धनबाद : यहां के किसानो को समझ नहीं आ रहा कि अपनी बेशकीमती जमीन बचाये या सरकारी मुलजिमों , हाकिमों की नौकरी. लंबी चौड़े दावों के साथ झारखंड में शुरु हुई डोभा योजाना बुरी तरह से फ्लॅाप कर गयी हैय 90 फीसदी से अधीक डोभा सूख चुके हैं. दो साल पूरी ताम-झाम के साथ इस योजना को शुरु की गई थी .लेकिन रख - रखाव के अभाव में किसानों के लिए वरदाने की बजाय अभिशाप साबित हो रही है.
ऊपर से दबाव में यहां के अधिकारी के साथ पंचायत स्तर के जन प्रतिनिधि किसानों का कहना है कि कि डोभा से नुकसान ज्यादा, लाभ नाममात्र होता है. एक तो डोभा के लिए खेत बरबाद होता है. और बहुत कम दिनों के लिए पानी टिकता है. इतनी कम गहरायी होती है कि इसमें पानी टिकता ही नहीं . एक फसल भी मुख्किल से होती है. इसम कमाई कम खर्च ज्यादा हो रही हैं.
क्या है जमीनी हालत
बलियापुर प्रखंड के कुसमाटांड़ पंचायत में पिछले दो वर्षों के दौरान 35 डोभा खुदवाया गया. आज इसमें से 34 डोभा सूख चुके हैं. एक डोभा में नाम मात्र का पानी बचा है. कमोवेश यही हालत जिले के सभी प्रखंडों में है. यहां के किसान कहते हैं कि पानी के अभाव में खेती नहीं हो पा रही. डोभा में जो पानी स्टोर होता है उससे केवल धान की खेती में लाभ मिलता है. लेकिन, इसके चलते खेत बरबाद हो रहा है. जो एक बार डोभा खुदवा चुके हैं उन पर दुबारा डोभा लेने के लिए दबाव बनाया जाता है.