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दहेज- कविता

1 मार्च 2022

51 बार देखा गया 51
कितना मंहगा दिया है किसीने आज दहेज  ,
बचपन से जवानी तक का साथ दिया सहेज  ,
पेट काँट काँट कर किया गुजारा दिया सारा  ,
हँसता गुँजता दिल का खिलौना दिया प्यारा  ।।
नन्ही नन्ही चाही चाही सी उम्मीदें  ,
चाशनी से भी मिठी छोटी सी फर्माईशें, 
स्कूल बँग , नोटबुक  और मनचाहे सफर  ,
एक झटके में पैक करके स्टीकर लगाया उपर ।।
छम छम बजती वो तेरी पायल की झनकार  ,
रोता देख तूझे मन को जीवन लगे बेकार  ,
गिरने पर चोट लगने का वो अनजाना मेरा डर  ,
देखु मैं तुझे बेबजाह यूंही आँखें भर भर  ।।
तितलियों सा तेरा बचपन दिया मैंने बाँध  ,
जवानी संग तुने गुजारी तेरी वो साँझ  ,
दिल निकाल के दिया मेरा अरमानों से भरा  ,
तेरे संग ससुराल चला जहाँ मेरा पूरा  ।।
वो मुस्कुराते सपने, तेरी नाराज नाराज रातें  ,
भरी दोपहरे में प्यार से भरी तेरी सुबहें  ,
छोटी छोटी बातों पर मठ्ठे उठती रेखाएँ ,
तुने बचपने में अपने कितनी बातें मुझे सिखाई  ।।
बडा भारी भारी है ये जो दिया दहेज का खजाना  ,
सोच समझकर ही इसे धीमे धीमे इस्तेमाल करना  ,
देखना ना कभी भी ना छुटे इसका एक भी सिरा  ,
आँखो के अनमोल मोती को तू ना देना गिरा ।।
थोडा थोडा संभल जाना सिख कुछ मुझसे ,
Sagheer lucky

Sagheer lucky

Bahut umdaaaaaaa 👌👌

1 मार्च 2022

sangita kulkarni

sangita kulkarni

1 मार्च 2022

Thank you .if you like my articles , please follow me

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रचनाएँ
चंद बूंद हसरत के
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यह किताब एक हिदीं कविताओं का संग्रह होगी जिसमें आप को हर तरह की भावनाओं पर आधारीत कविता मिलेगी , जिसे पढकर आप खुद को मेरी कविताओं से रिलेट कर पायेगें, आशा है मेरा लिखा आपको पसंद आयेगा!
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कविता - मेरा समर्पण

10 जनवरी 2022
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तुझे पाने की ख्वाहिश मैं ,कितने अधूरे जिये है ,तुझ तक पहुंचते-पहुंचते कितनी हम बिखडे है !तेरी हो जाओ एक दिन ,यह सोच के इतराए हैं ,तेरी ही एक चाह में देखो ,ख्वाबों के महल सजाए हैं !तू दूर कहीं है

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जिंदगी कविता

12 जनवरी 2022
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चंद बूँद आँसू, ढेर सारा प्यार, जिंदगी जाती है, ऐसे ही गुजर ।लेते परशानियों का ठेला, लगता गम का अलग मेला, खुशी जाती बस मुँह दिखाके,उम्मीदें लगती बस हमें बिठाके ।मिलने आते हमें

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गजल

14 जनवरी 2022
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बदला बदला सा आज का समा था,उसके आंखों में एक ख्बाब जमा था ,जो फुर्सत से उसको जीना सिखाता ,थोडा हसाता, पलभर में था रुलाता !क्या था जिससे था वह अनजान ,वो तो थी जिंदगी की नई पहचान ,बस बेहतर से जानना था खु

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शिवबा - कविता

20 फरवरी 2022
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जब कोई पुछे हौसलों का पता,हसके देते शिवबा का नाम बता,जब बढ चढती है हरेक विकृती,याद आती है शिवबा की नीती !पग पग जब जाते किसीके डोल,हौसला देते हमें शिवबा के बोल ,आगे की राह जब लगे कहीं मुश्किल,डुबती कश्

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कविता- ना हारे हम

21 फरवरी 2022
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ना हारे हममुश्किलें जो हारे नहीं ,हिम्मत कैसे हार गई ,मौत ने बुलाया नहीं, जिंदगी कैसे चली गई ।।तकलीफें तो कल भी थी ,फिर वो हमेशा रहेंगी ,क्या अपनों की कोई डोर ,तुझसे अबतक बंधी न

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कविता - ना हारे हम( सुशांत राजपुत)

25 फरवरी 2022
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मुश्किलें जो हारे नहीं ,हिम्मत कैसे हार गई ,मौत ने बुलाया नहीं, जिंदगी कैसे चली गई ।।तकलीफें तो कल भी थी ,फिर वो हमेशा रहेंगी ,क्या अपनों की कोई डोर ,तुझसे अबतक बंधी नहीं ।।गम त

