लखनऊःपेट्रोल चोरी के गोरख धंधे में लगे पैट्रोल पंप मालिको ने बाँट एवम माप विभाग के अधिकारियों से मिलकर ही करोड़ो का घोटाला किया है।यह बात इन तथ्यों से पुष्ट होती है कि पेट्रोल चोरी के लिए जिस चिप का ओरयोग किया जाता है वह ऐसे स्थान पर लगाई जाती थी जो बिना बाँट एवं माप विभाग के सहयोग से खुल ही नही सकता था।
चिप लगानेबमे माहिर पकड़े गए राजेन्द्र ने जब यह खुलासा किया है तो बाँट माप विभाग की रातों की नींद उड़ गई है।राजेन्द्र का कहना है कि पेट्रोल पंप में इलेक्ट्रानिक चिप लगवाने के लिए भी बडा खेल किया जाता था।राजेंद्र से पूछताछ में यह भी सामने आया है कि राजधानी के 90 फीसद पंप में उसने चिप लगाने की बात स्वीकर की है।एसटीएफ के एएसपी डॉ. अरविंद चतुर्वेदी के मुताबिक चिप लगवाने के लिए मशीन खराब होने का झांसा दिया जाता था।
जांच में सामने आया कि मशीन में एक इलक्ट्रानिक बॉक्स लगा होता है। जिस पर बाट माप विभाग के निरीक्षक की काटीले तरनुमा सील लगती है। पैट्रोल पंप संचालकों की ओर से बाट माप विभाग को मशीन खराब होने का हवाला देकर उसकी मारम्मत संबंधी प्रार्थनापत्र दिया जाता था। इसके बाद निरीक्षक आकर मशीन से इलेक्ट्रानिक बॉक्स को निकालकर दे देते थे।
मारम्मत का हवाला देकर इलेक्ट्रानिक बॉक्स में चिप लगवाई जाती थी, जो रिमोट से संचालित होती थी। बाद में बाट माप निरीक्षक इलेक्ट्रानिक बॉक्स को वापस मशीन में लगवाकर उसमें सील लगवा देते थे।
एसटीएफ ने छापेमारी के लिए कई अन्य पंप को भी सूचीबद्ध किया था, लेकिन इतने बडे पैमाने पर टीमें गठित न हो पाने की वजह से सात पंपों पर ही छापेमारी की कार्यवाही की गई। राजेंद्र ने यह भी बताया कि उसने चिप लगाने का हुनर करीब सात साल पहले दिल्ली में सीखा था।
लालता प्रसार वैश्य एण्ड सन्स पैट्रोल पंप के मैनेजर ने पूछताछ में बताया कि उन्हें कई वर्ष पहले जब घटतौली करने वाली चिप के बारे में पता चला तो उन्होंने डीलर/मालिक से इस बाबत वार्ता करने के बाद राजेंद्र से संपर्क किया था। तब राजेंद्र ने मशीन के भीतर लगे इलेक्ट्रानिक सर्किट बॉक्स की आवश्यकता जताई। तब मशीन की मरम्मत के लिए सील खुलवाकर चिप लगवाई गई,फिर उसमें दोबारा सील लगवा दी गई थी। किसी को संदंह होने पर रिमोट से चिप को ऑफ कर दिया जाता था।
एसटीएफ के वरिष्ट अधिकारियों के मुताबिक ग्राहक पैट्रोल पंपों पर हो रही इस गडगडी को खुद से नही भांप सकते। जब तक पैट्रोल को जरीकेन मे भरवाकर नापा न जाए, घटतौली को पकडा नहीं जा सकता। अलग-अलग तरह की चिप लगाने के लिए आरोपी राजेंद्र के पास एक नक्शा भी होता था। जिसकी मदद से वह मशीनों में चिप फिट करता था।पूछताछ में सामने आया है कि चिप लगाकर पैट्रोल चोरी का यह गोरखधंधा राजधानी के अलावा कानपुर, इलाहाबाद, मेरठ, नोएडा, वाराणसी, बरेली, बाराबंकी व अन्य जिलों में भी हो रहा था।
अब योगी सरकार इसकी स्वतंत्र जांच कराएगी तो पेट्रोल चोरी में सरकारी तंत्र की मिलीभगत की पूरी स्थिति सामने आ जायेगी। यह स्पष्ट है कि उपभोक्ताओं को लूटने का काम केवल पेट्रोल पम्प मालिको द्वारा ही किया जा रहा था।