दिल्ली : कश्मीर घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद करने के बाद सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की वारदातों में कमी आई है. दरअसल घाटी में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में बाधा डालने और सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी के लिए युवाओं को वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए उकसाया जाता था.
एक पुलिस अधिकारी ने रविवार को बताया कि करीब 300 वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए पत्थरबाजों को सुरक्षा बलों के ऑपरेशन की जानकारी दी जाती थी और इसके जरिए उन्हें मुठभेड़ स्थल पर इकट्ठा कराया जाता था. अधिकारी के मुताबिक इनमें से अब 90 प्रतिशत वॉट्सऐप ग्रुप बंद हो चुके हैं.
पीटीआई को नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि हर ग्रुप में तकरीबन 250 सदस्य थे. पुलिस ने इन ग्रुप्स और ग्रुप एडमिन की पहचान की, जिन्हें पुलिस ने काउंसलिंग के लिए बुलाया था. उन्हें इस पहल पर अच्छी प्रतिक्रिया मिली. उन्होंने कहा कि पिछले तीन हफ्ते में 300 में से 90 फीसदी व्हाट्सएप ग्रुप्स को बंद कर दिया गया है. इंटरनेट सेवाओं को सस्पेंड करने से मुठभेड़ों के दौरान पथराव पर में कमी आई है.
सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार राज्य में कानून व्यवस्था के लगातार ख़राब होते हालात के बीच दूसरे विकल्पों पर विचार कर रही है. महबूबा सरकार से समर्थन वापसी के हालात में राज्य में राज्यपाल शासन लगाने और नए गवर्नर की नियुक्ति समेत तमाम विकल्पों पर भी विचार चल रहा है.
दो साल पहले जम्मू-कश्मीर में पहली बार बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) की पीडीपी (पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) के साथ मिलकर सरकार बनी थी. सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार घाटी में हालात को सामान्य करने के लिए किसी फौरी ईलाज की तरफ नहीं जाना चाहती. बल्कि एक दूरगामी रणनीति के तहत काम करना चाहती है. सूत्रों के मुताबिक सरकार किसी भी सूरत में अलगाववादियों से बातचीत नहीं करेगी.
मौजूदा हालात से निपटने के लिए केंद्र सरकार सेना और सुरक्षाबलों को आतंकियों और हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की पूरी छूट देने के पक्ष में है. हालांकि सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की आशंका है आने वाले दिनों में घाटी में हालात और बिगड़ सकते हैं. आने वाले दिनों में सीमा पार से घुसपैठ की कोशिशें तेज होने की आशंका है.