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कहता हूं, जब पूर्ण धैर्यशील हो जाऊँगा......

12 सितम्बर 2022

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कहता हूं, जब पूर्ण धैर्यशील हो जाऊँगा,
जब मैं अभिलाषा के पंख लगाऊँगा।
जब मानव बनने को तत्पर कहलाऊँगा,
उर्मित मन के उपवन में ज्ञान के दीप जलाऊँगा।
जब मानव धर्म निभाने को अपनी बाते बोलूंगा,
आते-जाते संशय को धैर्य तराजू तौलूंगा।
जीवन का नूतन उद्देश्य, खुद को जो समझाऊँगा,
सत्य सलिल से जल पीकर तब मानव कहलाऊँगा।।


जीवन के उपवन में, तत्पर होऊँ पुष्प खिलाने को,
जीवन पथ पर निर्णीत है, चाहूं जो शीश नवाने को।
अंधकार पथ पर अधिक जो फैलेगा अहंकार का,
मानव बन उद्धत जो होऊँ, खुद को समझाने को।
जीवन के उपसर्गों से पढने को नया पाठ बनाऊँगा,
जीवन उत्सव का भाव प्रेम, राग मल्हार के गाऊँगा।
जीवन पथ का धर्म विशेष, जो खुद को समझाऊँगा।
सत्य सलिल से जल पीकर तब मानव कहलाऊँगा।।


जीवन पथ की गरिमा, जो मैं भ्रम के जाले तोड़ूंगा,
व्यर्थ भाव अभिमान से पोषित भाव को अपने छोड़ूंगा।
हृदय में बनने को दुविधा की गांठ, होगा जो बलशाली।
मंजिल तक जाने की लालसा, निष्ठा की ओर ही दौड़ूंगा।
मैं मानव बनने को तत्पर हो, आगे जो कदम बढाऊंगा,
जीवन की लहरे अधिक तेज, जो नाव किनारे लाऊँगा।
ओस बूंद सी लालसा मन की, जो खुद को समझाऊँगा,
सत्य सलिल से जल पीकर, तब मानव कहलाऊँगा।।

होगा जो अतिशय कठिन, धैर्यशील भाव को पाने में,
मैं पथ का पथिक हूं, संशय क्यों पालूँ धर्म निभाने में।
जीवन पर कंकर-कांटे, डरना क्यों गति बढाने में,
है सत्य यही धर्म पथिक का, मंजिल तक कदम बढाने में।
मैं मन मानवता की चाह लिए अपने नियम बनाऊँगा,
कह दूंगा फिर जो कहना है और कहने पर मुसकाऊँगा।
जीवन जलधारा है अमृत सा, जो खुद को समझाऊँगा,
सत्य सलिल से जल पीकर, तब मानव कहलाऊँगा।।

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रचनाएँ
काव्य कुंज-बोलो तो सहदेव
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कविताएँ निराश मन में आशाओं के दीप प्रज्वलित करती है। सार्थक कविताएँ हमें जीवन की राह बतलाती है, साथ ही मन में ग्रसित "हताशा" के भार को हटाती है। तब हम सकारात्मक होकर सोचते है। जीने के लिए उद्धत होते है और फिर से नव उर्जा से संचारित होकर पथ पर आगे बढने को लालायित हो जाते है। कविता वस्तुता रचना का पद्ध स्वरुप होता है, जिससे की हम गाते है। लेकिन जब रचनाएँ श्रेष्ठ होती है, हम गान तो करते ही है, साथ ही हम इससे प्रेरणा भी प्राप्त करते है। विशेष- इस पुस्तक "काव्य कुंज-बोलो तो सहदेव" को मैंने अपने पर-पितामह स्व. श्री सहदेव ठाकुर को समर्पित किया है। मदन मोहन"मैत्रेय
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परिधि जीवन के उन्मुक्त भाव का

27 जुलाई 2022
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परिधि जीवन के उन्मुक्त भाव का। सागर सी लहरे भी उठते जाते। पथिक पथ पर ही-है, होती है बातें। उन्मत सी फिर है संशय की रातें। अरी लुभावनी जीवन, तू संग तो आ। मैं नव संगीत पिरोऊँ, तू प्रेम गीत तो गा।। माना

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कनक प्रभा की आभाओं में लिपटा

27 जुलाई 2022
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कनक प्रभा की आभाओं में लिपटा। जीवन की आशाएँ फिर सींचित हो। स्वप्न लोक की सजीव हुई भाव भंगिमा। जीवन्त हुआ फिर स्वर गुंजित हो। जो ठान लिया मन में, किया कर्म के द्वारा। मानव वह ,पथ पर नहीं कभी है हारा।।

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जीवन की धग-धग जलती मरुधरा

27 जुलाई 2022
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जीवन की धग-धग जलती मरुधरा। पथ पर कभी अधिक तीव्र होता है ताप। कभी हृदय कुंज में चुभता है संताप। कभी तो विकल हो करता है आलाप। पर क्यों इतना हलचल है,धैर्य का ले-लो संबल। अरे ओ राही, पथ पर धीरे-धीरे चल।।

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जीवन, उस घट में रखे सुधा बिंदु को

3 अगस्त 2022
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जीवन, उस घट में रखे सुधा बिंदु को। तनिक ठहरो! मैं मंथन तो कर लूं। प्यासा भी हूं, होंठों पर तो धर लूं। तुम ठहरो तनिक, मन की अपनी कर लूं। तुम जीवन, मेरे द्वंद्व पर ऐसे ही मुसकाओगे। मैं अपनी बात बताऊंगा,

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तुम भी तो हो वसुधा के मानव

3 अगस्त 2022
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तुम भी तो हो वसुधा के मानव। निहित कर्तव्य निभाओ जीवन का। खिल भी लो पुष्प नव नूतन सा। चहको भी कुंजर बन उपवन का। जीवन की उपमानों को कर आलेखित। इसकी धारा के अनुरूप भाव कर लो।। मानो नहीं नियम, कोई बात नह

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चिर आनंद हो उपवन का

5 अगस्त 2022
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चिर आनंद हो उपवन का। सुधा सरस सी धारा बहती हो। गुंजित होता हो मधुकर के कलरव से। सुन्दर सा उपवन, चंदन से लेपित हो। तनिक प्रहर बीते, मैं शांति मन की पा लूं। हे कोकिल तुम बोलो, कहां पड़ाव मैं डालूं? जगमग

