मां तुम देवी थी ममता की थी मूरत लाखों चराग जला कर ढूंढती फिर भी नही मिलती तुम मेरी मां और न ही तुम्हारी ममता या प्यार
मां मुझे हंसते हुए देख जब
तुम मुस्कुराती थी जब रोता
हुआ देख तुम उदास हो जाती थी ,,
थोड़ी सी चीख निकलने पर मां तुम व्याकुल होने लग जाती थी ,,
सच में ऐसा प्यार र्सिफ एक मां ही कर सकती है और कोई नही ,,
हर सही गलत का भेद बताया करती थी ..
मां की गोदी में नींद आ जाया करती थी जब मां की गोदी में सो जाया करती थी ..
तुम बिन मां सबकुछ है सूना तुम बिन मां जीना भी
है झीना-झीना मां बहुत याद आती हो काश!"मां"
अभी भी तुम होती सबके
साथ..
सरिता मिश्रा पाठक "काव्यांशा