हे जगत पति...प्रभु करुणेश्वर।
महेश. प्रभु गह्यो तेरो चरणा।
हे उमापति शंभु, प्रभु विश्वेश्वर।
बम-बम भोले, दया शिवा करना।
चंद्र मौली प्रभु तेरे भाल विराजत।
अलख निरंजन भोले शंकर-भोले शंकर।।
कर्पुर गौरं करुणा अवतारं।
शिव शंभु, बम-बम जग आधारं।
जपुं ओम नम: शिवाय-ओम नम: शिवाय।
संसार सारं भुजगेंद्र हाड़ं।
गंगा निर्मल तेरे प्रभु जटा विराजत।
अलख निरंजन भोले-शंकर, भोले-शंकर।।
सदा बसंत हृदयार बिंदे।
गले सर्प माला,विषया भुजंगे।
हम भक्त सारे, भोले है तेरे सहारे।
भवं भवानी, सहितम नमामि।
गौर रंग तेरो प्रभु, तिहू लोक है लाजत।
अलख निरंजन भोले शंकर-भोले शंकर।।
उमापति महेश, शिव शंभु दानी।
हूं शरण तेरे, स्वामी तोहे नमामि।
करुण पुकार सुनो प्रभु बम-बम भोली।
करुणा के सागर, बम भोला वरदानी।
ऊँ नम: शिवाय स्वर तिहू जगत में बाजत।
अलख निरंजन भोले शंकर-भोले शंकर।।
हे जगता धार...स्वामी, अलख निरंजन।
भोले-भोले, तुम बिन कौन बने अवलंबन।
कैलाश पति शिव करुणा वरुणालय।
हर हे दिगंबर, प्रभु करते हो विपदा के भंजन।
छवि अलौकिक, बम भोला कैलाश में राजत।
अलख निरंजन भोले शंकर-भोले शंकर।।