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गूंज, जीवन के अभिलाषा का

6 अगस्त 2022
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गूंज, जीवन के अभिलाषा का। शब्द, पथ पर बढने की आशा का। मंथन करता हूं, सत्य की परिभाषा का। फिर क्यों गठरी बांधे रहूं, व्यर्थ निराशा का। मैं मन की माला में प्रेम के धागे डालूं। तुम ठहरो तो, तुम्हें अपनी

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हे जगत पति....प्रभु करुणेश्वर

9 अगस्त 2022
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हे जगत पति...प्रभु करुणेश्वर। महेश. प्रभु गह्यो तेरो चरणा। हे उमापति शंभु, प्रभु विश्वेश्वर। बम-बम भोले, दया शिवा करना। चंद्र मौली प्रभु तेरे भाल विराजत। अलख निरंजन भोले शंकर-भोले शंकर।। कर्पुर गौरं

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यह जीवन का मरुभूमि है

14 अगस्त 2022
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यह जीवन का मरुभूमि है। पथ पर चलने बाले, चलता-चल। निर्णय करने को समय खड़ा। तुम तो निज स्वभाव में ढलता-चल। होने को जो हो, जीत-हार को रहने दे। ओ पथिक, तुम दीपक सा जलता-चल।। माना कि लंबा बियाबान डगर है। प

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ओ मोहना.....मन मोहना

18 अगस्त 2022
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ओ मोहना....मन मोहना।यमुना के तीरे बंसी बजाएँ।श्याम तेरी मुरलियाँ मन को लुभाए।प्यारे नटवर तू माखन चुराये।गैया चराये तू ब्रज का कन्हैया।तू बांका छबीला, यशोदा तेरी मैया।।नटवर.. नटखट राधा के मोहन।छटा निरा

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मन, जीवन पथ का पथिक बने हो

27 अगस्त 2022
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मन, जीवन पथ का पथिक बने हो।मानव बन,कर लो सत्य सुधा का ज्ञान।अरे पथिक संभलो अब तो, पथ लंबा है।जीवन है, नहीं पालो तनिक अभिमान।सोचो तो, क्या पाया-क्या खोया अब तक?जीवन पथ निर्जन है, सूनसान वीरान।।छोड़ो भी

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द्वंद्व का भाव था तिमिर के भय सा

29 अगस्त 2022
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द्वंद्व का भाव था, तिमिर के भय सा।निर्विवाद नहीं था, वह सतेज नहीं था।मंथन करने को पढा अब तक लेख नहीं था।माना कि वह मानव था ध्येय लिए।जीवन पथ पर बढने को आतुर होकर।उपमानों की लिए श्रृंखला बना अज्ञेय नही

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अरी ओ, मन वीणा मेरे

30 अगस्त 2022
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अरी ओ, मन वीणा मेरे।हरि भजन करतल ध्वनि से करियो।भक्ति भाव को अवलंबन करिहौं।भाव से हरि हर संग सुमरिहौं।अमृत सुधा रस भजन माधुरी।मन वीणा मेरे तृप्ति जिह्वा को करिहौं।।हरि नाम रस प्रेम सुधा सलिल।तेरे जन्म

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अरे ओ, मानव हो जीवन पथ के

31 अगस्त 2022
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अरे ओ, मानव हो जीवन पथ के।सुख -दुःख दोनों को, व्यर्थ तौलते हो।विचित्र बात यह भी है, अधिक बोलते हो।बहके नांव की भांति लहर पे व्यर्थ डोलते हो।तुम ऐसे जो हो, जीवन को समझोगे कैसे?पथ पर बाधाएँ बना अनेक, पा

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वर्जित क्या है?अब बोलोगे

1 सितम्बर 2022
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वर्जित क्या है? अब बोलोगे।तुम नियम की पोथी खोलोगे।या ऐसे ही व्यर्थ में डोलोगे।रस जीवन का, तिक्त मिला कर घोलोगे?मैंने जो समझा है, वैसा ही बतलाऊँगा।तुम ऐसे जो हठ ठानोगे, आगे कदम बढाऊंगा।।जीवन की धारा, न

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भजो रे मन, हरि-हरि नाम भजो रे

2 सितम्बर 2022
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भजो रे मन, हरि- हरि नाम भजो रे।प्रेम भाव को भोग बनाओ माखन की।मन मेरे अधिक डली मिश्री की डालो।श्याम सलोना नटवर नागर, इनको भोग लगा लो।वृंदावन कूंजन की गली मन विहरो।तेरे ही है माधव, तुम घनश्याम भजो रे।।न

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राम नाम रस सुधा सलिल.........

3 सितम्बर 2022
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राम नाम रस सुधा सलिल, थोड़ा तो चख ले।होना भवसागर से पार, नाम आसरा रख ले।राम नाम अमृत फल है, जिये कसौटी कस ले।मन मेरे भ्रमित नहीं होना, नाम सलिल से पक ले।हरि नाम आसरा केवल कर, जग में तू भुला है।माया की

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मिॆश्री सो है मीठो-मीठो नाम

4 सितम्बर 2022
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मिश्री सो है मीठो-मीठो नाम।ओ मन मेरे जप ले सीता राम।ओ मन मेरे जप ले राधे श्याम।तेरे सारे बनेंगे बिगड़े काम।तू हर पल लेता रह हरि नाम।जप ले तू मीठो-मीठो हरि को नाम।।जप ले वृंदावन के कुंज बिहारी को।भोग लग

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अरे ओ सुन लो राह के राही

5 सितम्बर 2022
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अरे ओ सुन लो राह के राही।इन तटबंधों को तोङ चलो।अरे ओ, पथ पर चलते वीर सिपाही।तुम मानव हो, दुविधा छोङ चलो।तुम समझोगे जो धैर्य भाव को।जीवन गीत के करते शोर चलो।।थको नहीं अभी पथ पर बढने से।तुम हो पथिक, है

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उस बिंदु के आस-पास फैला

5 सितम्बर 2022
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उस बिंदु के आस-पास फैला।आभाओं से लिपटा प्रखर प्रकाश।गुंजित भी है जीत के निनाद स्वर से।तुम अमृत फल तो मांगो, फैले अंबर से।जीत-हार में, हार-जीत में अंतर अधिक नहीं।मन विचलित मत हो, भाव यह होगा ठीक नहीं।।

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अभी सत्य सुधा के मंथन में हूं

6 सितम्बर 2022
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अभी सत्य सुधा के मंथन में हूं।परिवर्तन का चलता दौर अभी।जीत-हार का उठता शोर अभी।दुविधा के बादल भी है घनघोर अभी।अज्ञात छिपे भय का, निकला नहीं है तोड़ अभी।मन मानव हूं , कब से चिंतन मैं करता हूं।है सत्य तु

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जीवन तुम अह्लादित होकर

7 सितम्बर 2022
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जीवन तुम अह्लादित होकर, गाओ सुंदर युगल गीत।समय के चलते तीव्र वेग से, कदम से कदम मिलाओ।आधार शृंखला ले-लो भी,अनुराग से लेपित उत्सव राग का।अह्लादित होकर तुम अब तो, गुंजित स्वर में मेघ राग

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आबद्ध उन नियमों से रहने पर

7 सितम्बर 2022
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आबद्ध उन नियम से रहने पर।दुविधा...के अधिक भार को सहने पर।प्रबल धारा के अनुरूप ही बहने पर।बोलोगे उतना ही, औरो के कहने पर।तुम अपना प्रतिबिंब बनाओगे कैसे?जीवन के पथ पर, कर्म निभाओगे कैसे?सरिता जैसे निर्म

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प्रभु हो आप अकारण करुणा वरुणालय

7 सितम्बर 2022
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प्रभु हो आप अकारण करुणा वरुणालय।धनुआधर प्रभु सीता के पति।स्वामी दशरथ नंद आनंद विभो।मेरे मन चाह नहीं है गिद्ध गति।हे रघुनंदन तेरे चरणों का दास कहाऊं मैं।प्रभु तेरा ही रहूं, बस तुझे ध्याऊँ मैं।।स्वामी न

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मन उत्सव का अनुराग लिए था

7 सितम्बर 2022
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मन, उत्सव का अनुराग लिए था।रंग-रंगोली रस फाग लिए था।आनंद भाव के मेले में, भाग लिए था।फूलों से लदी डालियां, बाग लिए था।मन, झूम रहा था अभिलाषा के सपनों में।अति आनंद था, देव लोक के भवनों में।।यथार्थ की क

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ओ मन, तू रस ज्ञान सुधा तो पी

7 सितम्बर 2022
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ओ मन, तू रस ज्ञान सुधा तो पी।चंचलता भरी लहरे जीवन की।अधिक-अधिक उफान लिए है।आधार बिना जो तेरी नौका होगी।लहरे, उत्तेजित तूफान लिए है।कहता तो हूं, तू संभल के चल।मन मेरे, तू व्यर्थ निराधार मत जी।।समझ जरा,

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कदम-कदम पर जीवन को

7 सितम्बर 2022
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कदम-कदम पर जीवन को ।करवट ले-लेकर चलते देखा।पथ के चीन्हित- चिन्हों पर रुक कर।अपना स्वभाव बदलते देखा।मन के हो वशीभूत, जो प्यासा बन बैठा।हर्षित था नीर देख, जो जलते देखा।।मानव मन का स्वभावगत अनुमान।पथ पर

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मंजिल, अभी बहुत है दूर......

7 सितम्बर 2022
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मंजिल, अभी बहुत है दूर।आशाओं के तुम दीप जला लो।पथ पर अपने कदम बढा लो।जीवन से, तुम स्नेह जगा लो।किंचित भी तुम भय नहीं पालो।पथिक तुम व्यर्थ बनो नहीं मगरूर।।तूफानी लहरों पे नाव तेरी बल खाए।जीवन के दरिया

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राष्ट्र प्रेम का कमल पुष्प......

7 सितम्बर 2022
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राष्ट्र प्रेम का कमल पुष्प।तेरे शुभ्र चरण में अर्पित कर दूं।तेरे रज- कण में लोटूं मैं तो।तेरे शुभ्र चरण में शीश को धर दूं।हे भारती धवल वस्त्र धारनी।हे मातृभूमि हे माता सिंह वाहिनी।माँ हो वरद हस्त तेरा

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स्वर्ण काल की गरिमा गाऊँ......

7 सितम्बर 2022
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स्वर्ण काल की गरिमा गाऊँ।भारती तेरे चरण में शीश नवाऊँ।वह गौरव मय गाथा, फिर दुहराऊँ।तेरा लाल हूं, तेरे लिए बलिदान हो जाऊँ।वेदों की वाणी में निहित तेरा अखण्ड रूप।तेरा अखण्ड भाग, तेरा वैभव स्वरूप।मन में

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आली, मैं बन जाऊँ वनमाली......

7 सितम्बर 2022
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आली, मैं बन जाऊँ वनमाली।राष्ट्र प्रेम के मधुमय वाग लगाऊँ।कोमल-कोमल पुष्प खिलाऊँ।खिलते पुष्पों को तोड़ के लाऊँ।भाव से बिखराऊँ वीरों के पथ पे।वीर जहां से बैठे हुए जाते हो रथ पे।।मैं बिछ जाऊँ उस पथ पर पुष

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गुंजित है समता के कलरव सा स्वर

8 सितम्बर 2022
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गुंजित है समता के कलरव सा स्वर ।घुला-मिला है जिसके कण-कण में।निर्मल सा पुनीत आकाश का आंगन।जिसके वासी का निर्मल जीवन।ऐसा है देश हमारा, हम भारत के वासी।जीरो की महता देने बाले, जहां पुत्र हुए है अविनाशी।

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अमर बलिदानी के पथ का

8 सितम्बर 2022
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अमर बलिदानी के पथ का।अविचल अभिमानी के पथ का।जो वीर धीर थे, राष्ट्र धर्म के ध्वज के।इस भूमि के रज-कण से रहते थे सज के।वह बीता पुरुषार्थ ,आओ आज बताऊँ।रण वांकूरा वीर शिवाजी ,उनकी कथा सुनाऊँ।।महलों के सुख

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पथ पर बढते वीरों का सिंहनाद

8 सितम्बर 2022
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पथ पर बढते वीरों का सिंहनाद।मातृ भूमि के पथ पर बढता जाता वीर।घोर गर्जना करता केसरी बनकर।रण वांकूरा, रण में लड़ने को हुआ अधिरथ।अभिलाषा लेकर मन में, अपने शीश चढाऊँ।जननी-जन्मभूमि के चरणों में बलिदान हो जा

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जीवन पथ के कुछ अनुत्तरित प्रश्न.....

8 सितम्बर 2022
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जीवन पथ के कुछ अनुत्तरित प्रश्न।बन कर विशाल, लिए "भुजंग भाल"।पथ पर बनकर खड़ा "कठिन काल"।जो समय का हो, कभी विषम चाल।परिणाम मिले चाहे जो, कदम बढाना होगा।जीवन जो बने कुरुक्षेत्र, रण में जाना होगा।।नियमों

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हम राष्ट्र प्रेम में गीत राष्ट्र के गाएंगे

10 सितम्बर 2022
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हम राष्ट्र प्रेम में गीत राष्ट्र के गाएंगे।क्रांति वीर की बलिदान कथा दुहराएंगे।अभिमान तिरंगा, इसपर शीश नवाएंगे।राष्ट्र धर्म की खातिर हम न्योछावर हो जाएंगे।।हम भारत वासी, अभिमान लिए मन में।है मां भारती

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दुविधाओं का तटबंध अभी है टूटा......

10 सितम्बर 2022
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दुविधाओं का तटबंध अभी है टूटा।मानव मन हूँ, इससे कैसे रहूं अछूता।फिर तो भाग्य का लेख हाथ से छूटा।काश कहीं मिल जाए, उपचार अनूठा।मन निश्चय कर सही-सही उपचार कराऊँ।हूं मानव, फिर से आशा के दीप जलाऊँ।।भावना

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व्रज राज किशोर प्रगट भये.......

10 सितम्बर 2022
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व्रज राज किशोर प्रगट भये, आनंद प्रेम बरसात हुई।मुद मंगलमय स्नेह सलिल, यह भादव की रात हुई।प्रेम भाव अधिक उछाल लिए, रसिक हृदय अनुराग अधिक ।आयो नंदलाल विरज जब ते, मधुमोद सरस बरसात हुई।नंद के आनंद भये,व्र

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प्रभु, हे जगत पति सरकार......

10 सितम्बर 2022
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प्रभु, हे जगत पति सरकार।विनती सुन लो, जग के प्राणाधार।सुन लो प्रभु, मेरी अब की बार।हे दशरथ के नंदन, सुन लो जग की करुण पुकार।हे राम-रमापति, तेरा होवे जय-जय कार।बाल रुप हे रघुवर, हर लो पीड़ा का भार।।नमाम

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श्री राधे जू वृषभानु लली.......

10 सितम्बर 2022
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श्री राधे जू वृषभानु लली,रहे मन ध्यान तुम्हारे चरणों में।मन मेरे व्रज वास को चाह रखूं,श्री श्यामा, रहे स्थान तुम्हारे चरणों में।मन भाव लिए, दरबार तेरे मैं दास रहूं,हे वृषभानु लली, तजूँ प्राण तुम्हारे

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मन, रे मन, श्याम सांवलिया से नेह लगा ले......

10 सितम्बर 2022
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मन, रे मन, श्याम सांवलिया से नेह लगा ले।मन वीणा-मन वीणा के तार चढा ले।हरि गुण गा ले रे मन, हरि गुण गा ले।जपन कर ले श्री राधे-राधे-राधे।भजन कर ले मन, श्री राधे-राधे-राधे।रटन कर ले रे श्री राधे-श्री राध

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किंचित घटाटोप अंधकार का भय......

10 सितम्बर 2022
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किंचित घटाटोप अंधकार का भय।कब से पथ पर भ्रमित हुए लगते हो।अभिलाषा के मोर पंख से ग्रसित हुए लगते हो।होकर जो वे ध्यान कदम आगे को धरते हो।भूल गए हो मन के भाव, मानव हो पथ के।आगे जीवन का लाभ, मानव रहना थोड़

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हार-जीत दोनों ही विस्मयकारी है......

10 सितम्बर 2022
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हार- जीत दोनों ही विस्मयकारी है।जीवन में कभी जीत का उत्सव।जीवन कभी हार के जाल में लिपटा।जीवन पथ पर अंधकार का आभास।कभी तो यहां बिखरा दिव्य प्रकाश।कभी-कभी द्वंद्व का चलता आड़ी है।।जीत भाव का उल्लास, उमंग

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विस्मय!...तुम जब भी बात को बोलोगे......

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विस्मय!. तुम जब भी बात को बोलोगे।प्रभाव से, अधिक तिक्तता घोलोगे।निश्चय ही जीत के संग में हो लोगे।बस कहने का है, दुःख अपनी फिर रो लोगे।हृदय अशांत करने को, ऐसी ज्वाला ढोलोगे।तुम विस्मय हो, भेद न अपने खो

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माना, अभी तुम विजयी पथ पर हो......

10 सितम्बर 2022
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माना, अभी तुम विजयी पथ पर हो।हर्ष में लिप्त जीत के रथ पर हो।जब हारोगे तुम, व्यथा की बातें बोलोगे।फिर बैठे कहीं अकेले, बिन आँसू के रो लोगे।कहता तो हूं, हूं संग तेरे, तुम थोड़ा सुसता लो।हम दोनों का हो स्

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भ्रमित भाव का प्रचंड प्रहार जो होगा.....

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भ्रमित भाव का प्रचंड प्रहार जो होगा।टूटेंगे सपने, जीवन पर इसका दाव जो होगा।बिखरेंगे जीवन रस, अनुचित बहाव जो होगा।मन भी चोटिल होगा ही, अधिक छिपाव जो होगा।उचित ही है, धैर्य के उप बंधो का कटाव जो होगा।फि

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चुभती हुई बातों का अधिक शोर

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चुभती हुई बातों का अधिक शोर।बेधने को तत्पर है हृदय कुंज को।भ्रम के जाले बुन-बुन कर के ये बातें।ओट में लेने को तत्पर सत्य पुंज को।मैंने माना दुष्कर था अभी आगे को जाना।मानव होकर भी दुष्कर है, मानव धर्म

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मन के निर्मल उर्मित उपवन में........

