प्रज्ज्वलित अखण्ड दीप , अपने को बनाना होगा. घर में घिरे अँधेरे को, फिर चलके मिटाना होगा. -----कलुषित मन का विचार-, ----छाया है अँधेरा बन कर. ----क्रोधित ईर्ष्या द्वेष--- -----सामने खड़ा हुआ तनकर. उर से मिटा कर इसको, स्नेह दीपक जलाना होगा. घर में घिरे अँधेरे को, फिर चलके मिटाना होगा. -----उड़ रहे शलभ बनकर-- -----मुदित देश बाँटने वाले. -----मकड़ी बने विरोधी--- ----जगह-जगह बुन रहे जाले. स्वच्छता सफाई हेतु, अब झाड़ू लगाना होगा. घर में घिरे अँधेरे को, फिर चलके मिटाना होगा. ---हुई परायी अपनी--- --- संस्कार सभ्यता शिक्षा. ---धनोपार्यन की ही--- ---मिल रही सभी को दीक्षा. सद्मानव सद् ज्ञान हित, सद्सासाहित्य पढ़ाना होगा. घर में घिरे अँधेरे को, फिर चलके मिटाना होगा. --- कल बल छल मुखरित हो-- ---बन कर राजनीति की शान. ---लोंगो को आपस में,--- ---बाँट-बाँट करती अभिमान. देश समाज की सेवा, प्रतिनिधि को समझाना होगा. घर में घिरे अँधेरे को, फिर चलके मिटाना होगा. ----सब आपस में मिलकर--- ----रहें, रखें मृदुल व्यवहार. ----हँसी खुशी सद्भाव से--- ----सभी मनायें शुचि त्यौहार. भुला के सभी विसमता, "निर्झर" देश सजाना होगा, घर में घिरे अँधेरे को, फिर चलके मिटाना होगा. ------मित्रों आप सभी को शुभ दिवाली की हार्दिक बधाई, ------निर्झर आजमगढ़ी