नई दिल्लीः यूपी में सीबीआई का शिकंजा कसते ही सपा सरकार में बर्खास्त हुए खनन मंत्री गायत्री प्रसाद का किस्सा निराला है। राजनीति में कदम रखने के कुछ ही वर्षों के भीतर गायत्री प्रसाद बीपीएल कार्ड से बीएमडब्ल्यू पर पहुंच गए। 2012 तक जिस गायत्री प्रसाद प्रजापति के नाम बीपीएल कार्ड था, आज उनके पास बीएमडब्ल्यू के अलावा फार्च्यूनर, इंडीवर सहित अन्य एक दर्जन लग्जरी कारें हैं। 28 जुलाई 2013 को खनन मंत्री बनने के दो साल में ही एक हजार करोड़ से ज्यादा माइनिंग माफियाओं के दम पर कमा लिया। यह सब संभव हुआ है काजल की कोठरी कही जाने वाली सियासत में उतरने से। आम नेताओं की तरह प्रजापति को इसकी परवाह नहीं कि कोठरी से दामन पर कितना दाग लग रहा है। हर दाग को उन्होंने प्रसाद समझा। क्रिकेट मे स्लाग ओवरों में जिस तरह किसी भी तरह रन बटोरा जाता है, वही फलसफा गायत्री ने मंत्री बनने पर अपनाया।
10 साल बीत गए एपीएल कार्ड पाने में
जब दिन गरीबी में बीते तो बाद में गायत्री ने प्रापर्टी डीलरों का साथ किया। धीरे-धीरे जमीनों की दलाली कर खुद प्रापर्टी डीलर का काम शुरू कर दिया। 2010 से 2011 के बीच कुछ कमाई हुई तो सपा से दूसरी बार टिकट के लिए लग गए। 2012 में अमेठी से सपा के टिकट के बाद जीत नसीब हुई तो कभी सबसे गरीब रहा यह शख्स आज अखिलेश सरकार के सबसे अमीर मंत्रियों में सबसे अव्वल है। लोकायुक्त के ओमशंकर दि्वेदी की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक अमेठी के परसांवा गांव में 2002 में गायत्री प्रसाद प्रजापति को बीपीएल कार्ड जारी हुआ। इसके बाद 2012 में जब विधायक बने तो गरीबी रेखा से ऊपर वाला एपीएल कार्ड मिला। 2012 में सपा के टिकट पर अमेठी से विधायकी का चुनाव लड़ने के दौरान गायत्री ने तब 1.81 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी। जब मुलायम के बेटे प्रतीक को कमवाकर आत्मनिर्भर किया तो मुलायम गदगद हो गए। बस मुलायम कुनबे से नजदीकियां बढ़ी तो 28 जुलाई 2013 को मुलायम के कहने पर अखिलेश ने गायत्री को खनन मंत्री बना दिया। बस फिर शुरू हो गया नदियों के किनारे रेत से सोना पैदा करने का खेल । सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर की ओर से लोकायुक्त के यहां दाखिल शिकायत के मुताबकि मंत्री बनने के दो साल के भीतर ही 942.5 करोड़ गायत्री की संपत्ति हो गई। हालांकि खुद के बचाव के लिए मंत्री ने करीबियों के नाम से संपत्तियां खरीदीं।
ड्राइवरों के नाम पर 40 करोड़ की संपत्ति
गायत्री ने अपने ड्राइवर और रिश्तेदारों के नाम पर सारी अवैध संपत्तियां खरीदीं हैं। ताकि जांच होने पर फंसने से बजाव कर सकें। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने अपने करीबी ड्राइवर रामराज व एक अन्य के नाम पर 40 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति खरीदी है।
इन कंपनियों में निवेश की शिकायत
एमजी कालोनाइजर्स के निदेशक खुद मंत्री गायत्री प्रजापति हैं। डीसेंट कांट्रैक्टर्स कंपनी और
शुभांग एक्सपोर्ट्स कंपनी तथा
लाइफ क्योर मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर का काम उनके बेटे अनिल अनुराग प्रजापति और बड़ा बेटा देख रहा है। जबकि ड्रीम्ड डिस्टीनेशंस कंपनी का काम गायत्री के करीबी आलोक श्रीवास्तव देख रहे हैं।
करीबी महिला व ड्राइवर को खड़ा कर खरीद रहे बेनामी संपत्ति
अरबों की काली कमाई से यूपी में बेनामी संपत्तियों का साम्राज्य खड़ा करने में गायत्री प्रजापति मुख्तारनामा के जरिए खेल कर रहे। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक यह खेल वे अपने अमेठी की करीबी महिला गुड्डा देवी के जरिए खेल रहे। गुड्डी देवी आलमबाग के प्रजापति भवन में रहती हैं। गुड्डी देवी ने ड्राइवर रामराज के पक्ष में एक रजिस्टर्ड मुख्तारनामा किया है। इसके जरिए उन्होंने कहीं भी अपने नाम से संपत्ति के क्रय-विक्रय का अधिकार दे दिया है। गुड्डी देवी के इस अहसान के बदले में गायत्री उन्हें लखनऊ के प्रजापति भवन में रहने की सुविधा दे रहे।
पत्नी, पुत्र और रिश्तेदारों के नाम संपत्ति का आंकलन(शिकायती पत्र में)
नाम दस्तावेजी मूल्य वास्तविक मूल्य
अनुराग(बेटा) 17.50 करोड़ 65
महराजी देवी(पत्नी) 1.40 5
अंकिता 50 लाख दो करोड़
अनिल प्रजापति(बेटा) 34.88 करोड़
गुड्डा देवी 27.86 37.46
राम सहाय व रामराज 20.69 76.90 करोड़
रिश्तेदार 330.20 931.80 करोड़