shabd-logo

माँग का सिन्दूर part - 1

5 मई 2022

24 बार देखा गया 24

                       - माँग का सिंदूर -


   
                                 (1)

"ओह ! .... नो" अंगड़ाई  लेते हुए बिस्तर से नवीन जैसे ही उठा  तो उसकी नजर अपनी रिस्ट वॉच पर गयी।

"ओह!ये क्या हो गया ,सात बज चुके हैं और मैं अभी भी बिस्तर पर हूँ । मुझे स्कूल भी जाना है।" नवीन ने अपने सिर पर मारते हुए कहा। और फिर अपने कदमो को बाथरूम की ओर बढ़ाया।

और जब नवीन ने पानी से अपने सूंदर मुखड़े को धोया तो मिरर में अपने सूंदर मुखड़े को ताकने लगा।

तभी अचानक डोर की आवाज आई और नवीन की निगाहें इसी के साथ अपने मुखड़े से हटकर डोर की ओर चली गयी और सामने उसे अपनी माँ का प्यारा चाँद सा मुखड़ा दिखाई  दिया।

"तुम्हारा स्कूल में पहला दिन  है  और तुम अभी सिर्फ अपना मुँह धो रहे हो।"नवीन की माँ ने उसे प्यार से डाँटा।

"माँ वो क्या है कि....." नवीन मासूमियत से बोला लेकिन माँ ने बात को बीच मे ही काट दिया।

" ओह!अब जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हारा भाई विजय तुम्हारा बाहर इंतजार कर रहा है।"

थोड़े समय बाद नवीन बाथरूम से ये लाइने गुनगुनाता हुआ बाहर आया-

"मेरे सामने वाली खिड़की में एक चाँद का टुकड़ा रहता है...."
और नवीन टेबल पर बैठकर चाय की  चुस्कियां लेने लगा।

कुछ समय बाद-
"लो अपना बैग पकड़ो और जल्दी जाओ वरना विजय गुस्सा हो जाएगा।"माँ ने नवीन को बैग देते हुए कहा।

नवीन ने बैग लिया और माँ के चरण स्पर्श किये।

"सदा खुश रहो सफलता सदा तुम्हारे दामन चूमे बेटा"
माँ ने नवीन के शीश को आशीष देते हुए कहा।

नवीन और विजय स्कूल को  रवाना हो गए।

विजय 12वीं और नवीन 11 वीं में था । दोनो के पास ही साइंस मैथ्स सब्जेक्ट थी।

नवीन और विजय एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे ।वो एक दूसरे के लिए अपनी हर ख़ुशी कुर्बान कर सकते थे। बिल्कुल कृष्ण बलराम सी जोड़ी थी दोनो की।

दोनों कुछ समय बाद ही स्कूल पहुँच गए।

नवीन ने जैसे ही अपनी क्लास में गया तो अचानक एक लड़की से टकरा गया और दोनों गिर गए।

जैसे ही नवीन ने उस लडक़ी को देखा तो स्तब्ध रह गया।
" ओह!  आई.... एम....सॉरी " लड़की ने अपने गुलाबी होंटों से कहा।

और इस मधुर वाणी ने नवीन की पलको को उसी वक्त झपकवा दिया। और दोनों खड़े हो गए।

"इट्स आल राइट ... बट गलती मेरी है मुझे देखकर चलना चाहिए था।" नवीन ने नज़रे मिलाते हुए कहा।

"नो.. इट वाज ओनली बाई माई मिस्टेक"
उस लड़की ने कहा नज़रे झुकाते हुए कहा।

"ओके हम दोनों ही एक दूसरे से माफी मांग लेते हैं मैटर खत्म" नवीन ने मुस्कुराते हुए कहा ।

और दोनों ने एक दुसरे से माफ़ी माँगी।

"क्या हम आपका नाम जान सकते हैं?"
लड़की ने मुस्कान होंटो पर लाते हुए कहा।

"आई एम नवीन" नवीन झपाक से बोल पड़ा।

"नवीन...वाओ! नाइस नेम"लड़की ने भी मुस्कान को होटों पर जाहिर करते हुए कहा।

"माई सेल्फ विदुषी " विदुषी फिर गुलाबी पंखुड़ियों से होंटो से बोल पड़ी।

"वाओ!यूनिक नेम ...विदुषी...." नवीन ने मुग्ध होकर कहा।

"कितनी अच्छी बात है ना कि हम  एक ही क्लास में हैं" नवीन ने आगे बढ़ते हुए कहा।

दोनो क्लास में चले गए और अपना बैग रखा और प्रेयर के लिए चल पड़े।

प्रेयर शुरू हुई ।सभी एक स्वर में प्रेयर कर रहे थे।
लेकिन नवीन के सामने बार-बार एक ही चेहरा आरहा था और वो थी 'विदुषी' ।

इसलिये वो अपनी आँखे बार- बार खोल कर विदुषी को ही ताक रहा था।
नवीन को लग रहा था मानो साक्षात अप्सरा धरती पर उतर आई हो।

क्रमश:
@रवि जाँगिड़(kavi mr Ravi)


Monika Garg

Monika Garg

बहुत सुंदर रचना मेरी रचना पढ़कर समीक्षा दें https://shabd.in/books/10080388

6 मई 2022

3
रचनाएँ
माँग का सिन्दूर
0.0
यह कहानी है विदुषी और नवीन के प्यार की जो अपने प्यार में आने वाली मुसीबतों से किस तरह संघर्ष करते है और अंतिम सांस तक एक दूसरे का साथ देते हैं।ये कहानी है विदुषी के दर्द की जो उसे अपने प्रेम को पाने में सहने पड़ते हैं।विदुषी जो नवीन से 12th class me प्यार कर बैठती है। और दोनो आगे की हसीन जिंदगी के सपने बुनने लगते है।लेकिन फिर उनके प्यार के बीच में जो सैलाब आता है मेरी कहानी उसी दर्द को बयां करती ह।

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए