दिल्ली : बैंको, एटीएम मशीनों और डाक घरों के बाहर हुजूम जमा है. यूपी, बिहार मे जगह-जगह से कानून व्यवस्था बिगड़ने की शिकायतें आ रही है. बेक़ाबू हो रही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज और हवाई फायरिंग तक करनी पड़ रही है.
तो वहीं दूसरी ओर अगर हम बात दक्षिण भारत की करें तो वहां ATM मशीनों के बाहर पैसें की निकासी को लेकर लंबी-लंबी कतारें नही है. अब सवाल है दक्षिण भारत की तुलना में उत्तर भारत के यूपी, बिहार, दिल्ली मे ही पैसों की निकासी को लेकर अफरा तफरी क्यों है.
दक्षिण भारत के तमिल नाडू में लगी ATM मशीनों की बात करें तो वहां 10 लाख लोगो के लिए ATM की संख्या 343 है मतलब 3000 लोगो के लिए एक ATM की व्यवस्था है.
जबकि बिहार मे 10 लाख लोगो के लिए ATM की संख्या महज 74 है मतलब 13500 लोगो के लिए एक ATM की व्यवस्था है. तो वही 20 करोड़ की आबादी वाले सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में 10 लाख लोगो के लिए ATM की संख्या महज 89 है मतलब 11235 लोगो के लिए एक ATM की व्यवस्था है.
यदी हम समूचे भारत के ATM का औसत निकालते हैं तो 10 लाख लोगो के लिए ATM की संख्या महज 171 है मतलब 5847 लोगो के लिए एक ATM की व्यवस्था है.
देश के एटीएम की संख्या
देश में इस समय 2 लाख से भी ज्यादा एटीएम हैं और इसमें से सिर्फ एसबीआई के ही 50,000 से ज्यादा एटीएम हैं. इतने सारे एटीएम को मैनेज करने के लिए सिर्फ 3-4 एटीएम वेंडर्स हैं. तो जाहिर तौर पर देश भर में फैले 2 लाख से ज्यादा एटीएम के तंत्र को संभालने के लिए ये काफी कम हैं.
पहले दो दिन कैश रहता था, अब सिर्फ दो घंटे
जानकारों के मुताबिक, पहले किसी एटीएम में जो कैश दो दिनों तक चलता था, वो अब 100-100 के नोट होने की वजह से दो घंटे में ही खत्म हो जा रहा है, इसीलिए लंबी लंबी लाइन लग रही है. ये समस्या तभी खत्म होगी जब एटीएम में 500 और 2000 के नए नोट डाले जाएंगे.