1. हम खुशियों की बात कर रहे हैं।
आपको अंदर से तराशना चाहिए।
खुद को क्यों? फिक्रों के तराजू में तोल रहे हैं।
आप अपनी जिंदगी को क्यों रोल रहे हैं?
2. फिक्रों में आप खुद को भूल रहे हैं।
फिक्रों में आप कितना झुंझल रहे हैं?
क्यों? खुद की जिंदगी से रूठ रहे हैं।
क्यों? खुद की खुशियों का फिक्रों से गला घुट रहा है।
3. क्यों? फिक्रों की आपने बांधी पट्टी है।
क्यों? आपकी हमसे नजरें हटती हैं।
क्यों? फिक्रें, आप ज्यादा लेते हैं।
इसलिए फिक्रों से आपका नाता है।
4. अगर आज आपके पास खुशियां हैं,
तो आने वाले कल की क्यों फिक्र लेते हैं?
आप आज के पल में जीना सीख गए हैं,
तो ढेरों खुशियां आएंगी आपके पास।
फिक्रें खुद-ब-खुद जाएंगी कहीं दूर भाग।