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क्या यही परिवार है?

27 सितम्बर 2021

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आरव : मम्मी आप क्या चाहती हो साफ साफ बताओ । प्रोमिला , बेटा वो मै और तेरे पापा इस बार उसको आईफोन देना चाहते है और सोच रहे है , की छोटी सी पार्टी होटल में दे दे किसी भी , 

आरव ने फिर से अपनी बात रखते हुए – मां फोन ही चाहिए तो कोई भी एंड्रॉइंड फोन दे देते है । चंद्र जी बीच में ही रहने दे फिर ! आरव ने एक नजर चारो ओर घुमाई और अपनी बात आगे रखते हुए पापा अभी मेरी सैलरी में से बाइक की भी इंस्टॉलमेंट कट्ती है, ओर आई फोन टॉप मॉडल 82 हजार का है और पार्टी में भी कम से कम 20 से 25 हजार खर्च हो जायेंगे तो आप ही बताइए की ये सब कैसे पॉसिबल होगा..

आरव ने अपना मोबाइल  आई 7 आगे करते हुए , पापा अगर आरुषि को आई फोन ही चाहिए तो ये ले लेगी मै कोई भी ले लूंगा ...  क्यूंकि फोन तो फोन है !

चंद्र जी : हां भई वो हमारी बेटी है तो तुम क्यों करोगे उसके लिए कुछ । वो क्यों लेगी तुम्हारा पुराना मोबाइल ,कल  को तुम्हारी बीवी के उलहाने सुनने के लिए की अपनी खुशी के लिए  तुम से मोबाइल छीन  लिया : 


इधर सोनिया किचन में खड़ी सोच में डूबी हुई थी–  जिस घर में एक ग्लास नींबू पानी महंगा लगता है  बेटे के लिए , उसी  घर में बेटी के लिए 1 लाख रुपए सिर्फ छोटी सी खुशी है ,,,, कुछ सोचते हुए सोनिया किचन से बाहर आई और वहां का गर्म माहोल देखते हुए .... आरव आप आरुषि को आई फोन इंस्टोलमेंट में ले कर दे दीजिए और हां पार्टी में जो भी लगेगा वो मेरी 2–3 महीने की सैलरी से मैनेज हो जायेगा , मै अपनी सैलरी एडवांस ले लूंगी ... 


आरव ने गुस्से से एक नजर सोनिया को देखते हुए –चुप हो गया क्योंकि वो जनता  था अगर इस वक्त उसने सोनिया की बात काटी तो आने वाले टाइम में उसकी बीवी को जो इज्जत मिल रही है, वो भी नही मिलेगी –आरव ने हामी, भरकर गुस्से में अपने कमरे में चला गया – लेकिन दिमाग में बस यही बात घूम रही थी की क्यों कोई भी आज उसकी  बात नही समझ रहा ... की आने वाले वक्त  में कम से कम थोड़ी बहुत कुछ तो सेविंग होनी चाहिए ... दिखावे से बढ़कर भी जिंदगी होती है ...और कल को आरुषि की शादी भी करनी है ,तो कोई क्यों नहीं समझता मेरी बात को, की कल अगर उसके मन मुताबिक घर –परिवार नही मिला तो ताल मेल बिठाना मुश्किल हो जायेगा आरुषि के लिए ।सोचते हुए अपने बेड पर लेट गया तभी वहां सोनिया को आता देख आरव ने अपना मुंह फेर कर दूसरी दिशा में घुमा दिया ! सोनिया दूर से ही ... क्या बात है ,आरव आप नाराज हो । आरव ने एक नजर दरवाजे की ओर डाली जहां सोनिया  अपने हाथो को बांधे खड़ी थी  – नहीं तो, वैसे भी मुझे ये हक कभी मिला ही नहीं की मै किसी से भी नाराज हो सकूं.....
सोनिया तो चलिए खाना खा लीजिए वैसे भी मुंह बनाने से आपको किसी से भी नाराज होने का हक तो मिलने से रहा। आरव –सोनिया तुम समझती नही हो घर का खर्च पहले ही मुश्किल से चलता है  और मुझे ये दिखावे के लिए उधार की जिंदगी जीना पसंद नहीं ! जानती हूं आरव पर घर की शांति भी जरूरी है और आप चिंता मत कीजिए सब ठीक हो जायेगा एक फोन की ही तो बात है – वो भी तो आपने बड़े भाई से कुछ उम्मीद रखती होगी ना ! आरव सोनिया की बाते सुन कर – अच्छा तो तुम्हारी क्या उम्मीद है मुझ से वो भी बता दो जिससे मैं अपने ,दोनो किडनिया बेच कर पूरा कर दूं ।
सोनिया ने आरव की आंखो में अपने लिए गुस्सा देखा तो उसकी आंखो से पानी टपकने  लगा –आरव ... सॉरी सोनिया पर  आरुषि सब समझ सकती है बस अगर मम्मी पापा उसका साथ ना दे – ओर तुम्हे पता है पापा के पास तो कोई सेविंग भी नही है इस फ्लैट और गांव की जमीन के अलावा –

सोनिया ने अपने हाथ में आरव का हाथ पकड़ते हुए : अब ज्यादा सोच रहे हो तुम ,तो थोड़ी देर आराम करो। मैं तुम्हारा डिनर कमरे में ही ले आऊंगी फिर साथ में खाना खाएंगे । 


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क्या यही प्यार है
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कहनी कुछ सच्चाई है जो आज कल के माहोल में सच साबित होते हुए मैने खुद देखी है ।  कहानी सभी किरदार काल्पनिक है  ये बस कहानी किसी की जिंदगी से मिलती जुलती है , जो सच में  मुझे किसी ने सुनाया था  काफी टाइम पहले सोचा आप लोगो के साथ शेयर कर लू वैसे अगर आप लोगो को अच्छी लगे तो कमेंट और अपनी राय जरूर देना  !

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