अनूप श्रीवास्तव
नई दिल्ली: एक दो नहीं बल्कि पूरे 160 हिंदुओं की अस्थियां लेकर एक महंत पाकिस्तान से हरिद्वार पहुंच रहे हैं। महंत रामनाथ मिश्रा और उनका 14 साल का भतीजा कबीर कुमार अस्थियां लेकर बृहस्पतिवार को ही अटारी बॉर्डर के रास्ते भारत आए। वे अपने साथ उन लोगों की अस्थियां लेकर भारत आएं, जिन्होंने मरने से पहले इच्छा ज़ाहिर की थी कि उनका अस्थी विसजर्न भारत की गंगा नदी में हो। कराची स्थित पंच मुखि हनुमान मंदिर के महंत रामनाथन उनकी अस्थियों का विसर्जन हरिद्वार में करेंगे।
कराची से हरिद्वार तक अस्थियों का सफ़र
दरअसल कराची की हिंदू श्मशान भूमि एसोसिएशन अध्यक्ष रामनाथन बुधवार को ही भारत आना चाहते थे लेकिन ये हो न सका क्योंकि पाकिस्तान के कस्टम विभाग ने कुछ औपचारिकताओं के कारण उन्हें आने नहीं दिया था। दरअसल कुल 10 लोगों ने वीज़ा के लिए आवेदन दिया था। लेकिन उनमें से महज़ दो ही लोगों को भारत आने की मंज़ूरी मिली और तक़रीबन 40 कलश ऐसे थे, जिन्हें पाकिस्तान ने भारत लाने की अनुमति नहीं दी। दरअसल कलश के साथ उनके परिवार वाले खुद भी अस्थी विसर्जन के लिए भारत आना चाहते थे। यह पहली बार नहीं है कि महंत रामनाथन अस्थियां लेकर पाकिस्तान से भारत आए हैं। वह 2011 में भी अस्थियां लेकर भारत आ चुके हैं। उस वक़्त वह अपने साथ 135 कलश लाए थे।
कराची के पंच मुखी हनुमान मंदिर के महंत रामनाथन की माने तो यह एक आम प्रकिया है। पाकिस्तान में हिंदू परिवार अपने घर के सदस्य की अस्थियों को भारत भेजने के लिए मंदिर में रखवाते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं जो घर में ही अपनी समाधि बनवा लेते हैं। ये सिलसिला बेहद पुराना है।