जहाने-ताज़ा नये संसार की अफ़कारे-ताज़ा ताज़ा चिंतन से है नमूद
कि संगो-ख़िश्त ईंट-पत्थर से होते नहीं जहाँ पैदा
ख़ुदी में डूबने वालों के अज़्मो-हिम्मत हिम्मत और इरादे ने
इस आबे-जू नहर से किए बह्रे-बेकराँ असीम समुद्र पैदा
29 अप्रैल 2023
जहाने-ताज़ा नये संसार की अफ़कारे-ताज़ा ताज़ा चिंतन से है नमूद
कि संगो-ख़िश्त ईंट-पत्थर से होते नहीं जहाँ पैदा
ख़ुदी में डूबने वालों के अज़्मो-हिम्मत हिम्मत और इरादे ने
इस आबे-जू नहर से किए बह्रे-बेकराँ असीम समुद्र पैदा
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जन्म : 09 नवंबर 1877 निधन : 21 अप्रैल 1938 उपनाम इक़बाल जन्म स्थान सियालकोट, पंजाब (अब पाकिस्तान में) इकबाल के दादा सहज सप्रू हिंदू कश्मीरी पंडित थे जो बाद में सिआलकोट आ गए भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इक़बाल ने ही उठाया था। 1930 में इन्हीं के नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने सबसे पहले भारत के विभाजन की माँग उठाई। इसके बाद इन्होंने मुहम्मद अली जिन्ना को भी मुस्लिम लीग में शामिल होने के लिए प्रेरित किया और उनके साथ पाकिस्तान की स्थापना के लिए काम किया। अल्लामा इक़बाल "सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा" गीत के रचयिता हैं। इसके अलावा इनकी बेहद मशहूर रचनाओं में "लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी" और "शिक़वा" तथा "जवाबे-ए-शिक़वा" शामिल हैं। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं: असरार-ए-ख़ुदी, रुमुज़-ए-बेख़ुदी, और बंग-ए-दारा, जिसमें देशभक्तिपूर्ण तराना-ए-हिन्द ) शामिल है। फ़ारसी में लिखी इनकी शायरी ईरान और अफ़ग़ानिस्तान में बहुत प्रसिद्ध है, जहाँ इन्हें इक़बाल-ए-लाहौर कहा जाता है। इन्होंने इस्लाम के धार्मिक और राजनैतिक दर्शन पर काफ़ी लिखा है। इन्हें पाकिस्तान में राष्ट्रकवि माना जाता है। इन्हें अलामा इक़बाल (विद्वान इक़बाल), मुफ्फकिर-ए-पाकिस्तान (पाकिस्तान का विचारक), शायर-ए-मशरीक़ (पूरब का शायर) और हकीम-उल-उम्मत (उम्मा का विद्वान) भी कहा जाता है।D