shabd-logo

कटाक्ष

hindi articles, stories and books related to kataksh


कंजूस मल एक गांव में एक सेठ रहता था । नाम था धनीराम । कंजूस इतना कि चाहे चमड़ी चली जाए मगर दमड़ी ना जाए । इसलिए लोगों ने उसका नाम कंजूस मल रख दिया था । एक दिन सेठानी ने कहा कि आपने लोभ लालच

लड़का होना गुनाह हो गया है आजकल जमाना कितना बदल गया है आजकल । एक जमाना था जब लड़की होना गुनाह था । अब जमाने ने पलटी मारी है और अब लडका होना गुनाह हो गया है । एक वाकया सुनाता हूं । लखनऊ की व्

बड़े साहब आज सुबह-सुबह "बड़े साहब" मिल गए । वो भी पार्क में टहलने आते हैं और हम भी । बस, वहीं मुलाकात हो गई । खुशी के मारे उनके चेहरे से नूर टपक रहा था । दो दिन पहले जब मिले थे तो उनका चेहरा एक पके ह

कामवाली बाई  आज बॉस के साथ मेरी कहा सुनी हो गयी थी । इस कहा सुनी में कहते तो बॉस ही हैं मैं तो बस सुनता हूँ । बस, बीच बीच में मुस्कुरा भर देता हूँ । इस मुस्कान से बॉस इतना चिढ़ जाते हैं कि वे दां

बंद दरवाजे दिलों की तरह होते हैं दरवाजे । कुछ खुले तो कुछ बंद । जैसे साफ दिल और घाघ दिल । वैसे ही खुले दरवाजे और बंद दरवाजे । जो लोग स्पष्टवादी , निर्मल हृदय और सरल होते हैं वे खुले दरवाजे की तरह

गजब की लड़ाई हो रही थी । पूरा मजमा लग रहा था । दुनिया भर की भीड़ इकठ्ठी हो गई थी । सब लोग तमाशा देख रहे थे । इस देश के लोग इतने "फ्री" हैं कि अगर किसी मकान पर बुलडोजर चलने लगे तो वे शुरु से आखिर तक दे

दुनिया में अगर कोई रिश्ता सबसे प्यारा है तो वह है दोस्ती का रिश्ता । यह एक ऐसा रिश्ता है जिसका वर्णन करना बहुत कठिन है । दिल की बात बिना कुछ कहे जान लेने वाला व्यक्ति एक सच्चा दोस्त कहलाता है । आंखों

रिशा लंच करके अपना पसंदीदा सीरियल "तू तू मैं मैं" देखने बैठी ही थी कि उसकी पड़ोसन रिद्धिमा आ गई । दोनों औरतें पड़ोसन होने के साथ साथ अच्छी सहेलियां भी हैं । दोनों में पटती भी खूब है । बुराई भलाई करने

मैं नशे में हूं बात उन दिनों की है जब पूरा देश प्रथम लॉकडाउन में "बंद" था । हम घर में पड़े पड़े "मुटिया" रहे थे और श्रीमती पर काम की दोहरी मार पड़ रही थी । ऐसे में उन्होंने हमें भी "मजदूरी" पर लगा

दामो जी साहित्यकारों की उस श्रेणी में आते हैं जिसे पोंगा साहित्यकार कहना ही उचित होगा। उन्होंने रचनाएं तो बहुत की पर कोई भी रचना किसी प्रतिष्ठित पत्रिका या अखबार में छपी नहीं। उनको उनकी लेखनी के लिए ब

इंद्र का दरबार सजा हुआ था । सभी देवता सभा में बैठे हुए थे । मेनका , उर्वशी अपने सौंदर्य मिश्रित कला की प्रस्तुति दे रही थीं । अप्सराएं देवताओं को अद्भुत "पेय" पिला रहीं थीं । हास परिहास से सभा भवन चहक

अबला, सबला और आ बला मैं आज सुबह चाय के साथ अखबार का नाश्ता कर रहा था । सुबह सुबह पेट को भूख नहीं लगती है बल्कि दिमाग को लगती है । होठों को प्यास लगती है । मगर ये प्यास पानी से नहीं मिटती बल्कि गरमागर

आरोगोराजस्थान में "जीमण" का बड़ा शौक है । इतना कि महसूस होता है जैसे लोग जिंदा ही "जीमण" के लिए हैं । अगर कोई आदमी मर रहा हो और कोई उसे "जीमण" का निमंत्रण दे दे तो वह आदमी "जीमण" के लिए मौत से कुछ इस

इंतकाल  - 2 शिवचरण और भौती को बेहोश देखकर उनके बच्चे घबरा गए । उन्होंने जोर जोर से रोना शुरू कर दिया । बच्चों के रोने की आवाज सुनकर उनके आस पड़ोसी दौड़कर आये । गांवों में अभी थोड़ी बहुत संव

पंडित रामनाथ मिश्रा । जाने माने पटवारी । सिद्धांत के पक्के । धर्मनिष्ठ व्यक्ति । रोजाना गीता और रामायण का पाठ करते । मंदिर जाकर भजन कीर्तन करते । माथे पर बड़ा सा तिलक लगाते । चेहरे पर गजब की चमक थी उन

यक्ष प्रश्न  - 5 अश्वत्थामा , कृपाचार्य और कृतवर्मा का महाभारत युद्ध के बाद क्या हुआ कोरोना काल भें जब प्रथम लॉकडाउन लगा था तो लोगों के मनोरंजन और हमारे धार्मिक साहित्य को जानने के लिए "रामा

यक्ष प्रश्न  - 3 अजब सवालों के गजब जवाब कोरोना ने जन जीवन इतना ठप्प कर दिया था कि पार्क वगैरह सब पर ताला पड़ गया गया था । घर से बाहर निकलने पर पूर्ण पाबंदी थी । पहला लॉकडाउन तो कमाल का था

यक्ष प्रश्न  - 3 इकोनॉमी वारियर्स यह हास्य व्यंग्य कोरोना काल के प्रथम लॉकडाउन के समय का है । इसे उसी परिप्रेक्ष्य में पढें । लॉकडाउन में मैं और श्रीमती जी । एक दूसरे को देखते , बतियाते ,

कोरोना काल का प्रथम लॉकडाउन चल रहा था । उस समय हमारे मौहल्ले के थानेदार जी ने मुझसे कुछ प्रश्न पूछे थे जिनके मैंने अपने ज्ञान के अनुरूप ठीक ठीक उत्तर दिए थे वे मेरी रचना "यक्ष प्रश्न  - 1" में मि

यक्ष प्रश्न महाभारत में पांडवों के 12 वर्ष के वनवास के समय एक सरोवर में पानी पीने से पहले यक्ष द्वारा पूछे गए प्रश्न सर्वविदित हैं । ये प्रश्र देश , काल से परे हैं । जीवन मूल्यों से संबंधित प्रश्न

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए