
नई दिल्लीः बेंगलुरु से जीभ का इलाज कराकर लौटे केजरीवाल को भले फिलहाल पंजाब और गोवा के चुनाव में विरोधियों से मुकाबिल होना है मगर उनका विजन और लंबा है। निशाने पर मिशन 2019 यानी लोकसभा चुनाव है। सपना प्रधानमंत्री बनने का है। लिहाज जाहिर सी बात है कि उनके टारगेट पर हैं नरेंद्र मोदी। केजरीवाल की राह में मोदी की इमेज सबसे बड़ी चुनौती है। इसे देखते हुए केजरीवाल ने नया तरीका खोज निकाला है। देश के उन सभी बड़े हिंदी और अंग्रेजी पत्रकारों का केजरीवाल एक मोर्चा खड़ा कर रहे, जिनकी विचारधारा के आधार पर मोदी से नहीं पटती। ऐसे पत्रकारों से हर मौके पर मोदी की नुक्ताचीनी करने पर चर्चा चल रही। ताकि सीधा लाभ मोदी को हो सके।
ये पत्रकार केजरीवाल की छतरी के नीचे आ सकते हैं
आम आदमी पार्टी से जुडे सूत्रों का कहना है कि बेंगलुरू से इलाज कराकर लौटे केजरीवाल अपने आवास पर बारी-बारी से मोदी विरोधी बड़े पत्रकारों को चाय पर आमंत्रित कर रहे हैं। इसमें पहला नाम अंग्रेजी के वरिष्ठ पत्रकार करन थापर का है। जिनके इंटरव्यू के दौरान एक बार मोदी नाराज होकर बीच में ही स्टूडियो से जा चुके हैं। फिर एनडीटीवी मुखिया प्रणव राज से आवास पर केजरीवाल ने चाय पर चर्चा की। इसके बाद आइआइटियन राजकमल झा, वाम विचारधारा की तरफ झुकाव रखने वाले अंग्रेजी पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन जैसे पत्रकार शामिल हैं। अब देखना है कि इनसे चाय पर हुई चर्चा केजरीवाल के लिए कितना सफल रहती है।
मीडिया में केजरीवाल का फंडा-या तो समर्थक हो नहीं तो विरोधी
केजरीवाल ने देश की मीडिया को दो धड़ों में बांटने की पिछले कुछ समय से कोशिश की है। उनका सीधा सा फंडा है कि या तो पत्रकार उनका समर्थन करें नहीं तो विरोधध ही। यही वजह है कि देश के जिन बड़े-बड़े पत्रकारों के खिलाफ राष्ट्रीय पार्टियों के बड़े नेता भी खुलकर नहीं बोलते, उनके खिलाफ केजरीवाल जब-तब सार्वजनिक रूप से भड़ास निकाल चुके हैं। देश में अरुण शौरी, एसपी सिंह अरुण जेटली वीर सांघवी, प्रभु चावला जैसे पत्रकारों को ब्रेक देने वाले टेलीविजन मीडिया के पितामह अरुण पुरी के खिलाफ सार्वजनिक रूप से केजरीवाल आपत्तिजनक बात कह चुके हैं। जब चुनाव के दौरान केजरीवाल की शिकायत रही कि आज तक ने सर्वे के जरिए उनकी पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। अभी हाल में जब दिल्ली में बीमारियों के फैलने पर इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व संपादक शेखर गुप्ता ने दिल्ली सरकार के खिलाफ ट्वीट किया तो केजरीवाल ने उन्हें मोदी का दलाल तक कह दिया था। इससे साफ पता चलता है कि केजरीवाल को मीडिया से विरोध पसंद नहीं है।