कितना मंहगा दिया है किसीने आज दहेज ,
बचपन से जवानी तक का साथ दिया सहेज ,
पेट काँट काँट कर किया गुजारा दिया सारा ,
हँसता गुँजता दिल का खिलौना दिया प्यारा ।।
नन्ही नन्ही चाही चाही सी उम्मीदें ,
चाशनी से भी मिठी छोटी सी फर्माईशें,
स्कूल बँग , नोटबुक और मनचाहे सफर ,
एक झटके में पैक करके स्टीकर लगाया उपर ।।
छम छम बजती वो तेरी पायल की झनकार ,
रोता देख तूझे मन को जीवन लगे बेकार ,
गिरने पर चोट लगने का वो अनजाना मेरा डर ,
देखु मैं तुझे बेबजाह यूंही आँखें भर भर ।।
तितलियों सा तेरा बचपन दिया मैंने बाँध ,
जवानी संग तुने गुजारी तेरी वो साँझ ,
दिल निकाल के दिया मेरा अरमानों से भरा ,
तेरे संग ससुराल चला जहाँ मेरा पूरा ।।
वो मुस्कुराते सपने, तेरी नाराज नाराज रातें ,
भरी दोपहरे में प्यार से भरी तेरी सुबहें ,
छोटी छोटी बातों पर मठ्ठे उठती रेखाएँ ,
तुने बचपने में अपने कितनी बातें मुझे सिखाई ।।
बडा भारी भारी है ये जो दिया दहेज का खजाना ,
सोच समझकर ही इसे धीमे धीमे इस्तेमाल करना ,
देखना ना कभी भी ना छुटे इसका एक भी सिरा ,
आँखो के अनमोल मोती को तू ना देना गिरा ।।
थोडा थोडा संभल जाना सिख कुछ मुझसे ,