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कविता बालिका वधू

25 फरवरी 2022
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रिवाजों की बंदिश में, जखडी थी इक चिडीया आँखों में लिए नमीं, होंठों से हसती थी गुडियाँ, छुरी, पतेले , कढाई ,पोछा , थे उसके खेलखिलोने, बचपन के हसीन सपने, ना थे उसके जीने के बहाने ।।देखों

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दहेज- कविता

1 मार्च 2022
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कितना मंहगा दिया है किसीने आज दहेज ,बचपन से जवानी तक का साथ दिया सहेज ,पेट काँट काँट कर किया गुजारा दिया सारा ,हँसता गुँजता दिल का खिलौना दिया प्यारा ।।नन्ही नन्ही चाही चाही सी

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जिंदगी तू मेरी क्या लगती है

4 मार्च 2022
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कभी महफिल तो कभी खुद तनहाई,कभी दर्द तो कभी खुशी की शहनाई,कभी जवानी कभी बिते दिनों की कहानी,कभी सहेली तो अपने आप में एक पहेली,कभी आरजू तो कभी कर दे मुझे अकेली,कभी साथ तो कभी खुद ही बेबस बेचारी,सच बता ज

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बिकता है सब - कविता

7 मार्च 2022
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कितना कुछ बिकता है,कितना कुछ खरीदा है,यहां सब ही बिकता है,यहां सब पराया ही है !बोतल में पानी बिकता ,सिलींडर में हवा बिकती,सांसो के लिए बोली लगती,बिकती है करोडों में मिट्टी!बिकता है यहां हर इन्सान,बिकत

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कविता- नारी

8 मार्च 2022
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आजकल थोडा हारी हारी हुँ मैं ,क्या इसलिए की इक नारी हुँ मैं ,पलकों ने तो सजाये सपने हजार ,जिम्मेदारी कर जाती मुझे बेेजार ।।हाथ बढाऊ तो मुठ्ठी में आये सारे ,हाथ फिर भी थामे है जो अपने ही प्यारे ,सोते जा

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ये उन दिनों की बात है!

10 मार्च 2022
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ये उन दिनों की बात है ,जब नक्शे में सिर्फ हिंदुस्तान था,ना कोई पाक, ना कोई भारत था ,मुल्क अपना एक गुलिस्तान था ।। ये उन दिनों की बात है ,जब मजहब ही मोहब्बत थी ,ना कोई मुस्लिम, ना कोई

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भूख

11 मार्च 2022
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कैसी लगी है लोगों को आजकल भूख ,नहीं दिखाई देता अपने अपनों का मुख ,मुँह पर करते तारीफें पीठ पिछे देते चोट ,पहने सभी ने यहाँ शराफतों के हँसी कोट ।।खुर्ची के लिए खिंचते अपनों को ही नीचे ,कहाँ प्यार

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कविता - अनकही बातें

11 मार्च 2022
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मिले थे जिस रोज तुझसे,थे हम एकदुसरे से अनजान,सोचती हुं इतने सालों में भी, क्या हो पाई है जान पहचान!कितनी बातें तू बगैर पुछे ही,अपने आप ही बोल जाता था,ढेर सारी बातों को लेकिन फिर,नाजाने क्यूं दिल

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कविता - उम्मीद

12 मार्च 2022
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इक दिन दरवाजे से आएगी,मुझसे भी मिलने ये उम्मीद,फूलों का ना ताज होगा पहना,यकिन ही होगा उसका गहना!चोटील कहीं वो होगी अकेली,पास होकर भी वो एक पहेली,हरपल मन से उठती वो डोली,इन्सान की खासमखास सहेली!करने लग

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कविता - अँखियों के झरोके से

13 मार्च 2022
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वह देखती थी होकर कभी बदहाल, मुझे बेवजह अँखियों के झरोके से, मेरा खयाल तो ना थी वह लडकी,पर हाल मेरा हमेशा सवार लेती थी ।क्या बताये बातें अब हम उसकी, आँखों में ही हमें छिपा लेती थी,

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कॉलेज के दिन

14 मार्च 2022
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क्या प्यारे प्यारे लगते थे,कॉलेज के वो सुहाने दिन,गूजरा करते थे हरवक्त जो,सपनों को अपने गिन गिन !कॅन्टीन की दोस्तों संग मस्ती,भाग जाती छायी हुंवी सुस्ती ,मजहार में फसी थी कश्ती,उभर आती थी हमारी हस्ती

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बंद दरवाजे

15 मार्च 2022
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कितने बंद दरवाजे के पिछे, छिपी थी ना वो शख्सियत,आंखों में थी थोडीसी नमी, चेहरे पर थी कुछ तो कमी।अपने ही सोच में कैद थी वो, बाहर का उजाला उसे डराता, एक हादसे ना जाने क्यू ही,&

