होकर पीत पाँवड़े झरते. -----
रग-रग में कटु पीड़ा भरते ------.
तीर चुभा करके तुषार तन---
देकर दंश प्रताणित करते.
खड़े विपिन एकाकीपन का होता है आभास.
जब पतझड़ का करके अवसान.--आयेगा जीवन मधुमास .
कली कोपलें की हरियाली -----
तरु पिहकेगी कोयल काली .-----
शीतल मंद सुगंध प्रभंजन ---
से झूमेगी कुसुमित डाली . ------
प्राची का सुरमयी विहान सिंदूरी आकाश.
दिशाओं में भर कर नवगान--आयेगा जीवन मधुमास .