एक समय की बात है जब पूरा विश्व "कोरोना" नामक महामारी की चपेट में आया हुआ था । उसके खौफ के सामने यमराज जी का खौफ धूमिल पड़ गया था । लोग त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहे थे । घोर नास्तिक लोग भी पूजा पाठ करके
कलेक्ट्रेट में आज सुबह से ही हड़कंप मचा हुआ था । सुबह से कम से कम दस बार मुख्यमंत्री निवास से फोन आ गया था । स्वयं मुख्यमंत्री जी ने कलेक्टर साहब से बात की थी । कलेक्टर साहब तो इसी बात से धन्य हो गये
सरकार पखाने (शौचालय) खुलवाने पर जोर दे रही है, सामाजिक संगठन मयखाने बंद करवाने पर जोर दे रहे हैं पर हो उल्टा ही रहा है। पखाने तो बन नहीं रहे हैं बल्कि मयखानों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। हद त
एक कहावत है कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं । हो सकता है कोई जमाने में यह बात सही होगी । शायद वह जमाना सम्राट विक्रमादित्य का रहा हो या हरिश्चंद्र का हो । लेकिन अब सब जानते हैं कि आज के जमाने में इ
सीता कबसे फोन मिला रही थी भारती को लेकिन उसका फोन या तो बिजी आता था या स्विच ऑफ । तीन चार दिन हो गए उसको प्रयास करते करते लेकिन कमबख्त फोन था कि लगने का नाम ही नहीं ले रहा था । कभी कभी तो लगता था कि इ
समय बहुत कम था । राज्य के "अपने" समस्त विधायकों को रिजॉर्ट पहुंचने का "फरमान" मुखिया जी ने सुना दिया था । अभी थोड़ी देर में विधायकगण रिजॉर्ट में पहुंचने आरंभ हो जायेंगे । मुखिया जी के दल के 102
आजकल कलेक्टरों को प्रशिक्षण में यह बात भी सिखानी चाहिये कि "रिजॉर्ट मैनेजमेंट" कैसे किया जाये ? पता नहीं कब अचानक इसकी जरूरत पड़ जाये ? अब पारंपरिक प्रशासन का जमाना नहीं रहा । अब तो नित नई परिस्थितयां
जब जिले में कोई नया कलेक्टर आता है तो उसके नजदीक आने की हर अधिकारी , कर्मचारी और जन प्रतिनिधियों में होड़ सी लग जाती है । सबको ऐसा लगता है कि चाहे अपने पारिवारिक सदस्यों के नजदीक सों अथवा ना हों पर स्
कलेक्टर साहब का पी ए एक बहुत "बड़ी तोप" होता है । वह हमेशा कलेक्टर और ADM में झगड़ा करवाने की फिराक में रहता है, क्योंकि इसी में उसका फायदा है । वो आपने सुना ही होगा कि बिल्लियों के झगड़े में बंदर को
हरिवचन भाग 6 मुफ्तखोरी की लत आज लॉकडाउन का 21वां दिन है और लॉकडाउन 1.0 का अंतिम दिन है। आज 10 बजे प्रधानमंत्री जी देश को एक बार पुनः संबोधित करेंगे और उम्मीद है कि लॉकडाउन 2.0 आज घोषित हो जायेगा जो
हरिवचन भाग 5 घृणा वीरों को सलाम कोरोना वीरों से इतर योद्धाओं को सलामी देने की श्रृंखला में आज अंतिम कड़ी में घृणा वीरों को सलामी दी जायेगी । हमारे शास्त्रों और दर्शन में कहा गया है कि आत्मा अजर अमर
हरिवचन भाग 4 तोड़ू फोड़ू संस्कृति के महानायकों को सलाम एक सलाम उन महानायकों को भी बनता है जिन्होंने इस देश को कोरोना की थर्ड स्टेज के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है । जब लॉकडाउन पूरी तर
हरिवचन भाग - 3सोशल मीडिया वीरों को सलाम आज सोशल मीडिया का जमाना है। किसी जमाने में कहा जाता था कि " जीवन के बस तीन मकाम , रोटी, कपड़ा और मकान " वैसे ही आज कहा जाता है कि " जीवन जीने का यही है आइडिया
अरे आग लग जाये सबके मोबाइल में धरती फटे और सबके हाथ से छूटकर मोबाइल जमीन में समा जाये। बताओ चार दिन से कुंजी भाभी ब्यूटी पार्लर के चक्कर लगा रहीं थीं। कभी मेड़ीक्योट, कभी पेडीक्योट, कभी पेटीकोट (सॉरी)
कानपुर का मौसम आजकल कानपुर शहर का मौसम बहुत चर्चित है । हो भी क्यों नहीं । आखिर जून का महीना है और जून में तो उत्तर भारत में चिलचिलाती धूप रहती है जिसके कारण तापमान एवरेस्ट की तरह ऊंचा हो जाता है
कोरोना वारियर्स को सलाम की श्रंखला में मेरा अगला सलाम है भरभूती जी और तिवारी जी जैसे पड़ौसियों को । कितना विशाल हृदय है होता है ऐसे लोगों का । इस हृदय में चाहे पत्नी के लिए कोई जगह हो अथवा ना हो लेकि
हरिवचन - 1 साथियो, कोरोना संकट में हम लोगों के लिए युद्ध स्तर पर जुटे समस्त डॉक्टर, मेडिकल टीम, सर्वे टीम, सफाई कर्मी , पुलिस प्रशासनिक अधिकारी , राजनेता, स्वयंसेवी संगठन आदि के अनथक परिश्रम , सेवा भा
हरिवचन - 1 साथियो, कोरोना संकट में हम लोगों के लिए युद्ध स्तर पर जुटे समस्त डॉक्टर, मेडिकल टीम, सर्वे टीम, सफाई कर्मी , पुलिस प्रशासनिक अधिकारी , राजनेता, स्वयंसेवी संगठन आदि के अनथक परिश्रम , सेवा भा
हास्य-व्यंग्य ऐसी शादी से भगवान बचाए 1980 की बात है। हमारे गांव में एक लड़की को देखने के लिए कुछ लड़के वाले आये । पहले घरों में बहुत सारा सामान नहीं होता था । मौहल्ले से ही अच्छे अच्छे बर्तन
कोई जमाना था जब पत्रकारिता एक जुनून हुआ करती थी । लोगों तक "खबर" पहुंचाना बहुत कठिन काम हुआ करता था । अंग्रेजों का राज था आखिर । ऐसे में कल्पना ही की जा सकती है कि "अखबार" निकालना और उसे लोगों तक पहुं