भारत की धरती वीरों से आज नहीं है खाली.
अंगारे पर राजनीति की राख पुती है काली.
----------संविधान के छद्म रूप से देश आज है आहत.
--------कर्मवीर सच्चे लोगों को कदम-कदम पर डाहत.
लूट रहा है खुलेआम वह बना देश का माली.
अंगारे पर राजनीति की राख पुती है काली.
-----------क्लीव हो रहे लोग यहाँ पढ़ मैकाले की शिक्षा.
-------------दानवीर के वंशज माँगे भिखमंगों से भिक्षा.
भूल गये अपना अतीत हम जो था गौरवशाली.
अंगारे पर राजनीति की राख पुती है काली.
--------सहिष्णुता में हम विष पीकर विक्षिप्त हो गये हैं.
---------नित उसी फसल को काट रहे जो शत्रु बो गये हैं.
सेवक का चोला पहने कर रहा बाज रखवाली.
अंगारे पर राजनीति की राख पुती है काली.
--------कुश्ती, मल्ल, कबड्डी, कसरत हुआ सभी से दूर.
------------गली-गली में क्रिकेट हो रहा लोगों में मसहूर.
मदिरा मांस की दुकान चौराहे की खुशहाली.
अंगारे पर राजनीति की राख पुती है काली.
----------चरित्र और नैतिकता की उड़ गयी गंध फूलों से.
---------रंग भरा फगुवा सावन की मृदु कजली झूलों से.
पड़ी दरारें रिश्तों में सूखी उर की हरियाली.
अंगारे पर राजनीति की राख पुती है काली.