shabd-logo

कविता- नारी

8 मार्च 2022

34 बार देखा गया 34
आजकल थोडा हारी हारी हुँ मैं ,
क्या इसलिए की इक नारी हुँ मैं ,
पलकों ने तो सजाये सपने हजार ,
जिम्मेदारी कर जाती मुझे बेेजार ।।
हाथ बढाऊ तो मुठ्ठी में आये सारे ,
हाथ फिर भी थामे है जो अपने ही प्यारे ,
सोते जागते हर घडी देते मुझे आवाज ,
चिल्लाना चाहती जोर से , फिर भी मैं बेआवाज ।।
इक बेटी ,पत्नी , बहु ,माँ में गूजराती जिंदगी ,
सच्चाई संग ख्वाबों की ना होगी मौजुदगी ,
इक ही तो जिंदगी हैं उडना चाहती होके आझाद ,
क्या इतनी सी चाहत से मैं हो जाती बज्जाद ।।
क्यु नहीं हो सकते मेरे भी अलग अलग रास्ते ,
क्यु हर एक बंदिशे रिश्तों की मेरे ही वास्ते ,
कहीं से तो निकलकर कहीं तो पहुँचना ही होगा ,
रिश्तों को थोडा बाजू करके मैं को अब पाना होगा ।।
माना मेरा सफर है मुश्किलों से भरा ,
मन के अंदर फिर भी हौसला है पुरा ,
देंगे मुझे ताने समाज के सफेदपोश ठेकेदार ,
गिरकर उठ खडे़ होंगे हम भी बारंबार ।।
अब थान लिया है रास्ता ,मंजिल भी अपनी ,
चले कदम इक साथ वो परछाई भी अपनी ,
पाकर अब बुलंद मेरे ख्वाबों का आकाश  ,
चारों और फैलाना है मेरा तेज - प्रकाश ।।
मत समझो  , तुम नारी हो सताई छाया ,
तुम खुद में हो उस ऊपरवाले की माया ,
तुम्हारे बिन ना होता किसीका  दुनिया में आना ,
तुम्हारे बिना ना होता किसीका गोदी में झूलना ।।
मैं तो निकल चली हुँ  अब खुद की तलाश में ,
बहाने ना  रुकने के कोई अब मेरे पास में ,
रामायण से निकली हुँ पहुँचना लेकिन दूर ,
सदियाँ ना भूल पाये मेरे किर्ती का नूर  ।।
रुक, पुरुष ,ले मुझसे कुछ ख्वाब  उधार, 
चले चला चल संग मेरे बनने मेरा आधार ,
दूर हो जाएगा तुझसे जुदा होने का हर एक डर ,
मिलके बढाते है ना कदम बस अब उम्र भर  ।।
करते है ना सपनों में तेरी -मेरी हिस्सेदारी ,
गम - खुशी की होगी एकसाथ बराबरी  ,
ख्वाब मेरे आसमानी -जमीं मेरी अब भी तु  ,
महले है ऊँचे मेरे - बुनियाद  मेरी अब भी तु  ।।
चलोगे क्या हाथ ठाम मेरे सपनों की और ,
करोंगे क्या कभी मेरी उलझन पर भी गौर  ,
क्या होगा तुमसे  मेरे मन को पढना ,
 क्या होगा तुमसे खुद को खोकर मेरे संग चलना  ।।
 क्या होगा तुमसे फिर मेरे जैसा बनना  ,
 क्या अब होगा तुमसे बिना पर उडना  ,
 क्या हासिल हो पायेगा मुझे मेरा जहाँ  ,
 क्या मिला पाएगा योगदान कुछ अपना  ।।

30
रचनाएँ
चंद बूंद हसरत के
0.0
यह किताब एक हिदीं कविताओं का संग्रह होगी जिसमें आप को हर तरह की भावनाओं पर आधारीत कविता मिलेगी , जिसे पढकर आप खुद को मेरी कविताओं से रिलेट कर पायेगें, आशा है मेरा लिखा आपको पसंद आयेगा!
1