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मन के निर्मल उर्मित उपवन में,बोलो सत्य पुष्प, अंकुरित होगे क्या?बस ऐसे ही नहीं पुछ रहा हूं प्रश्न,बोलो तो हे सत्य, पुष्पित होगे क्या?तेरे हृदय पटल पर आने से,मन विनम्र हो मानव कहलाऊँगा।तुम हो सत्य सुधा

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कहता हूं, जब पूर्ण धैर्यशील हो जाऊँगा......

12 सितम्बर 2022
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कहता हूं, जब पूर्ण धैर्यशील हो जाऊँगा,जब मैं अभिलाषा के पंख लगाऊँगा।जब मानव बनने को तत्पर कहलाऊँगा,उर्मित मन के उपवन में ज्ञान के दीप जलाऊँगा।जब मानव धर्म निभाने को अपनी बाते बोलूंगा,आते-जाते संशय को

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सुख-दु:ख, दोनों किनारों के मध्य......

14 सितम्बर 2022
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सुख- दुःख, दोनों किनारों के मध्य।जीवन की लहरें, प्रबल वेग से चलती जाए।समय के उलटे-सीधे पासे चलने पर।नियमों से बंधकर पाले अपनी बदलती जाए।।माना कि पथ पर कंकर-कांटों की शैया है।इससे बचकर आगे बढना मुश्किल

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तिमिर का अतिशय विषम भाव......

14 सितम्बर 2022
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तिमिर का अतिशय विषम भाव।लिपटा हुआ जैसे भुजंग भाल सा।आकृति लिए अतिशय विकट कराल सा।फैलाए हुए पथ पर हो भ्रम जाल सा।मन किंचित होकर दुविधाओं से ओतप्रोत।मिटे प्रभाव तिमिर का, मिले प्रकाश स्रोत।।जीवन में आए

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लहर है अति तीव्र भावनाओं की......

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लहर है अति तीव्र भावनाओं की।हृदय में दुश्चिंताओं के घाव भी गहरे।जैसे लगा हो सांस पर खास से पहरे।विकल हो कह रहा राही, मंजिल को जाना है।तुम बना लो काफिला, मुझे इतना बताना है।शाम होने से पहले ही बनाना आश

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जीवन, रिश्ते की डोर खिचे जो.........

17 सितम्बर 2022
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जीवन, रिश्ते की डोर खिचे जो।तू बस अपनी ही बात बताए।मैं भी बस अपनी बात सुनाऊँ।संशय की लहरों पे नैया बिन पतवार चलाऊँ।जीवन, जो तेरा- मेरा रार ठनेगा ऐसे।कह दो, पथ पर बिगड़ी बात बनेगा कैसे?कह दोगे कैसे? तुम

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अटको तो ऐसे नहीं, भटक जाओगे......

17 सितम्बर 2022
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अटको तो ऐसे नहीं, भटक जाओगे।पथ पर है कांटे ही कांटे, बचा के चल लो।शहर अंजाना सा है, समय का बल लो।पथ पर अंधेरा भी होगा, दीप सा जल लो।पथिक जाने को मंजिल तक, धैर्य तो पालो।यह जीवन का पथ है, पथिक कदम बढा

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म्हारी जिह्वा, भजो री हरि नाम को.......

17 सितम्बर 2022
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म्हारी जिह्वा, भजो री हरि नाम को।श्री राम को, श्री घनश्याम को।तजो चाहे जगत को, झूठे रिश्ते को।तजो नहीं नाम री जिह्वा सुख धाम को।सार जगत का केवल सत्य एक है।जिह्वा री, आदत लगा ले हरि गुणगान को।।माया जगत

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नवीनता, चिंतन करने को कर लूंगा.......

18 सितम्बर 2022
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नवीनता, चिंतन करने को कर लूंगा।प्रभावी धैर्य कवच धारण करने को।उत्सुक हूं रण भूमि में लड़ने को।समय उचित नहीं है व्यर्थ बात करने को।इस जीवन के भाव भंगिमा को मानूंगा।भाव रहित होकर पथ पर आगे बढ लूंगा।।मानव

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अहो!...मन मेरे विस्मित मत हो......

20 सितम्बर 2022
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अहो!..मन मेरे विस्मित मत हो।होगा प्रखर प्रभात, प्रथम रश्मि के आने से।क्यों शंकित होते हो? दुविधा के छाने से।क्या वंचित हो तुम, जीवन रस को पाने से।मन अपने भाव में रम लो, गाओ जीवन गीत।जाना मंजिल तक है,

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तुम ठहरो तो, मैं पास जो आता हूं......

21 सितम्बर 2022
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तुम ठहरो तो, मैं पास जो आता हूं।हम दोनों पथ के पथिक, सही बताता हूं।जीवन का तथ्य पुनीत, नियम सिखाता हूं।पथ पर बिखरे हुए भाव, संगीत सजाता हूं।छोड़ो काफिला बनने की इच्छा, चल दो मेरे संग।मन मेरे तुम अनुकूल

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अभी है समय धारा के विपरीत.......

22 सितम्बर 2022
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अभी है समय धारा के विपरीत।आड़ी-तिरछी बातों में मत उलझो मेरे मीत।आने बाले अंजाने भय से पथ पर तुम।व्याकुल होकर ऐसे, मत भूलो जीवन संगीत।अनुमान का तान खींच, शब्दों के नहीं चलाओ वाण।पथ पर ठोकर खाने से संभलो

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मन चिंतन जब होता धैर्यशील.......

22 सितम्बर 2022
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मन चिंतन जब होता धैर्यशील।ज्ञान सुधा के रस से हो सिक्त।समय सुचकता के केंद्र बिंदु सजग होते।दुविधा की शाखाएँ रह जाती रिक्त।मानव फिर निर्मल मन का हो जाता।पढ कर गीता के श्लोक, गीत को गाता।।माना कि पवन ती

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दुविधा होती दो-धारी तलवार........

23 सितम्बर 2022
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दुविधा होती दो-धारी तलवार।हृदय कुंज में भरता वेदना अतिशय।अनिश्चितता का भी तो होता भय।टूटता जाता है जीवन का लय।तादात्म्य बिखर जाता है धैर्य का।जब होता इसका तीव्र प्रहार।।क्रमिक विकास होने से पहले ही।कु

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नहीं पालो बन मतवाले, बैर"।

23 सितम्बर 2022
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नहीं पालो बन मतवाले, बैर"।हृदय में क्षणिक "दंभ" आने पर।पुष्प कभी पल्लवित नहीं होते।चिर-स्थाई पत्थर के हो जाने पर।तुम मानव, स्वभाव बस बहको मत।नहीं चलाओ पतवार, धारा के विपरीत।।जीवन कुंज में बनकर कोमल पु

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भूलो भी बीती रातों का वृतांत.......

