मित्रता का हाथ जो बढ़ाना जानते हैं दुष्ट, जानते हैं अरियों का हाथ भी वे काटना. प्रशस्त पथ पर पड़े पहाड़ और खाइयों को, जानते हैं वीर उसे खोदना व पाटना. भीख भी तू माँग लेगा कर में कटोरा लेकर, तेरा तो स्वभाव ही है तलुओं को चाटना. बाट ना मिलेगा यदि बाट में हमारे आया, अच्छी तरह आता हमें काट-काट बाँटना. --------यह छंद मेरी पुस्तक आक्रोश से लिया गया है--इस पुस्तक में पाकिस्तान के ऊपर आक्रोश व्यक्त किया है. ---------निर्झर आजमगढ़ी
दुष्ट पाकिस्तान सोच ले तू यदि युद्ध छिड़ा-- मान चित्र से ही तेरा नाम मिट जायेगा. अपने ही हाथों से तू अपना विनास कर कहता हूँ सच शठ बहुत पछतायेगा. पूछेंगे जब जग वाले बोल किस देश का तू, परिचय में उन्हें अपने क्या तू बतायेगा. विश्व के क्षितिज मुड़ कर जब देखेगा तो, पाक की जगह हिंदुस्तान लिखा पायेगा. -----यह छंद मेरी पुस्तक --आक्रोश --से लिया गया है. --------------निर्झर आजमगढ़ी
अभी भी समझ यदि तुझको न आयी शठ, उर का तुम्हारा अरमान छीन लूँगा मैं. आन बान शान सब मिट्टी में मिलाऊँगा ही, सुखद विहान उत्थान छीन लूँगा मैं अभिमान जिस पर इतना तू करता है, वह भूमि आसमान छीन लूँगा मैं. कश्मीर में तू एक पग भी घुसा तो सुन, तुझे मार सारा पाकिस्तान छीन लूँगा मैं. ------अपनी लिखी पुस्तक --आक्रोश--से -------निर्झर आजमगढ़ी