कविता - मेरा समर्पण

10 जनवरी 2022
18
4
4

तुझे पाने की ख्वाहिश मैं ,कितने अधूरे जिये है ,तुझ तक पहुंचते-पहुंचते कितनी हम बिखडे है !तेरी हो जाओ एक दिन ,यह सोच के इतराए हैं ,तेरी ही एक चाह में देखो ,ख्वाबों के महल सजाए हैं !तू दूर कहीं है

2

जिंदगी कविता

12 जनवरी 2022
10
3
3

चंद बूँद आँसू, ढेर सारा प्यार, जिंदगी जाती है, ऐसे ही गुजर ।लेते परशानियों का ठेला, लगता गम का अलग मेला, खुशी जाती बस मुँह दिखाके,उम्मीदें लगती बस हमें बिठाके ।मिलने आते हमें

3

गजल

14 जनवरी 2022
7
2
0

बदला बदला सा आज का समा था,उसके आंखों में एक ख्बाब जमा था ,जो फुर्सत से उसको जीना सिखाता ,थोडा हसाता, पलभर में था रुलाता !क्या था जिससे था वह अनजान ,वो तो थी जिंदगी की नई पहचान ,बस बेहतर से जानना था खु

4

शिवबा - कविता

20 फरवरी 2022
7
0
0

जब कोई पुछे हौसलों का पता,हसके देते शिवबा का नाम बता,जब बढ चढती है हरेक विकृती,याद आती है शिवबा की नीती !पग पग जब जाते किसीके डोल,हौसला देते हमें शिवबा के बोल ,आगे की राह जब लगे कहीं मुश्किल,डुबती कश्

5

कविता- ना हारे हम

21 फरवरी 2022
5
0
0

ना हारे हममुश्किलें जो हारे नहीं ,हिम्मत कैसे हार गई ,मौत ने बुलाया नहीं, जिंदगी कैसे चली गई ।।तकलीफें तो कल भी थी ,फिर वो हमेशा रहेंगी ,क्या अपनों की कोई डोर ,तुझसे अबतक बंधी न

6

कविता - ना हारे हम( सुशांत राजपुत)

25 फरवरी 2022
4
0
0

मुश्किलें जो हारे नहीं ,हिम्मत कैसे हार गई ,मौत ने बुलाया नहीं, जिंदगी कैसे चली गई ।।तकलीफें तो कल भी थी ,फिर वो हमेशा रहेंगी ,क्या अपनों की कोई डोर ,तुझसे अबतक बंधी नहीं ।।गम त

7

कविता बालिका वधू

25 फरवरी 2022
5
0
0

रिवाजों की बंदिश में, जखडी थी इक चिडीया आँखों में लिए नमीं, होंठों से हसती थी गुडियाँ, छुरी, पतेले , कढाई ,पोछा , थे उसके खेलखिलोने, बचपन के हसीन सपने, ना थे उसके जीने के बहाने ।।देखों

8

दहेज- कविता

1 मार्च 2022
5
2
2

कितना मंहगा दिया है किसीने आज दहेज ,बचपन से जवानी तक का साथ दिया सहेज ,पेट काँट काँट कर किया गुजारा दिया सारा ,हँसता गुँजता दिल का खिलौना दिया प्यारा ।।नन्ही नन्ही चाही चाही सी

9

जिंदगी तू मेरी क्या लगती है

4 मार्च 2022
5
1
0

कभी महफिल तो कभी खुद तनहाई,कभी दर्द तो कभी खुशी की शहनाई,कभी जवानी कभी बिते दिनों की कहानी,कभी सहेली तो अपने आप में एक पहेली,कभी आरजू तो कभी कर दे मुझे अकेली,कभी साथ तो कभी खुद ही बेबस बेचारी,सच बता ज

10

बिकता है सब - कविता

7 मार्च 2022
5
1
2

कितना कुछ बिकता है,कितना कुछ खरीदा है,यहां सब ही बिकता है,यहां सब पराया ही है !बोतल में पानी बिकता ,सिलींडर में हवा बिकती,सांसो के लिए बोली लगती,बिकती है करोडों में मिट्टी!बिकता है यहां हर इन्सान,बिकत

11

कविता- नारी

8 मार्च 2022
5
1
0

आजकल थोडा हारी हारी हुँ मैं ,क्या इसलिए की इक नारी हुँ मैं ,पलकों ने तो सजाये सपने हजार ,जिम्मेदारी कर जाती मुझे बेेजार ।।हाथ बढाऊ तो मुठ्ठी में आये सारे ,हाथ फिर भी थामे है जो अपने ही प्यारे ,सोते जा

12

ये उन दिनों की बात है!