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बसेरा

16 मार्च 2022
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कुछ अलग सा ही था ,अाज का उसका सवेरा,चारों तरफ था उसके,बिते यादों का डेरा !कभी खुद में हस देता,बेवजह ही कभी रोता,कभी घंटों रहता खोया,बिस्तर पर ना होता सोया !एक पहेली जैसा था वह,आज में होकर गुम था वह,सो

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होली

17 मार्च 2022
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रंगीबिरंगी ख्बाबों से मिलकर,आई रंगो से सजी रंगीली होली,रंगों में भिगकर कितने गोपियों की,भिग गई रंगों में रंगीबिरंगी चोली!गूजिया से सजे खुबसुरत पकवान,पिने में साथ में शिवजी का वरदान,हरा, नीला, पिला ,ला

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सामाजिक भ्रष्टाचार

18 मार्च 2022
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डरी सहमी सी इक जिंदगी, आकर खडी हुवी मेरे सामने, तन के साथ मन भी घायल, चोटील थी पांव की पायल! खरोचने के निशान बदन पर, आंखों से ना बहे पानी की धार, खुद में ही उलझी सदबुद खोई, गहरी थी उसके दर्द की खाई! अ

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एकतरफा प्यार

19 मार्च 2022
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गूजर के आये जो देखो हम,जिन गलियारों में सुबह शाम,उन्हीं गलियारों में आज अपने,बिछडने के चर्चे है सरेआम !अरमानों के एकसाथ ही,हुवें थे कितने खुलके खर्चे,कटे थे किताबों के पन्नों से,तेरे नाम के लगातार परछ

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घूम्मकर

20 मार्च 2022
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घूम घूम कर एक घुमक्कर ,आ पहुंचा कहीं से मेरे द्वार ,आंखें जिसकी हो ऐसी की,करे वो खुशियों का व्यापार !बातों में इतनी मिठास की ,चाशनी सी मैं घुल जाऊ ,रुप उसका सुंदर सलोना ,पास मैं उसके रुक जाओ !एक झलक म

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बटवारे से बट गई जिंदगी

21 मार्च 2022
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मुल्कों के बटवारे में, जिंदगी खो गई,मौत का लिबाज पहने, हमेशा के लिए सो गई,मोहब्बत का दर्या जो रहता तेरे अंदर,एक पल सोकर हो गया अमर ।।जज्बातों का कैसा था वो दौर,अशांती, नफरत फैली थी चारों आैर,भाईचारे स

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चूहे बिल्ली का खेल

22 मार्च 2022
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इंसान भी ना जाने क्यूं चूहे बिल्ली से हो गये,कौन किसीके साथ उलझे किस्से मशहूर हो गये,बेमतलब ही लगाते है यहां अपनों पे इल्जाम,देख लडका लडकी को साथ करते है बदनाम!यकिन तो सिर्फ कसम की अमानत बनकर रहा,किया

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रैना बीती जाये

23 मार्च 2022
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कम कर दो ना थोडा सा झिझकना, मुझसे होले होले बेवजह शरमाना,जो बात छिपी है महफूज दिल में,लबों से कह दो ना अब खुलकर!इंतजार में तेरे मेरी सदिया है बीती,जानते हो ना मैं तेरे दिये की बाती,हमेशा रही मैं

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नश्वर

24 मार्च 2022
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सारा जहां आसपास का मेरे, हो जायेगा एक दिन नश्वर,यादों में ही रह जायेगा पाया था कभी मैनें जमीं पे ईश्वर,उम्मीदें भी कितनी जिंदगी से रह जायेगी हर पल बाकी,थोडा अपना, थोडा पराया क्या मिल पायेगा कोई साकी!च

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गुस्सा

25 मार्च 2022
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एक पल में गुस्सा ,दूजे पल में प्यार ,कैसा अलग है तू ,नादाँ सा मेरा यार ।।बेवजह रूठ जाता ,अपने आप मान जाता ,बेचैनी में दिन गूजरता ,रात में भी नी चैन पाता ।।छोटी छोटी बातों को ,बेमतलब दिल पर लेता ,इतनी

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एक छोटी सी कविता

26 मार्च 2022
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मेरे दिल की हर ख्वाईश,मेरे सपनों की फरमाईश,रुठे लफ्जों की बंदगी, कविता है मेरी जिंदगी! आती है मेरे

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जहन

26 मार्च 2022
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इस कदर यूं तेरा ,मेरी यादों में है डेरा ,कि आजकल चाहकर ,मेरा मुझमें भी ना बसेरा ।।जो अनमोल था रिश्ता मेरा ,तू मोलभाव कर चला गया , हर एहसास को मेरे , मतलब कहकर चला गया ।। न होती थी

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