नई दिल्लीः अखिलेश और शिवपाल के बीच मचे घमासान के बीच पार्टी से बाहर निकाले गए प्रो. रामगोपाल यादव ने जनता के सामने दिल की बात रखने की कोशिश की तो रो पड़े। प्रेस कांफ्रेंस के जरिए अपना दुखड़ा बयां करते हुए कहा कि अगर यूपी की जनता को लगता है कि मेरे साथ ठीक नहीं हुआ है तो सही करें और अगर नहीं लगता को कोई बात नहीं। मैने पार्टी से कोई निजी लाभ नहीं कमाया, मुझे कोई लेना-देना नहीं रहा फिर भी मेरे साथ अपनों ने ही अन्याय किया।
चाहता तो केंद्रीय मंत्री बन गया होता, फिर भी लगा बेईमानी पर दाग लगा
लखनऊ में प्रेस वार्ता के दौरान प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा कि अगर मुझे मंत्री बनना होता तो मैं यूपीए सरकार में न्यूक्लियर डील के दौरान केंद्र में मंत्री बनता, मगर मुझे पद से कोई लेना-देना नहीं था। उस वक्त मैने पार्टी सुप्रीमो से साफ मना कर दिया था।
छह साल के लिए निकाले गए हैं रामगोपाल
दरअसल जब मुलायम कुनबे में अखिलेश और शिवपाल यादव के बीच तलवारें खिंचीं थीं तो प्रो. रामगोपाल यादव अखिलेश के पक्ष में चट्टान की तरह न केवल खड़ा रहे बल्कि कई बार सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह को लेटर लिखकर अखिलेश का समर्थन करने की अपील करते रहे। इस पर भड़के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने रामगोपाल पर भाजपा का एजेंट होकर काम करने का आरोप लगाया था तो उनकी संस्तुति पर मुलायम सिंह यादव ने रामगोपाल को छह साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया।