ग़मों को अपने छुपाऊं कैसे । सबको ये सच बताऊं कैसे ।। ऐतबार नहीं जब उनको
मिरी तलाश ख़त्म हो गई अब । अपने वजूद से मिल चुका हूँ मैं ।। ©डॉक्टर वासि
🌺 चंद अश'आर 🌺 शीर्षक( उनवान ) - " धुंध इश्क़ की "
ग़मों का पिटारा अब खोलेंगे हम । बिछड़ कर उनसे बस रोलेंगे हम ।। ©डॉक्टर वा
इश्क़ करने का बहाना चाहिए । उन्हें एक आशिक़ दीवाना चाहिए ।। जहां कद्र हो
🌺 मतला और एक शे'र 🌺 ये कैसी उलझन में पड़ गया हूँ मैं । हिज्र से अकेले
मेरी हसरत " - क़ायनात के हर ज़र्रे से प्यार है । चमन
शीर्षक - " शर्मीला चाँद " मेरा चांद बहुत शर्मीला है