मित्रों आज भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी है. इस उत्सव मेरी एक रचना-- -------------------------------------------
पुन; महाभारत होने का दीख रहा आसार.
बनने को सारथी कृष्ण जी जल्दी लो अवतार.
------------------सेवक रक्षक बनकर सारे नेता लूट रहे.
----------------- राजनीति की ओखल में वे जनता कूट रहे.
सभी भूल कर्तव्य, माँगते हैं अपना अधिकार.
बनने को सारथी कृष्ण जी जल्दी लो अवतार.
-----------------अका बका पूतना केशी जैसे असुर तमाम.
------------------वेष बदल कर घूम रहे करते निडर हो काम.
रक्तबीज सा फैल रहा है कंस वंश परिवार.
बनने को सारथी कृष्ण जी जल्दी लो अवतार.
-------------------दुर्योधन का कोप झेलते पाण्डव जैसे लोग.
------------------ खेल रहा द्युति बिछा के चौसर शकुनी करके ढोंग.
सृष्टि मिटाने हेतु बन रहा घर-घर में औजार.
बनने को सारथी कृष्ण जी जल्दी लो अवतार.
-------------------सभी धर्म उन्मादित होकर देते हैं पैगाम.
-------------------होने वाला है धरती पर देवासुर संग्राम.
हत्या लूट डकैती निर्भय होता बलात्कार.
बनने को सारथी कृष्ण जी जल्दी लो अवतार.
--------------------अत्याचार के सम्मुख सारे सज्जन डरे हुए.
---------------------मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे सब पाखण्ड भरे हुए.
शास्त्र नहीं अब शस्त्र हो रहा जीवन का आधार.
बनने को सारथी कृष्ण जी जल्दी लो अवतार.
--------------------जिधर देखिए अपने ही सब शोणित का सम्बंध.
---------------------किंतु सभी के आँखों ''निर्झर'' भरा विषैला धुंध.
कुरुक्षेत्र में रथ पर बैठा अर्जुन है लाचार
बनने को सारथी कृष्ण जी जल्दी लो अवतार.
--------आप सभी को कृष्ण जन्माष्ट्मी की हार्दिक बधाई..
-------निर्झर आजमगढ़ी