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कविता।

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एक शाम  वो हसीन  सी ,मुझे याद है तुम्हे शायद  नही,जब आती थी पाने राहत सी,जो अब न मुन्तजिर है तुम्हे  रही,,बस दिन  ही तो कुछ  बदले,है।तुम हो अमीर संग  किसी,मै भले ही

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