24 सितम्बर 2022
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भूलो भी बीती रातों का वृतांत।मिथक से लिपटे रहोगे कब तक?बीती बातों के कड़वे यादों को सजाए।रहोगे कब तक ऐसे ही, बातों को बढाए?छोड़ो अब तो कल को, आने बाला कल है।नजर से देख लो राही, यहां हलचल है।।सहज ही मुस्

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मधुकर बौराए है डाल-डाल........

25 सितम्बर 2022
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मधुकर बौराये डाल-डाल।आली आयो रे हम जोली।कहीं अबीर की धूल उड़े।आली अरी आई है होली।सांवला को घेर लई ब्रज बाला।आज ब्रज में धूम मची है होली।।सावरिया रंग गुलाल रंगाये।छबीला नंद को लाल घेरायो।मोहन ने ता-धिन्

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आयो बसंत, मधुर रस लायो बसंत......

25 सितम्बर 2022
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आयो बसंत, मधुर रस लायो बसंत।छाये बसंत, पवन गाए राग में।लता झूम-झूम गुनगुनाएँ बाग में।झूम उठी दिशाएँ आए फाग में।भँवरा की तान, होंठों पर लिए गीत-गान।आयों बसंत, कोयलिया छेड़ती है तान।।अल्हड़ सी सरसों बल खा

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बजरंगी अब तो सुधी ले-लो.......

25 सितम्बर 2022
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बजरंगी अब तो सुधी ले-लो।वीर गदा धारी माता अंजन के लाल।भक्तों को अभय दान देते हो लाल।सागर को लांघ गये, धर रूप विशाल।छन में सागर लांघ गए, रुद्र अवतारी।आया हूं शरण तेरे, सुनो विनती हमारी।।लंका को जार दिय

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अलिखित लेख सुना भी दो.........

25 सितम्बर 2022
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अलिखित लेख सुना भी दो।पथ के कंकर को दूर हटा दो।अंधियारे का साम्राज्य, दीप जला दो।उमंग भरे मधु गीत सुना दो।ओ पथिक, मैं पीछे हूं तनिक ठहर भी जाओ।कल का बीता वृतांत अब तो जरा सुनाओ।।वह वैभव काल, वह दीप्त

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ओ रे भोले पिया, बसो हिया मेरे......

25 सितम्बर 2022
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ओ रे भोले पिया, बसो हिया मेरे।थारा शराबी अँखियां,पिया मोरे।पिया मोरे आयो फागुन मास।रंग-सलिल लिये हृदय उल्हास।अंग-अंग मधुरस सो भीगी जात है।तू साजना रे,आयो रे फागुन मास है।।टेसू के फूल खिले-खिले से लग र

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नवल-नवल प्रमुदित हुई धरा.......

25 सितम्बर 2022
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नवल-नवल प्रमुदित हुई धरा।पावन-पावन व्रत आया नवराता।सिंह वाहिनी मां आदि भवानी।भक्ति भाव से तेरा करूं जगराता।हे छिन्न मस्तिके देवी, माता दरश दिखा दे।आया नवला नवराता, सोये हुए भाग्य जगा दे।।मां चिंतापूर्

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मां, पावन है तेरा नाम भवानी........

25 सितम्बर 2022
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मां, पावन है तेरा नाम भवानी।निर्मल-निर्मल तेरा धाम भवानी।मोहक छटा बिखेरे तेरा गज केसरी।करूँ हृदय से तेरा गुणगान भवानी।लाल चुनरिया ओढे मैया दरश दिखा देना।भक्त तेरे है नैना बाली, थोड़ी करुणा बरसा देना।।आ

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अमृत धारा बह रही मां........

25 सितम्बर 2022
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अमृत धारा बह रही मां, तेरे कृपा की जग में।तू माता मन हर्षाने बाली, तेरी ज्योत जगमग है।शेरों बाली तेरी करुणा का पुंज प्रकाश फैला।शुभ्र ज्योत्सना तेरे नाम का, जगमग करता जग है।मैहर में तू मां बसे शारदा,

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सिंह वाहिनी-देवी सिंह वाहिनी.......

25 सितम्बर 2022
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सिंह वाहिनी-देवी सिंह वाहिनी।मेरी माता भगवती सिंह वाहिनी।अस्त्र धारनी, शूल शस्त्र धारनी।असुर चंड-मुंड संहार कारिणी।धवल शुभ्र वस्त्र है तेरा महा गौरी।अष्ट भुजी जगदंबा मां वरदान दायनी।।कालरात्रि कराल वद

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रात अचानक ही तो नहीं आई.......

26 सितम्बर 2022
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रात अचानक ही तो नहीं आई।अंधेरे की वृहत-कठोर भुजा पसारे।दिन के बीते ही तो आई है दल-बल से।अँधियारे की स्याह परत, चकित बनो मत प्यारे।भूल-भुलैया छोड़ो भी, नूतन सर्जन करने को।तुम मानव, बन जाओ महारथी रण करने

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अजीब सा चला चलन आज-कल.......हास्य काव्य

26 सितम्बर 2022
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अजीब सा चला चलन आज-कल।ज्ञान का लगता है औने-पौने भाव।चपल-चापलूस की होते बल्ले-बल्ले।बनी-बनाई खिचड़ी पर इनके लगते दाँव।भोले पन का पुछ नहीं है, मानी जाती है नादानी।चारों ओर लूट की जय-जय, चले लोभ की मनमानी

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शामिल तो हम भी है अभी......जीवन के गीत

27 सितम्बर 2022
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शामिल तो हम भी है अभी।कदम दर कदम बढाते हुए।हौसलों के साथ मुस्कराते हुए।अभिलाषा के पंख को फड़फड़ाते हुए।जीत की राह पर अग्रसर हो किनारा ढूंढता हूं।जीवन तेरे ही साथ का सहारा ढूंढता हूं।।हठीले मत बने बैठो,

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जीवन दर्पण में अक्स.......

