नई दिल्लीः राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। एक समय साथ में रहने वाले बीरेंद्र सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा आज एक दूसरे पर कटाकस करने से बाज नहीं आते। बीरेंद्र सिंह अब हुड्डा को गढ़ी सांपला-किलोई से विधानसभा चुनाव लड़ने की चुनौती दे रहे हैं। हुड्डा भी कहां पीछे रहने वाले हैं। उन्होंने दो कदम आगे बढ़ते हुए न केवल बीरेंद्र सिंह की चुनौती स्वीकार कर ली, बल्कि यह कहते हुए पलटवार भी किया कि वे बीरेंद्र से पहले सशर्त इस्तीफा देकर मैदान में कूदने को तैयार हैं। बीरेंद्र को भी अपनी कमर कस लेनी चाहिए।
चंडीगढ़ पहुंचे हुड्डा ने कहा कि चुनौती मैंने नहीं दी थी। मैंने तो बीरेंद्र सिंह की चुनौती स्वीकार की है। उन्हें कुर्सी से चिपके रहने की आदत है। इसलिए मैं खुद ही उनकी राह आसान कर देता हूं। विधानसभा की सदस्यता से मैं बीरेंद्र सिंह से पहले इस्तीफा दूंगा। मेरा इस्तीफा सशर्त होगा, जो स्पीकर को जाएगा। इस इस्तीफे में लिखा होगा कि यदि बीरेंद्र सिंह भी इस्तीफा देकर चुनाव लड़ते हैं तो ही मेरा इस्तीफा मान्य समझा जाए।
हरियाणा कांग्रेस में बदलाव पर मुस्कुरा दिए हुड्डा
कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर के नेतृत्व में बदलाव से जुड़े सवाल पर हुड्डा सिर्फ मुस्कुरा दिए। उन्होंने अपने सामने बैठे विधायकों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये बेहतर बता सकते हैं कि बदलाव पर क्या चल रहा। मुझु कोई जानकारी नहीं हैं, लेकिन बिना किसी आधार के चर्चा भी नहीं होती। हुड्डा ने राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गांधी को नेतृत्व सौंपे जाने की तरफदारी की है।
लोहे का बड़ा कारखाना लगाने की योजना
बीरेंद्र सिंह भी कहां चुप बैठने वाले हैं। उन्होंने फिर कहा कि उचाना हलके को प्रेमलता और किलोई को मैं संभालूंगा। प्रदेश में एक लोहे का बड़ा कारखाना लगाने का विचार है। इस कारखाने में उत्पाद तैयार करने के लिए कंडम वाहनों व कंडम लोहे की चीजों को बाजार वैल्यू से अधिक कीमत पर खरीदा जाएगा। कारखाने के स्थापित होने पर 5 हजार युवाओं को प्रत्यक्ष और इससे कहीं अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेंगे।