बदल रहा है रूप प्रकृति का बदल रहा पैगाम.
खून के प्यासे घूम रहे शठ धरती के आवाम.
-----------टुकड़ों में बँट जगह-जगह पर लोग लगाते नारा.
-----------अगुवा उसी को चुनते सब जो होता ठग हत्यारा.
किसी को कुछ भी कहते निर्भय मुँह में नहीं लगाम.
बदल रहा है रूप प्रकृति का बदल रहा पैगाम.
----------फूलों की कोमलता बदली उगे कंट के झाड़.
----------घर में लगा कराने चोरी रक्षक बना किवाड़.
कर्मवीर सत्यपथ पर चलने वाला है नाकाम.
बदल रहा है रूप प्रकृति का बदल रहा पैगाम.
-----------शुष्क हो गये जलद गगन के लगे उगलने आग.
------------इसीलिये सब खेल रहे आपस में खूनी फाग..
सुहृद सलोना सगा हो कितना पल में करते खाम.
बदल रहा है रूप प्रकृति का बदल रहा पैगाम.
-------------आग्नेयास्त्र का सफल प्रदर्शन करके बाहुबली.
------------मचा रहा आतंक सब जगह फै ली है खलबली.
चाह रहे सब स्वाहा होना कर भीषण संग्राम.
बदल रहा है रूप प्रकृति का बदल रहा पैगाम.
------------स्वांसों पर संयम ही नहीं चाह रहे ब्रह्माण्ड.
------------जाति धर्म सम्प्रदाय में बँट कर सब करते है काण्ड.
''निर्झर'' लड़ते प्रभु को कहकर ईश्वर अल्ला राम.
बदल रहा है रूप प्रकृति का बदल रहा पैगाम.