28 सितम्बर 2022
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जीवन दर्पण में अक्स।खींचा गया है बेतरतीबी से।किंचित आवेश कण चिपके है।धुंधला सा भी कुछ है “छवि।वेदनाएँ छलक जाने को तत्पर ।जैसे अमराई में पतझड़ आया हो।।साथ की कोशिशों में, काफिले से बिछुड़ा हुआ।एक अलग अलह

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चिन्मय अप्रतिम रस की खान.......

28 सितम्बर 2022
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चिन्मय अप्रतिम रस की खान।निर्मल विशुद्ध भाव जीवन का ज्ञान।गीता श्री कृष्ण हृदय का प्राण।गीता भावमय शाश्वत ब्रह्म समान।तुम आलेखित इसमें शब्दों को सहृदय।मुल तत्व जीवन स्वर का पालन कर लो।।कंठस्थ करो गीता

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जीवन, तेरे टेढे-मेढे राहों की मुश्किलें.......

29 सितम्बर 2022
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जीवन, तेरे टेढे-मेढे राहों की मुश्किलें।चल ही तो रहा हूं, हौसलों के संग।मंजिल पाने की ललक लेकर हृदय में।भरते हुए भावनाओं के कई रंग।आज तू अंजान है, इसी से बस परेशान हूं।तेरे संग हूं मैं, गले से लगा ले

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अह्लाद हृदय में गुंजित है........

30 सितम्बर 2022
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अह्लाद हृदय में गुंजित है।जीवन, अल्हड़ सी बल खाए।पथ पर आगे को दौड़ती जाए।उम्मीदों के संग नए रंग बिखराए।मैं गीत सजग हो गाऊँ प्रीति के।बनते पद चिन्हों पर रंग उकेरूं।।उपवन में जाऊँ चुनने को पुष्प।मालाओं मे

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कब से, ताना-बाना बुन रहा था मैम.........प्रेम के गीत

13 अक्टूबर 2022
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कब से, ताना-बाना बुन रहा था मैं।हृदय में लेते अंगड़ाइयों को संभाले हुए।उमंग जीवन के रंगो का, पाले हुए।छवि हसीन सपनों का नैनों में ढाले हुए।ख्वाब को बेहिसाब कब से होने दे रहा था।चाहतों में खुद को सपनों

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जीवन का सौम्य मुस्कान........सहज भाव

14 अक्टूबर 2022
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जीवन का सौम्य मुस्कान,अभिलाषाओं के चादर लपेट।रंगा हुआ उम्मीदों के रंग,चलता कदम-कदम मेरे संग।हृदय में कुसुमित पुष्प अनुराग के।फिर तो मैं मन उपवन में विचरण कर लूं।।मैं ने अब तो निर्मल छवि बनाई है,पटल पर

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वाणी विलास के भाव में बहको मत......

15 अक्टूबर 2022
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वाणी विलास के भाव में बहको मत।क्रमिक विकास, जीवन का रस जानो।हृदय में जीवन का मतलब तो मानो।पथ पर निर्णय करने का मन में ठानो।जीने का अंक गणित, कब तक इसको टालोगे।अरे ओ पथिक, कब अपने कदम संभालोगे।।मधुर जो

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मनन करने को बैठा, नदी किनारे........

17 अक्टूबर 2022
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मनन करने को बैठा, नदी किनारे।देखा लहरों को अपलक, आते-जाते।ऊँचे-ऊँचे उठकर के बल खाते।आती लहरों को देखा तूफान बनाते।गिरते-उठते लहरों का ही कहता हूं बातें।नदीं किनारे बैठा देखा, इसको शोर सुनाते।।शून्य सा

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जीवन संग में कदम-कदम पर........

21 अक्टूबर 2022
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जीवन संग में कदम-कदम पर,कहता हूं, पथ पर चलता जाता हूं।कुछ अनुत्तरित प्रश्न अभी भी है,आशाओं में हूं, उत्तर कहीं नहीं पाता हूं।भ्रम का धुंध घिरा भी है, व्याकुल करने को।मैं पथिक हूं प्यासा, विह्वल हो जात

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अरे ओ मन मेरे, भ्रमणा तेरो है........

25 अक्टूबर 2022
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अरे ओ मन मेरे, भ्रमणा तेरो है।जगत मिथ्या है, इसके झूठे नाते है।अपना-पराया मोह जगत के होती बातें है।मन मेरे केवल एक श्री हरि नाम तेरो है रे।जपो हरि नाम जपो, श्री सीता राम जपो।कलि प्रभाव से बचने को श्री

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माना भी" रण तय भी था........

31 अक्टूबर 2022
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माना भी" रण तय भी था।क्षणिक आवेश का भय भी था।पथ पर अदृश्य विस्मय भी था।चिंतन करने का बना विषय भी था।किन्तु नियम यही जीवन का है।पथ पर धीर बनूं-गंभीर बनूं।गांडीव उठा लूं रण करने को।मैं रणभूमि के गौरव को

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घूमर" लेत हिया प्रेम.......

1 नवम्बर 2022
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घूमर" लेत हिया प्रेम।बातही-बात उमंग जगे हिया।मधुमय भाव रस जगे प्रेम हिया।मोती जड़ित अनोखो रंग प्रेम हिया।जब ते नैनन से नैन मिलाये लियो।प्रिय छवि तब से हिया बसाये लियो।।जब जगे हृदय प्रेम मधुर रस राग।छाय

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अंकित था पटल पर प्रश्न चिन्ह.......

9 नवम्बर 2022
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अंकित था पटल पर प्रश्न चिन्ह।उत्तर पाने की आशाओं में मौन।क्षणिक भ्रांतियों में होकर गौण।बनाये हुए विषम भाव का कोण।क्षितिज पर फैला अंधकार अभी तक था।दुविधा से ग्रसित मन में भार अभी तक था।।अंधकार को बेधे

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न जाने क्यों?.....यादों का सिलसिला......

15 नवम्बर 2022
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न जाने क्यों?...यादों का सिलसिला।बीते हुए लमहों की कई हसरतें।बीता हुआ कल और बीती हरकतें।याद आते है वो दरख्त" जो थे कभी अपने।उम्मीदों के असर में शहर भर घूमता था।कभी-कभी अमराईयों में जमी को चूमता था।।या

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किंचित' अभी हो जाएगा चमत्कार.......