10 मार्च 2022
4
2
0

ये उन दिनों की बात है ,जब नक्शे में सिर्फ हिंदुस्तान था,ना कोई पाक, ना कोई भारत था ,मुल्क अपना एक गुलिस्तान था ।। ये उन दिनों की बात है ,जब मजहब ही मोहब्बत थी ,ना कोई मुस्लिम, ना कोई

13

भूख

11 मार्च 2022
3
0
0

कैसी लगी है लोगों को आजकल भूख ,नहीं दिखाई देता अपने अपनों का मुख ,मुँह पर करते तारीफें पीठ पिछे देते चोट ,पहने सभी ने यहाँ शराफतों के हँसी कोट ।।खुर्ची के लिए खिंचते अपनों को ही नीचे ,कहाँ प्यार

14

कविता - अनकही बातें

11 मार्च 2022
1
0
0

मिले थे जिस रोज तुझसे,थे हम एकदुसरे से अनजान,सोचती हुं इतने सालों में भी, क्या हो पाई है जान पहचान!कितनी बातें तू बगैर पुछे ही,अपने आप ही बोल जाता था,ढेर सारी बातों को लेकिन फिर,नाजाने क्यूं दिल

15

कविता - उम्मीद

12 मार्च 2022
2
1
1

इक दिन दरवाजे से आएगी,मुझसे भी मिलने ये उम्मीद,फूलों का ना ताज होगा पहना,यकिन ही होगा उसका गहना!चोटील कहीं वो होगी अकेली,पास होकर भी वो एक पहेली,हरपल मन से उठती वो डोली,इन्सान की खासमखास सहेली!करने लग

16

कविता - अँखियों के झरोके से

13 मार्च 2022
1
0
0

वह देखती थी होकर कभी बदहाल, मुझे बेवजह अँखियों के झरोके से, मेरा खयाल तो ना थी वह लडकी,पर हाल मेरा हमेशा सवार लेती थी ।क्या बताये बातें अब हम उसकी, आँखों में ही हमें छिपा लेती थी,

17

कॉलेज के दिन

14 मार्च 2022
0
0
0

क्या प्यारे प्यारे लगते थे,कॉलेज के वो सुहाने दिन,गूजरा करते थे हरवक्त जो,सपनों को अपने गिन गिन !कॅन्टीन की दोस्तों संग मस्ती,भाग जाती छायी हुंवी सुस्ती ,मजहार में फसी थी कश्ती,उभर आती थी हमारी हस्ती

18

बंद दरवाजे

15 मार्च 2022
0
0
0

कितने बंद दरवाजे के पिछे, छिपी थी ना वो शख्सियत,आंखों में थी थोडीसी नमी, चेहरे पर थी कुछ तो कमी।अपने ही सोच में कैद थी वो, बाहर का उजाला उसे डराता, एक हादसे ना जाने क्यू ही,&

19

बसेरा

16 मार्च 2022
1
0
0

कुछ अलग सा ही था ,अाज का उसका सवेरा,चारों तरफ था उसके,बिते यादों का डेरा !कभी खुद में हस देता,बेवजह ही कभी रोता,कभी घंटों रहता खोया,बिस्तर पर ना होता सोया !एक पहेली जैसा था वह,आज में होकर गुम था वह,सो

20

होली

17 मार्च 2022
0
0
0

रंगीबिरंगी ख्बाबों से मिलकर,आई रंगो से सजी रंगीली होली,रंगों में भिगकर कितने गोपियों की,भिग गई रंगों में रंगीबिरंगी चोली!गूजिया से सजे खुबसुरत पकवान,पिने में साथ में शिवजी का वरदान,हरा, नीला, पिला ,ला

