1.मंजिलें तुम्हें, ख़ुद तराश करनी है।
किसी दुसरे की , क्यो हांमी भरनी है।
कभी किसी दुसरे के , सहारे मत चलना।
जब उड़ान तुम्हें, खुद भरनी है।
2.मंजिलें होती है, थोड़ी कठिन।
कठिनाइयों से तुम, कभी डरना मत।
अगर मंज़िल पाने, की राह में निकल पड़े
तो कभी, पिछे मुड़कर देखना मत।
3.गिरकर उठना, सीख जाओगे तुम।
मंज़िल पाने का, जारी रखना अपना जनूंन
रास्ते में तुम्हारे, आएंगे काटें और पथर।
इन काटें और पथर को फूल में बदलना तुम।
4.अगर मुश्किलें और कठिनाइयां पार कर तुमने।
तो मंज़िल, तुम्हारी दुर नहीं है।
कई लोग,तुम्हें जानने लगेगे।
चाहें अभी तु , मशहूर नहीं है।