देहरादून: देवभूमि उत्तराखण्ड में नैनीताल हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई कि तो बड़े बड़े पदों पर बैठें लोगों के होश फ़ाक्ता हो गए। कोर्ट ने प्रदेश में खनन पर चार महीने तक पूरी तरह रोक लगाने का फ़ैसला दिया तो राजनीति गर्माने लगी है। प्रदेश के मुखिया टीएसआर ने कहा कि कोर्ट के आदेश का परीक्षण औआर समीक्षा की जाएगी। इतना ही नहीं सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि खनन बंद करने से प्रदेश में चल रही कई निर्माण कार्यों को झटका लगेगा और रोज़गार में भी भारी कमी आएगी। उन्होनें कहा कि इस फ़ैसले की समीक्षा की जाएगी।
कोर्ट ने लिया वनकर्मी की हत्या के बात सं ज्ञान
खनन माफियाओं द्वारा रामनगर में वनकर्मी की हत्या के बाद कोर्ट ने स्वतः ही इस मामले पर संज्ञान लेते हुए सरकार को आदेश दिया है कि राज्य में फिलहाल खनन पूरी तरह से बंद कर दिया जाये। कोर्ट सख्त नजर आ रहा है। कोर्ट ने प्रदेश में चार महीन के लिए पूरी तरह से खनन पर पाबंदी लगा दी है। कोर्ट के आदेश के बाद कुमाऊं और गढ़वाल के उन सभी खनन पट्टों पर काम नहीं होगा जो इस वक्त वैध और अवैध खनन वालों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बन गए हैं।
यह तीन सदस्यीय कमेटी देगी रिपोर्ट
कोर्ट ने डीजी, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून, निदेशक वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून और महानिदेशक जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून समेत कुल तीन सदस्यीय समिति बनाकर खनन जारी रखने या राज्य में इसे रोकने को लेकर जांच रिपोर्ट चार माह में न्यायालय में पेश करने को कहा है।
कोर्ट ने लगाई किसी भी प्रकार के खनन पर रोक
रिपोर्ट के आने तक कोर्ट ने नदियों के मुहानों, जंगल क्षेत्र, प्रवाह और धाराओं से किसी भी प्रकार के खनन पर रोक लगा दी है। नवीन पन्त की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा, न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद फैसला लिया है।
दरअसल, न्यायालय ने कुमाऊं आयुक्त को जिम्मेदारी सौंपी है कि वो प्रदेश में खनन के संपूर्ण दस्तावेज खनन विभाग, वन विभाग, सिंचाई और पर्यावरण विभाग और अन्य विभागों से लेकर कमेटी के समक्ष पेश करें। न्यायालय ने अगले आदेशों तक कुमाऊं आयुक्त डी सेंथिल पांडियन और प्रमुख मुख्य संरक्षक राजेंद्र महाजन के ट्रांसफर पर भी रोक लगा दी है ताकि कमेटी के संचालन में कोई भी रोक ना रहे और अगर ट्रांसफर होता है तो न्यायालय को बताया जाएगा। न्यायालय ने कमेटी को 9 महीने में अपनी फाइनल रिपोर्ट बंद लिफाफे में कोर्ट में पेश करने के आदेश भी दिए हैं।