छाया वसंत चुनाव का मची हुई किलकारी. रंग बिरंगे लांछन की सब चला रहे पिचकारी. चला रहे पिचकारी आरोपों का रंग गुलाल. खेदि-खेदि अरु पकड़-पकड़ पोते दूजे के गाल. निर्झर चोला बदले नेता दिखा रहे निज माया . चिंतित जनता के मन में फैली है संकट छाया. ----------निर्झर आजमगढ़ी