नई दिल्लीः कहानी ऐसी बहादुर महिला आईपीएस की है। जिसका खौफ उन आतंकियों के सिर पर चढ़कर बोलता है, जिन आतंकियों का नाम सुनकर ही जनता थर-थर कांपती है। मगर संयुक्ता पराशर ने जैसे ही वर्दी पहनी और असम में कमान संभालीं तो फिर शुरू हो गईं बोडो आतंकियों की जड़ों पर वार करने में। इतने वार किए कि बोडो आतंकियों की असम में कमर ही टूट गई।
बहादुरी का आलम है कि यह आइपीएस कंधे पर एके-47 लेकर जंगलों में बेखौफ काबिंग करती है। बोडो आतंकियों को उनकी मांद में ही घुसकर ललकारने का साहस दिखाती है। अब तक इस बहादुर आइपीएस की गोलियों का निशाना जहां 50 से अधिक आतंकी बने, वही दो सौ से अधिक आतंकियों को गिरफ्तार कर जेल में ठूंसवा दिया। खास बात है कि 16 आतंकियों का एनकाउंटर तो सिर्फ 15 महीने में ही कर दिया।
जानिए संयुक्ता के बारे में
संयुक्त पराशर 2006 बैच की आईपीएस अफसर हैं। उन्होंने ऑल इंडिया में 85 वीं रैंक हासिल की थी। पहली बार असिस्टेंट कमांडेंट के तौर पर माकुम में उन्हें तैनाती मिली। तब से वह असम में बोडो आतंकियों के लिए बुरा सपना बन चुकी है। बोडो आतंकियों और बांग्लादेशी आतंकियों के बीच संघर्ष में जनहानि को रोकने की दिशा में संयुक्ता को काफी सफलता मिली। जब ज्वाइनिंग के शुरुआती 15 महीने में ही 16 आतंकियों को मार गिराने और 64 को गिरफ्तार करने का सफल ऑपरेशन किया तो सुर्खियों में आईं।
पढ़ाई-लिखाई कहां से
संयुक्ता पराशर ने इंद्रप्रस्थ कॉलेज, दिल्ली से राजनीति वि ज्ञान में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद इंटरनेशनल रिलेशन्स में जेएनयू से मास्टर्स की डिग्री लेने के बाद यूएस फॉरेन पालिसी में पीएचडी भी की। इस दौरान उनकी सिविल सर्विसेज की तैयारी भी चलती रही। फिर 2006 में सफलता मिली और आइपीएस बन गईं। संयुक्ता के पास आइएएस पति से एक बेटा भी है।
कई बार मिली धमकियां
संयुक्ता ने बोडो आतंकियों पर कहर बरपाना शुरू किया तो उनके संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड(एनडीएफबी) से धमकियां भी मिलीं। बावजूद इसके संयुक्ता ने हौसला नहीं खोया। वे अपनी ड्यूटी पर लगी हुई हैं। जब सोनिटपुर जिले में वह एसपी रहीं , तब एके-47 से लैस जवानों के साथ काबिंग कर उन्होंने बोडो आतंकियों को खूब डराया।