24 दिसम्बर 2022
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किंचित’ अभी हो जाएगा चमत्कार।पथ पर फैला विस्मय का धुंध छंटेगा।सत्य प्रकाश की आभाएँ आलोकित होने से।मन पर विषम भार, बच जाऊँ ढोने से।विस्मय जो अब तक था, दूर-दूर तक फैला।अब वह किंचित नहीं बचेगा पथ का अंधक

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लिखने बैठा हूं" होकर तत्पर........

25 नवम्बर 2022
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लिखने बैठा हूं" होकर तत्पर।बोलो तो, अब क्या-क्या लिख दूं।लिख दूं, बीती रातों का विषम बात।हृदय मौन सहता था कुटिल घात।अभिलाषा से लिपटी वह विषम रात।टूटे सपनों के स्वर सिसकी में दबा हुआ।।बोलो तो लिख दूं,

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वैभव" जीवन के पथ पर संघर्षशील का......

27 दिसम्बर 2022
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वैभव" जीवन के पथ पर संघर्षशील का।जीवन के पथ पर कर्तव्यों में जो लीन।मानवता के भावों को पाले जो सहज।चिंतनशील बन वह पथ वह था तल्लीन।मानव वह, समता के भावों का ध्यान लिए।चलता जाता था' पथ पर गाता जीवन गीत।

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कटीले तेरे नैना" अरी ओ भामिनी.......

6 जनवरी 2023
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कटीले तेरे नैना" अरी ओ भामिनी।मदभरे चाल तेरे' अरी ओ गज गामिनी।मिश्री के रस' से रसीले तेरे बोल है।कजरारे नैना तेरे ये' लगे अनमोल है।अरी ओ सुंदरी' तेरा रुप-रंग है कमाल का।उठे जो लहर आशिकों में, बातें है

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अति सुलभ है' सहज धर्म और नीति........

7 जनवरी 2023
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अति सुलभ है' सहज धर्म और नीति।अति न्यारा जीवन दर्शन' है न्यारी रीति।जहां मर्यादा मानव का निर्धारित करने को।कुरुक्षेत्र के रण में केशव ने दिखलाया प्रीति।मानव को जीवन जीने को दिया गीता का ज्ञान।विश्व पट

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रेखांकित मानक बिंदु पर" जीवन के

15 जनवरी 2023
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रेखांकित मानक बिंदु पर" जीवन के।खुद ही कसौटी कस कर देखा।काश" बदल पाऊँ स्वभाव हृदय का।अंतस में ज्योत" भाव जगे जीवन जय का।नूतन कर लूँ खुद का फिर से निर्माण।जीवन पथ पर कदम बढाऊँ, गाऊँ लय में गान।।पथ भूले

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माधव' कब ते गए आज मिले हो....

17 जनवरी 2023
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माधव' कब ते गए आज मिले हो।पहले तो मिलते थे प्रगाढ़ प्रेम बस'कहते थे, अतिशय प्रेम के हो भूखे'जीम लिए थे सबरी के झूठन किए'प्रेम सहज बांकी छवि ‘हो अनुराग के भूखे।।माधव' आप का कित लगी करुं बराई।माधव' भक्त

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अंधकार" मोह का जाल हृदय में लिपटा......

18 जनवरी 2023
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अंधकार" मोह का जाल हृदय में लिपटा"हे रघुनंदन' कह दूं, भजन तेरो हो पाए ना'लालसा कब से शूल बना अतिशय मन में'सीता के पति राम' स्मरण तेरो हो पाए ना।मैं मन भूला जीव जगत का, स्वामी हो तुम मेरे।भ्रम भाव से प

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मूर्धन्य' जीवंतता का वह.....

22 जनवरी 2023
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मूर्धन्य' जीवंतता का वह प्रथम लक्ष्य।सहजता को पाने का चलता प्रयत्न।अवसादों से कहीं दूर' ठौर हो, है यत्न।स्वाभाविक है, जीवंत होने को दिग-दिगंत।वह” आचरण की चक्कियों में पीसता खुद को।मानवता के आवरण को लप

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भजन करुं तेरो, मेरे हृदय बसो हे राम......

27 जनवरी 2023
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भजन करूं तेरो, मेरे हृदय बसो हे राम।कौसल्या के लाल धनुर्धर, जगत हितकारी।प्रभु चरण की सेवा में, मन रमा रहे अवध बिहारी।तेरा बस हो जाऊँ, राघव जाऊँ तेरो रुप बलिहारी।हे दशरथ के लाल' प्रभु चरणों में करुं प्

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ग्रहीत मन के मैल धुले न धुले.......

31 जनवरी 2023
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ग्रहीत मन के मैल धुले न धुले'यत्न से, तन का मैल रगड़ कर धोए’वह, निजता के भाव का राग सुनाए'भ्रम के जाल बनाए और द्वंद्व संजोए।।तनिक नहीं मरजाद' मानव का दिखलाए'कुछ तो ऐसे है, जो उलटी राग को गाए'मतलब का स्

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तकते है कब से नैना मेरे.......

5 फरवरी 2023
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तकते है कब से नैना मेरे, बस राह तेरी'तपते जीवन के धूप में, चाहूं छाँव तेरी'जागे-जागे, हसरतें ले रहा है कब से करवटें"समझाऊँ कैसे? तेरा शागिर्द हूं, चाहूं पनाह तेरी।मैं तेरा हुआ, रस्में चाहतों का निभाना

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हे नभ' तुम सहज अति गंभीर.......

8 फरवरी 2023
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हे नभ' तुम सहज अति गंभीर'निराकार तेरा हृदय लिए आवरण'निराकर ही तेरा लगता रुप-शरीर'हुए मन प्रश्न मेरे उत्कंठा बन जागृत।मन दुविधा के जाल फंसा हूं कब से।बतलाओ तो' अब कौन धराए धीर?काश मेरे पंख लगे हो' होऊँ

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गलियन में मच रही शोर सखी...

11 फरवरी 2023
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गलियन में मच रही शोर सखी'आयो बसंत, रस लिए होली आयो रे'रंगन को पड़े बौछार' भीगे अंग-अंग'प्रीति को मधुर फुहार' हिया हरषायो रे।।आयो उमंग लिए रसराज बसंत'सखी, हृदय अनुराग जग रही री'मिले-जुले रंग प्रेम के पड़

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