नई दिल्लीः जिस तरह से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीआइपी कल्चर से दूर रहने का संदेश देना शुरू किया है, उससे बताया जा रहा कि वे अब किसी देसी वाहन से चलेंगे। राज्य संपत्ति विभाग ने उन्हें फिलहाल अखिलेश के जमाने में खरीदी 85 लाख की विदेशी मर्सिडीज चलने के लिए मुहैया कराई है। यह विदेशी गाड़ी है। अगर सचमुच में ऐसा हुआ तो योगी आदित्यनाथ सरकारी मशीनरी ही नहीं जनता में भी सादगी का संदेश देने में सफल होंगे।
मुलायम के जमाने में लगा विदेशी कार का चस्का
राजनाथ के जमाने में वर्ष 2002 तक मुख्यमंत्री अंबेसडर कार से ही चलते थे। मगर इसके बाद जब मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने तो उनके खासमखास अमर सिंह ने फ्लीट से अंबेसडर हटवाकर विदेशी कारें लगवा दीं। तब मुलायम टोयोटे लक्जर से चलने लगे। फिर अमर ने काफिले में टोयोटा प्रोडो और लैंड क्रूजर की भी व्यवस्था की। कहा जाता है कि यूपी में सबसे पहले अगर किसी नेता ने महंगी विदेशी लग्जरी कारों से चलना शुरू किया तो वह थे बाहुबली अतीक अहमद। सूत्र बताते हैं कि अतीक अहमद ने मुलायम को भी उस समय एक विदेशी लग्जरी कार भेंट की थी। 2007 में जब मायावती मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने भी काफिले में विदेशी कारें रखीं। वहीं जब 2012 में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने 85 लाख रुपये की मर्सिडीज अपने लिए मंगवाई।
इसलिए खड़े होते हैं सवाल
जिस राज्य की 20 प्रतिशत जनता गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती हो, उस राज्य के मुख्यमंत्री अगर 85 लाख की और एक करोड़ की कारों से चलेंगे तो सवाल उठना लाजिमी है। अखिलेश सरकार में 85 लाख रुपये की मर्सिडीज से चलना शाही ठाठ-बाट का सूचक रहा। अब चूंकि यूपी की सत्ता एक महंथ के हाथ में हैं, ऐसे में क्या योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश की उसी महंगी विदेशी कार से चलेंगे या फिर देसी गाड़ी से।