एक-एक कर घट रहा, जीवन का भण्डार.
बढ़ना उसको समझ हम,मना रहे त्यौहार. --
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मन से मन मिलता नहीं, तन से करें प्रयास.
मन से मन मिल जाय यदि घूमें बन कर दास. -
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अच्छा बुरा बता करते निंदा स्तुति लोग.
लगती धूप सुहानी तीखी जैसा हो उपयोग..
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जन्म मृत्यु मिल खींचते, श्वांसों की नित डोर.
समझ रहे अपना जिसे, उस पर कोई और. -
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बोये खेतों में उगे, जैसे खर पतवार.
वैसे भरे समाज में, कितने हैं बेकार. -
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रहता सबके साथ में, सुख-दु:ख, दिन अरु रात.
अतिथि समान सुख समझो, दु:ख को कर दो मात. -
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देश लूट राजा बने, उन सा उठन बैठन.
रस्सी सारी जल गयी, गयी नहीं ऐंठन.
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आतंकी पकड़ा गया, देने आया घाव.
बंदीगृह में डाल कर. दो कबाब पोलाव.
काम क्रोध मद लोभ का,बिछा धरणि पर जाल.
इसीलिये नित हो रहा, है सर्वत्र बवाल. -
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राजनीति रण्डी हुई, नेता हुये दलाल.
संविधान अंधा हुआ, अधिवक्ता वाचाल. -
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सत्य अकेला लड़ रहा, सह झूठे की मार.
अन्यायी निर्भीक हो, उसे रहे ललकार. --
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सबसे अच्छा इस समय, शिक्षा का व्यवसाय.
लिख अंग्रेजी माध्यम. सबको रहे लुभाय. -
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हुई परीक्षा ज्ञान की, केवल एक प्रतीक.
विद्यालय में हो रही, खुली नकल निर्भीक.