नई दिल्ली : सीरिया में चल रहे संघर्ष के दौरान अमेरिका और रूस का झगड़ा दुनिया ने देखा और अब यह झगड़ा और भी बड़ा रूप लेने लगा है। अमेरिका दक्षिण कोरिया में अपनी मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली 'टाड' तैनात कर रहा है और उसके विरोध ने चीन और रूस को एक कर दिया है। अमेरिका यह इसलिए कर रहा है क्योंकि वह उत्तर कोरिया के खिलाफ दक्षिण कोरिया का साथ देना चाहता है। चीन, और रूस इसे अमेरिका की एक चाल मान रहे हैं।
उनका मानना है कि अमेरिका दुनियाभर ने अपने अड्डे स्थापित करना चाहता है और 'टाड' इसी का परिणाम है जिससे वह परमाणु हमले के लिए अड्डा बना सके। हालही में भारत के साथ भी अमेरिका ने एक समझौता किया जिसके तहत वह भारत में युद्ध बेस बना सकता है। एक रूसी अधिकारी का कहना है की चीन और रूस इससे निपटने के लिए संयुक्त रणनीति बनाएंगे। रक्षा और विदेश मामलों के कई जानकारों का कहना है कि बीते समय में कई ऐसी स्थितियां आयी है जिसने रूस, पाकिस्तान और चीन को एक साथ ला दिया है।
हालही में जिस वक़्त भारत ने जिस वक़्त पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक किया था तब रूस की सेना पाकिस्तान में ही थी और सैन्य अभ्यास कर रही थी। हालाँकि रूस और पाकिस्तान के सैन्य अभ्यास के बाद रूस ने बयान दिया था वह पीओके में कोई सैन्य नही कर रहा है। जानकारों का मानना है कि इससे भारत और रूस के रिश्तों में अस्थिरता आयी है। रूस पहले ही भारत के अमेरिका के अच्छे रिश्तों से नाराज है क्योंकि भारत, अमेरिका की कही ज्यादातर बातों को मान रहा है। कुछ दिन पहले अमेरिका ने साफ़ किया था कि उसको सबसे ज्यादा खतरा रूस से है जबकि चीन उसके बाद आता है।
15 और 16 अक्टूबर को भारत के ब्रिक्स सम्मलेन होने जा रहा है जिसमे भारत, रूस, चीन, ब्राजील और साऊथ अफ़्रिका शामिल हैं। इस सम्मलेन में भारत, पाकिस्तान को घेरने की पूरी कोशिश करेगा लेकिन वर्तमान परिस्थितयों के मद्देनजर चीन और रूस दोनों भारत की हाँ में हाँ मिलाएंगे यह कहना असंभव है। वैसे यह मौका इस बात को परखने का होगा कि रूस का नजरिया भारत को लेकर कितना बदला है। भारत और पाकिस्तान के युद्ध की आड़ में चीन, रूस और अमेरिका अपने समीकरण फिट कर रहे हैं।