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क्या यही परिवार है?

25 सितम्बर 2021

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प्रोमिला : उठ जा आरुषि 8 बज चुके फिर तुम को कॉलेज भी जाना है , मेरे बच्चे , ओर हां कल तुम्हारा बर्थ डे है तो बताओ तुमको क्या गिफ्ट चाहिए .... मेरे बच्चे ....
आरुषि ने अपनी बड़ी बड़ी आंखे खोली हुए मम्मा मुझे  आईफोन का टॉप मॉडल चाहिए , क्योंकि मेरी सारी फ्रेंड्स के पास महेगे फोन है ... अब आप ही बताओ .उनको देख कर मुझे कैसा लगता होगा ।


प्रोमिला चल ठीक है शाम को करती हूं, आरव से बात  ...अभी उठ ओर जा कर नाश्ता करले टेबल पर लगा दिया है !आरुषि : ओके मम्मी ..

पूरा दिन इस तरहां से बीत गया ! 
शाम को चाय पीते हुए : परोमिला ने चाय का कप चंद्र शेखर की ओर बढाते हुए : देखिए जी आरुषि के बर्थ डे पर  आईफोन तो देना ही पड़ेगा और मैं सोच रही हूं इस बार पार्टी घर में न करके बाहर होटल में ही कर लेते है क्योंकि घर पर ताम झाम करना मुझ को तो अच्छा नही लगता ओर उसकी सहेलियां  भी तो आयेगी,,,, कुछ तो हमारी भी इज्जत बढ़नी चाहिए ... 

चंद्र जी : परोमीला की ताल में ताल मिलाते हुए हां हां बिलकुल वैसे भी बेटियां तो हर किसी के नसीब में नहीं होती ,,, ओर कहते है बेटियों की किस्मत से ही घर चलता है ... बेटो का क्या है वो शादी होते ही बेगाने हो जाते है ... हम पर भगवान की किरपा है की हमारे पास लक्ष्मी जी का आशीर्वाद आरुषि के  रूप में है ....

सोनिया घर आते ही चाय का कप पी कर किचन में काम करने में लग गई  क्योंकि ना तो उसको किसी बात की परवाह थी घर में क्या हो रहा है क्या नही ,क्योंकि उसकी बात न किसी ने सुननी थी। ना ही उसे कोई राय लेने वाला था तो उसने खुद को इन बातों में उलझाने के बजाए  खुद को काम में व्यस्त रखना ही अच्छा समझा था इसी लिया एमबीए करने के बाद भी छोटे से स्कूल में जॉब कर रही थी क्योंकि उसे जहां जॉब के ऑफर मिल रहे थे ,वो काफी दूर थे ,,,,और आरव और घर की जिमेदारी के करण  वो बैंगलोर ,या नोएडा में  जॉब नहीं कर सकती थी।  ओर डिनर  की तयारी में लगी रही बिना किसी तर्क वितर्क के ....

आरव को दरवाजे पर आता देख सोनिया का चहेरा खुशी से चमक गया ,,, ओर किचन नींबू पानी का ग्लास ले कर बाहर आ गई ....
प्रोमिला : अरे बहू तुम वो नींबू पानी  पैकेट वाली क्यों नहीं बना लेती उनमें चीनी भी नही डालनी पड़ती और पीने में भी अधिक स्वाद लगते है ...वैसे भी गर्मी के मौसम में नींबू की कीमत आसमान छूने लगती है ! प्रोमिला ने अपना तर्क सामने रखते हुए कहा..

सोनिया ने हल्का सा सिर हिलाते हुए : जी कहा ओर ग्लास को आरव के आगे करते हुए लीजिए ...,।प्रोमिला फिर से सोनिया जा जाकर रसोई में आरुषि के लिए स्लाद की प्लेट त्यार करदे क्योंकि वो खाना तो नाम मात्र ही खाती है ,,,, 

आरव वही हाल में सोफे पर बैठ गया ...
चंद्र जी : ओर बेटा केसा रहा आज का दिन । आरव ने ग्लास को मुंह लगाते हुए जी ठीक था । चंद्र ने एक सरसरी सी नजर प्रोमिला पर डाली।प्रोमिला ने बात आगे बढ़ाते हुए – आरव दो दिन बाद तुम्हारी छोटी बहन का बर्थ डे है, तो तुम और सोनिया  अपनी तरफ से क्या गिफ्ट दोगे –आरव ने ग्लास टेबल पर वापिस रखते हुए – अपनी जेब से पांच हजार  रुपए निकाल कर आगे बढ़ाते हुए मां आरुषि खुद ही ले लेगी जो उसे पसंद है ...आरव मन ही मन सोच रहा था ( ये पैसे तो मैने सोनिया के लिए एक जोड़ी पायल के लिए कई महीनो तक बचत करने के बाद बचा कर रखे थे –चलो आरुषि की खुशी भी जरूरी है ) !


प्रोमिला तेज तर्रार आवाज में बोलते हुए – रहने दे आरव अगर मन नहीं है कोई गिफ्ट देना का ढंग तो कोई जरूरत नही आखिर अब तो तुम अपने पैसे बीवी पर ही उड़ाएगा ,क्यों जी , चंद्र जी की ओर देखते हुए ,,,,,,,,,ओर वैसे भी आरुषि तो पैसे लेने वाली नही है ,मैने तो सोचा था की चलो घर में एक ही बेटी है ना जाने आगे ससुराल कैसा मिले ,इसलिए सोचा था छोटी छोटी खुशियों से उसका दामन भर दे पर चलो जी उसकी तो किस्मत में ही नही है ये सब , 


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रचनाएँ
क्या यही प्यार है
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कहनी कुछ सच्चाई है जो आज कल के माहोल में सच साबित होते हुए मैने खुद देखी है ।  कहानी सभी किरदार काल्पनिक है  ये बस कहानी किसी की जिंदगी से मिलती जुलती है , जो सच में  मुझे किसी ने सुनाया था  काफी टाइम पहले सोचा आप लोगो के साथ शेयर कर लू वैसे अगर आप लोगो को अच्छी लगे तो कमेंट और अपनी राय जरूर देना  !

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