21

सामाजिक भ्रष्टाचार

18 मार्च 2022
0
0
0

डरी सहमी सी इक जिंदगी, आकर खडी हुवी मेरे सामने, तन के साथ मन भी घायल, चोटील थी पांव की पायल! खरोचने के निशान बदन पर, आंखों से ना बहे पानी की धार, खुद में ही उलझी सदबुद खोई, गहरी थी उसके दर्द की खाई! अ

22

एकतरफा प्यार

19 मार्च 2022
0
0
0

गूजर के आये जो देखो हम,जिन गलियारों में सुबह शाम,उन्हीं गलियारों में आज अपने,बिछडने के चर्चे है सरेआम !अरमानों के एकसाथ ही,हुवें थे कितने खुलके खर्चे,कटे थे किताबों के पन्नों से,तेरे नाम के लगातार परछ

23

घूम्मकर

20 मार्च 2022
0
0
0

घूम घूम कर एक घुमक्कर ,आ पहुंचा कहीं से मेरे द्वार ,आंखें जिसकी हो ऐसी की,करे वो खुशियों का व्यापार !बातों में इतनी मिठास की ,चाशनी सी मैं घुल जाऊ ,रुप उसका सुंदर सलोना ,पास मैं उसके रुक जाओ !एक झलक म

24

बटवारे से बट गई जिंदगी

21 मार्च 2022
1
1
1

मुल्कों के बटवारे में, जिंदगी खो गई,मौत का लिबाज पहने, हमेशा के लिए सो गई,मोहब्बत का दर्या जो रहता तेरे अंदर,एक पल सोकर हो गया अमर ।।जज्बातों का कैसा था वो दौर,अशांती, नफरत फैली थी चारों आैर,भाईचारे स

25

चूहे बिल्ली का खेल

22 मार्च 2022
1
0
0

इंसान भी ना जाने क्यूं चूहे बिल्ली से हो गये,कौन किसीके साथ उलझे किस्से मशहूर हो गये,बेमतलब ही लगाते है यहां अपनों पे इल्जाम,देख लडका लडकी को साथ करते है बदनाम!यकिन तो सिर्फ कसम की अमानत बनकर रहा,किया

26

रैना बीती जाये

23 मार्च 2022
1
1
2

कम कर दो ना थोडा सा झिझकना, मुझसे होले होले बेवजह शरमाना,जो बात छिपी है महफूज दिल में,लबों से कह दो ना अब खुलकर!इंतजार में तेरे मेरी सदिया है बीती,जानते हो ना मैं तेरे दिये की बाती,हमेशा रही मैं

27

नश्वर

24 मार्च 2022
0
0
0

सारा जहां आसपास का मेरे, हो जायेगा एक दिन नश्वर,यादों में ही रह जायेगा पाया था कभी मैनें जमीं पे ईश्वर,उम्मीदें भी कितनी जिंदगी से रह जायेगी हर पल बाकी,थोडा अपना, थोडा पराया क्या मिल पायेगा कोई साकी!च

28

गुस्सा

25 मार्च 2022
0
0
0

एक पल में गुस्सा ,दूजे पल में प्यार ,कैसा अलग है तू ,नादाँ सा मेरा यार ।।बेवजह रूठ जाता ,अपने आप मान जाता ,बेचैनी में दिन गूजरता ,रात में भी नी चैन पाता ।।छोटी छोटी बातों को ,बेमतलब दिल पर लेता ,इतनी

29

एक छोटी सी कविता

26 मार्च 2022
0
0
0

मेरे दिल की हर ख्वाईश,मेरे सपनों की फरमाईश,रुठे लफ्जों की बंदगी, कविता है मेरी जिंदगी! आती है मेरे

30

जहन

26 मार्च 2022
0
0
0

इस कदर यूं तेरा ,मेरी यादों में है डेरा ,कि आजकल चाहकर ,मेरा मुझमें भी ना बसेरा ।।जो अनमोल था रिश्ता मेरा ,तू मोलभाव कर चला गया , हर एहसास को मेरे , मतलब कहकर चला गया ।। न होती थी

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए