माँग का सिन्दूर part-3
जैसे ही नवीन प्रेमनगर पहुंचा वहां के सौंदर्य को देखते ही नवीन की आँखे स्थिर हो गईं।
"ओह! माई गॉड....हाऊ ब्यूटीफुल?" नवीन के मुख से यकायक ही निकल गया।
और जैसे ही नवीन की आँखे आगे गयीं तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया।
"कौन ? किसे सुंदर बता रहे हो आप? मुझे...."अपनी जुल्फों में हाथ डालते हुए विदुषी ने पूछा जो नवीन के सामने भाग्यवश आ गयी थी।
"ह..ह...हाँ... आपको नही "नवीन उत्तर तो हाँ में देना चाहता था लेकिन कह ना सका।
"अच्छा तो नवीन आप किसे इतना सुंदर बता रहे हो
हमने तो सोचा की हमारी तारीफ हो रही है"
विदुषी ने स्माइल देते हुए कहा।
"न...न...मैं तो प्रेम नगर के सौंदर्य की बात कर रहा था" नवीन ने घबराते हुए कहा।
"ओह... कोई ना यार" विदुषी ने मुँह बनाते हुए कहा।
नवीन कुछ समय के लिए खुद में ही खो गया ।ये देख विदुषी बोल पड़ी
"नवीन जी कहाँ खो गए"
"विदुषी...आप सूंदर नही बल्कि मोस्ट ब्यूटीफुल हो।
आपका चेहरा तो चाँद से भी हसीन है।
आपको देखते ही दिल मे अजीब सी हलचल होने लगती है"
नवीन विदुषी की झील सी आंखों में डूब रहा था।
"आपको देखते ही हार्ट बीट तेज हो जाती हैं।
स्कूल के बाद से ही एक पल भी चैन नही मिला ।इसलिये यहां घूमने आया ताकी आपसे मुलाकात कर सकूँ । ईश्वर ने मेरी सुन ली"
नवीन ने बोलना जारी रखा।
"विदुषी मुझे आपसे लव हो गया है...आई लव यू..."
नवीन ने बिना होंश ओर हवास के कहा।
"ये क्या कह रहे हो नवीन आप ...
हमारी मुलाकात को अभी एक ही दिन हुआ है और आप.....हमें आपसे ये आशा नही थी"
विदुषी भावुक होते हुए बोली।
"आई एम रियली सॉरी विदुषी...
मुझे खुद को पता नही मैं क्या बोल रहा हूँ ?
आपको हर्ट किया ....सो सॉरी
प्लीज माफ कर दो मुझे।"
नवीन ने नज़र झुका कर बोला।
"हमें देर हो रही है हम जा रहे हैं"
विदुषी तेजी से आगे बढ़ते हुए बोली।
"सुनो...विदुषी... मुझे माफ़ करदो....प्लीज"
नवीन की आंखों से अश्रु छलक पड़े।
"शिट...."नवीन ने अपना पैर जमीन पर पटकते हुए गुस्सा जताया।
इसी तरह नवीन कि आँखों से विदुषी ओझल हो गयी और वो घर की ओर चल पड़ा।
घर पहुंचते ही नवीन अपने रूम में चला गया और सो गया।
डायनिंग टेबल पर नवीन की माँ ने खाना लगा दिया था । और-
"नवीन इतना जल्दी सो गये क्या बात है ?आज खाना नही खाना क्या?" माँ ने बड़े प्यार से नवीन से कहा।
माँ की प्यारी आवाज ने नवीन को जगा दिया ।
"कुछ नही माँ बस यूँही सो गया था"नवीन ने उदास स्वर में कहा।
नवीन तुरन्त बिस्तर छोड़कर खाने की टेबल पर आ गया।और डिनर करने लगा।
लेकिन अभी भी नवीन की आँखों में विदुषी की उदासी चूभ रही थी।
इसलिए उसका खाने में भी मन नही लग रहा था।नवीन ने थोड़े ही समय मे टेबल छोड़ दी।
"नवीन ...क्या बात है? तुमने खाना भी ठीक से नही खाया । बड़े उदास नज़र आ रहे हो ।"
"कुछ नही माँ बस आज भूख सी नही है ।"
ये कहते हुए नवीन अपने रूम की ओर चल पड़ा।
इधर विदुषी के घर पर-
"हमने ठीक नही किया....
नवीन को हमसे प्यार हो गया तो आखिर इसमें गलत क्या है?उसमे इतनी हिम्मत तो थी कि उसने हमारे सामने इजहार भी कर दिया।
अगर हम उसकी जगह होते तो कभी बोल भी ना पाते।
नवीन ने अपने दिल की बात बताकर अपना बोझ हल्का करना चाहा तो क्या गलत कर दिया।
हमें उससे रूठना नही चाहिए था।
हम जानते हैं वो बहुत अच्छा लड़का है।और हमे बहुत प्यार करता है।
हमें अपने बेड बिहेव के लिए कल नवीन से सॉरी कहना होगा "
विदुषी मन ही मन अपने आप को कोस रही थी।
विदुषी के सामने सारी रात नवीन का उदास
चेहरा आता रहा और वो पूरी रात बस करवटें ही बदलती रही।
अगली सुबह नवीन और विजय दोनो ही साथ साथ स्कूल पहुंचे।
तभी विजय की नज़र विदुषी पर पडी।
"नवीन चलो विदुषी के पास चलते हैं" विजय ने कहा।
"नही भैया आप जाइये मुझे अपने दोस्त राजेश से मिलना है" नवीन ने अपना रास्ता बदलते हुए कहा।
"हाई विदुषी... हाव आर यू ? ".
विजय ने विदुषी के पास पहुंच कर कहा।
"आई एम फाइन एंड यू"
विदुषी ने अपनी जुल्फें जो आगे आ गयी
थी को पीछे हटाते हुए कहा।
"आई एम आल्सो फाइन" विजय ने मुस्कुराकर जवाब दिया।
"नवीन क्यों नही आया ? विजय"
विदुषी ने उदास स्वर में कहा।
"वह अपने किसी दोस्त राजेश से मिलने गया है"विजय ने कहा।
"वैसे हमारे हिसाब से हमारी क्लास में तो कोई राजेश नही है...."विदुषी ने झट से कहा।
"इस बारे में तो मुझे भी नही पता।" विजय ने कहा।
विदुषी और विजय इसी तरह बातें करते हुए प्रेयर के लिए चल पड़े।
प्रेयर में विदुषी अपनी सुनहरी आँखों से बार-बार नवीन को ही निहारे जा रही थी।
आज नवीन प्रेयर में भी विदुषी से नज़रें चुरा रहा था।
प्रेयर समाप्त होते ही सब अपनी अपनी क्लासेस की ओर चल पड़े ।
नवीन भी जा ही रहा था कि उसे आवाज सुनाई पड़ी-
" क्या अब भी हमारे ऐसे बर्ताब के लिए नाराज हो नवीन"
नवीन ने पीछे मुड़कर देखा तो ये विदुषी बोल रही थी जो उसके पीछे थी।
नवीन अपने सपनो की रानी को सामने देख निरुत्तर था।
"आपने हमारे प्रश्न का उत्तर नही दिया" विदुषी ने नवीन की आंखों में डूबते हुए कहा।
"नही..आप तो मेरी जिंदगी हो आपसे नाराज कैसे हो सकता हूँ। आपसे नाराज़ होकर मुझे क्या मिलेगा ।" मानो नवीन फिर अपना होश खो बैठा हो ऐसा लगा।
"मार मिलेगी समझे" विदुषी नवीन की ओर अपने मोतियों से दांतों के साथ खिल खिलाकर हँस पड़ी।
"मुझे माफ़ कर दो यार मुझसे कल गलती हो गयी।"
नवीन बोला।
"मेरे हिसाब से जिंदगी में पहला अच्छा काम किया है ।और आप इसे बुरा कह रहे हो नवीन।"
विदुषी ने नवीन पर अपनी कातिल निगाहें डालते हुए कहा ।
"सच मे मतलब आपने मुझे माफ़ कर दिया विदुषी"
नवीन मानो झूम उठा हो ।
" हाँ...और सुनिए...
आपने जो हमसे कहा था उसका जवाब चाहिये तो कल जहाँ हम मिले थे वही आज शाम 5 बजे हमसे मिलने आना होगा ।" विदुषी ने फूलो सी मुस्कान के साथ कहा।
"ओ...रियली....थैंक्स यार" नवीन ने खुश होते हुए कहा।
"और नवीन जी ज़रा ये बताइये ये राजेश कब से और कौनसे दोस्त आ गये।" विदुषी के ऐसा कहते ही नवीन और विदुषी दोनो हँस पड़े क्यों कि विदुषी जान चुकी थी कि नवीन ने विदुषी से दूरी बनाने के बहाने झूठ बोला था ।
और दोनों क्लास में चले गए।
क्रमश:
@रवि जाँगिड़