नई दिल्लीः जैसा कि सबको पता है कि किराया-भाड़ा बढ़ाने के बावजूद भी भारतीय रेल घाटे में चल रहा है। इसकी घाटे की भरपाई करने के लिए रेलमंत्री ने अब दूसरे तरीके निकाले हैं। अब रेलवे की परिसंपत्तियों को विज्ञापन व प्रचार के लिए खोला जाएगा। इसके लिए राइट्स और अन्स्र्ट एंड यंग को सलाहकार नियुक्त किया गया है। इनकी सलाह पर स्टेशनों के बाहर और भीतर प्लेटफॉर्मो, फुट ओवरब्रिज, रोड ओवरब्रिज, लेवल क्रॉसिंग गेट्स वगैरह को रेल डिस्प्ले नेटवर्क के माध्यम से विज्ञापन के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। प्रचार के लिए विज्ञापनों के सभी प्रारूप स्वीकार किए जाएंगे। विज्ञापन के अधिकार दस वर्षो के लिए दिए जाएंगे। इसके लिए मुंबई व दिल्ली को छोड़ निविदाएं एक या कई जोनों के लिए संयुक्त रूप से मंगाई जाएंगी। पूरी प्रक्रिया ई-ऑक्शन से संपन्न होगी।
इन तरीको से कमाई करेगा रेलवे
1.ट्रेनों के बाहरी व भीतरी हिस्से (दीवारें, चेयर, बर्थ, दरवाजे, खिड़कियां) विज्ञापन के लिए उपलब्ध होंगे। शुरुआत राजधानी व शताब्दी ट्रेनों के लिए ई-ऑक्शन से होगी। इससे दस साल में 2,000 करोड़ की कमाई होने की उम्मीद है। अब मीडिया हाउस समेत कोई भी कंपनी अपने नाम से ट्रेन चला सकती है।
2.प्रमुख स्टेशनों के प्लेटफॉर्मो पर बैंकों को एटीएम लगाने की अनुमति दी जाएगी। इससे रेलवे को दस वर्षो में 2,500 करोड़ रुपये की आय प्राप्त होने की आशा है।
3.इसके तहत ट्रेनों एवं प्लेटफॉर्मो पर ऑडियो (सार्वजनिक उद्घोषणा) तथा वीडियो (यात्रियों के व्यक्तिगत उपकरणों मसलन कंप्यूटर व मोबाइल फोन पर) प्रणालियों के उपयोग से कमाई की जाएगी। दोनों प्रणालियों के तहत फिल्मों, टीवी शो तथा शैक्षिक एवं सूचनात्मक कार्यक्रमों का प्रसारण होगा। यह प्रसारण भुगतान आधारित यानी पेड तथा मुफ्त (अनपेड) दोनों तरह का होगा। इस तरीके से दस साल में 6,000 करोड़ रुपये की आमदनी हासिल होने का भरोसा है।
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि ऐसे रेवेन्यू के लिए एजेंसियों का चयन टेंडर प्रक्रिया के जरिये पारदर्शी तरीके से होगा। वर्ष 2016-17 के रेल बजट में उन्होंने किराये-भाड़े से इतर तरीकों से राजस्व बढ़ाने का एलान किया था। इस तरह से आय में अब तक 43 फीसद की बढ़ोतरी हुई भी है। लेकिन, रेल मंत्री इससे संतुष्ट नहीं हैं।