडल नहीं की जा सकती.