नई दिल्ली : रैनसमवेयर वायरस से 150 देशों में हुए साइबर अटैक ने भारत सरकार की चिंता बढ़ा दी है। रैनसमवेयर वायरस का यह हमला ऐसे वक़्त में हुआ है जब सरकार देश में लोगों को डिजिटल होने के लिए 'डिजिटल इंडिया' जैसे अभियान चला रही है। सरकार डिजिटल इंडिया के जरिये पूरे बैंकिंग व्यवस्था को चलाने की बात कर रही है लेकिन क्या इस तरह के साइबर हमलों से बचने के हमारे पास उपाय है ? इस का जवाब है शायद नहीं।
रैन्समवेयर के हमले की खबर के बाद भारत सरकार भी चिंतिति दिखाई दे रही है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों की माने तो देश के 66 फीसदी बैंक इस हमले के आसान शिकार हो सकते हैं, क्योंकि 66 फीसदी बैंकों में पुराने सॉफ्टवेयर विंडोज़ एक्सपी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों का यह भी मानना है कि देश में 2 लाख एटीएम में से 1.30 एटीएम पर खतरा मंडरा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने अब अपनी हर मिनिस्ट्री, डिपार्टमेंट और ऑर्गनाइजेशन में इन्फॉर्मेशन सिक्युरिटी ऑफीसर अप्वाइंट करने का फैसला लिया है। जिनके उपर साइबर सिक्युरिटी की पूरी जिम्मेदारी होगी। रिपोर्ट के अनुसार देश में 66 फीसदी बैंकों में साइबर सुरक्षा के इंतज़ाम नहीं हैं।
देश के संस्थान अपने बजट का एक फीसदी भी सुरक्षा में खर्च नहीं करते। जबकि विश्व आर्थिक मंच की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, फिनलैंड की बैंकिंग प्रणाली सबसे मजबूत है। अमेरिका ने अपने यहाँ जेपी मॉर्गन समेत चार बैंकों की सुरक्षा में 2015 मे 96 अरब रुपये खर्च किये थे।
ऑस्ट्रेलियाई बैंकों ने साइबर सुरक्षा पर 2015 में औसतन 9 हजार करोड़ रुपये खर्च किए। भारत में साइबर सुरक्षा का आलम यह है कि देश में ऑनलाइन फूड की डिलिवरी करने वाली कंपनी जोमेटो 1.7 करोड़ यूजर्स के डाटा के चोरी हो गए। जिसमे ईमेल और पासवर्ड शामिल हैं।